दुनिया में बहुत सारे खूबसूरत फूल पाए जाते हैं। विभिन्न रंग, आकार और सुगन्धित फूल सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक खूबसूरत और रहसयमई फूल भगवान ब्रम्हा से जुड़ा है जिसका नाम है ‘ब्रह्म कमल’ और इसका वैज्ञानिक नाम ससोरिया ओबिलाटा (Saussurea obvallata) है।
‘ब्रह्म कमल’ का अर्थ है ‘ब्रह्मा का कमल’ और उन्ही के नाम से इस फूल का नाम रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि केवल भग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेता है, उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
इस फूल को खिलने में 2 घंटे का समय लगता है। ये फूल मानसून के मध्य के महीनों के दौरान खिलता है। माना जाता है कि यह पुष्प मां नंदा का पसंदीदा फूल है। इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है।
अधिकतर यह हिमालय के राज्यों में ही पाया जाता है जिसे देखने के लिए लोग तरसते हैं। माना जाता है कि यह फूल अलौकिक शक्तियों से भरा है और इसे देखने के बाद लोगों को अलग ही तरह का एहसास होता है।
आज इस पोस्ट में हम इस खूबसूरत और रहसयमई फूल के बारे में बताने जा रहे हैं, चलिए जानते हैं :-
ऐसे हुई थी ब्रह्म कमल की उत्पत्ति
पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मकमल भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प है। केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में ब्रह्म कमल ही प्रतिमाओं पर चढ़ाए जाते हैं। माना जाता है कि जब भगवान विष्णु हिमालय क्षेत्र में आए तो उन्होंने भोलेनाथ को 1000 ब्रह्म कमल चढ़ाए, जिनमें से एक पुष्प कम हो गया था।
तब विष्णु भगवान ने पुष्प के रुप में अपनी एक आंख भोलेनाथ को समर्पित कर दी थी। तभी से भोलेनाथ का एक नाम कमलेश्वर और विष्णु भगवान का नाम कमल नयन पड़ा।
हिमालय क्षेत्र में इन दिनों जगह-जगह ब्रह्म कमल खिलने शुरु हो गए हैं इसलिए कहा जाता है कि ब्रह्म कमल का फूल विशेष दिनों में केदारनाथ में चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होकर जातक की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
महाभारत में भी है उल्लेख
इस पुष्प का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे पाने के लिए द्रौपदी व्याकुल हो गई थी। तब भीम इसे लेने के लिए हिमालय की वादियों में गए थे और वहां उनका सामना हनुमानजी से हुआ था।
भीम ने उन्हें एक वानर समझकर उनकी पूंछ हटाने का कहा था परंतु हनुमानजी ने कहा था कि तुम शक्तिशाली हो तो यह पूंछ तुम ही हटा लो।
परंतु भीम ऐसा नहीं कर पाए तब उन्हें समझ में आया था कि ये कोई साधारण वानर नहीं हैं। तब भीम को अपनी भूल का अहसास हुआ था।
औषधीय गुण
माना जाता है कि इसकी पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है। इससे पुरानी (काली) खांसी का भी इलाज किया जाता है।
इससे कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है। यह तालों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन में उगता है। इसका वानस्पतिक नाम एपीथायलम ओक्सीपेटालम है।
इसमें कई एक औषधीय गुण होते हैं। चिकित्सकीय प्रयोग में इस फूल के लगभग 174 फार्मुलेशनस पाए गए हैं। वनस्पति विज्ञानियों ने इस दुर्लभ-मादक फूल की 31 प्रजातियां पाई जाती हैं।
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