यह दुनिया अजब-गजब रहस्यों से भरी हुई है। धरती पर ऐसी कई रहस्यमयी जगहें हैं, जिनके बारे में हमने पता नहीं होता। ऐसी ही एक रहस्यमय जगह अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच में कहीं स्थित है जिसे आज तक कोई भी नहीं ढूंढ पाया है। इस जगह को ‘शांगरी-ला घाटी’ के नाम से जाना जाता है।
शांगरी-ला घाटी के बारे में कहा जाता है कि यहां समय थम जाता है और लोग जब तक चाहें तब तक जिंदा रह सकते हैं। दुनियाभर के कई लोग ‘शांगरी-ला घाटी’ का पता लगाने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आजतक किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली है। शांगरी ला घाटी को “बरमूडा ट्राएंगल“ की तरह बताया जाता है।
यह एक काल्पनिक जगह है
तिब्बती भाषा की किताब ‘काल विज्ञान’ में भी इस घाटी का जिक्र मिलता है। जिसमें लिखा है कि दुनिया की हर चीज़, देश, काल और निमित्त से बंधी है लेकिन इस घाटी में काल यानी समय का असर नहीं है।
वहां प्राण, मन के विचार की शक्ति, शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इस जगह को पृथ्वी का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी कहा जाता है। जिसका जिक्र महाभारत से लेकर वाल्मिकी रामायण और वेदों में भी मिलता है।
जेम्स हिल्टन नाम के लेखक ने अपनी किताब ‘लॉस्ट हॉरीजोन’ में भी इस रहस्यमय जगह के बारे में लिखा है। हालांकि, उनके मुताबिक यह एक काल्पनिक जगह है। वहां लोग सैकड़ों बरसों तक जीवित रहते हैं।
उनकी पुस्तक को पढ़कर कई देशी-विदेशी खोजियों ने शांगरी ला घाटी का पता लगाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। कुछ तो हमेशा के लिए गायब ही हो गए। माना जाता है कि चीन की सेना एक लामा का पीछा करते हुए इस घाटी तक आई लेकिन शांगरी ला घाटी का पता नहीं लगा सकी।
तिब्बती विद्वान युत्सुंग के अनुसार इस घाटी का संबंध अंतरिक्ष के किसी लोक से है। आध्यात्म क्षेत्र, तंत्र साधना या तंत्र ज्ञान से जुड़े लोगों के लिए यह घाटी भारत के साथ-साथ विश्व में मशहूर है। खैर, इतने सारे दावों और जिक्रों के बाद भी कोई शांगरी-ला घाटी के रहस्य को नहीं सुलझा पाया।
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