विश्वभर में ऐसी कई महान कलाकृतियां हैं, जो अपने विचित्र कारणों की वजह से हमेशा चर्चा में रहती हैं। इन्हें देखने के बाद दिमाग में कई तरह के सवाल उठते हैं कि आखिर इनका निर्माण कैसे किया गया होगा?
वह भी उस समय, जब किसी प्रकार की उत्तम तकनीक का विकास नहीं हुआ था, तो भारी-भरकम पत्थरों की मदद से इन्हें कैसे बनाया गया?
पूरे ब्रिटेन में पत्थरों के घेरे फैले हुए हैं जिन्हें हजारों साल पहले बनाया गया था, लेकिन आज भी इनके बनाए जाने की वजह एक रहस्य बनी हुई है।
इनमें सबसे प्रसिद्ध है ‘स्टोनहेंज‘, जोकि 3000 ईसा पूर्व से 1600 ईसा पूर्व के बीच में बनाई गई एक विशाल संरचना है। इन पत्थरों में कई राज दफन हैं, जिनका रहस्य अब तक उजागर नहीं हो पाया है।
विश्व धरोहर स्थल
इस जगह को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है। यह ब्रिटेन के सबसे लोकप्रिय पर्यटन आकर्षणों में से एक है। कई देशों से पर्यटक स्टोनहेंज’ के अद्भुत पत्थरों को देखने के लिए आते हैं।
यह हजारों ऐसे लोगों के लिए एक तरह का आध्यात्मिक केंद्र भी है जो मानव समझ से परे की वास्तविकताओं में विश्वास रखते हैं। ये लोग गर्मियों और सर्दियों में ‘सोल्स्टिस‘ पर यहां आते हैं।
रहस्यमयी इतिहास
‘स्टोनहेंज‘ की इन चट्टानों के पीछे एक रहस्यमयी इतिहास छिपा हुआ है, जिसे लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। वैसे ‘स्टोनहेंज’ की इन चट्टानों को ‘मैगालिथ‘ के नाम से भी जाना जाता है।
कई लोगों का कहना है कि इसका निर्माण प्रागैतिहासिक काल में हुआ था। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इन रहस्यमयी चट्टानों के इतिहास को कांस्य युग से भी जोड़ कर देखते हैं। ‘स्टोनहेंज’ की विशालकाय चट्टानों की ऊंचाई करीब 23 फुट तक है।
इन चट्टानों को एक गोलाकार आकृति में ऊंचा खड़ा किया गया है। बड़ा सवाल है कि जब उस दौरान किसी प्रकार की वैज्ञानिक उन्नति नहीं हुई थी तो इन विशालकाय चट्टानों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर कैसे इस संरचना को बनाया गया होगा?
इन विशालकाय चट्टानों में कुछ चट्टानों का वजन करीब 50 टन तक है। इस संरचना को बनाने में ब्ल्यू स्टोन्स का इस्तेमाल किया गया था।
हीलिंग प्रॉपर्टीज
मान्यता है कि ‘स्टोनहेंज’ के पत्थरों के अंदर ‘हीलिंग प्रॉपर्टीज‘ यानी इलाज करने की शक्ति भी पाई जाती है। एक समय यह स्थान ‘हीलिंग प्लेस‘ हुआ करता था, जहां बीमार लोग आया करते थे। कहा जाता है कि इन पत्थरों को छूने से वे ठीक हो जाते थे।
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार इन्हें एलियंस यानी दुसरे ग्रह के जीवों के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इन्हें इंसानों ने नहीं बल्कि एलियंस ने बनाया था। उनके अनुसार जिस तरह से पत्थरों को एक सुनियोजित ढंग से लगाया गया है, उसके पीछे काफी गणित छुपा हुआ है।
यह काम उस समय के लोगों के लिए करना नामुमकिन था। अगर ‘स्टोनहेंज’ के इन पत्थरों को ऊपर से देखा जाए तो ये बिल्कुल हमारे सौरमंडल की तरह दिखते हैं।
पंजाब केसरी से साभार
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