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देश के प्रसिद्ध प्राचीन घरोहरों में से एक है कोणार्क सूर्य मंदिर, जानिए कुछ रोचक तथ्य

भारत में ऐसी कई अद्भुत जगह हैं जहां हमें प्रकृति और मानव निर्मित दुर्लभ और बेहद खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। इन्हीं अद्भुत और खूबसूरत जगहों में से एक है “कोनार्क सूर्य मंदिर“।

कोणार्क मंदिर हिंदू धर्म के अनुसार भगवान सूर्य को समर्पित है। वैदिक काल में मंत्रों द्वारा सूर्य देवता की पूजा की जाती थी। फिर राजाओं द्वारा इनके मंदिर का निर्माण शुरू हो गया।

ओडिशा स्थित कोणार्क का सूर्य मंदिर देश के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यह भारत में निर्मित कुछ सूर्य मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है।

आज हम इस पोस्ट आपको इस अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं :-

  • कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व में कोणार्क में में स्थित है।
  • गंग वंश के महान शासक राजा नरसिंहदेव ने अपने शासनकाल 13वीं शताब्दी में करीब 1200 कारीगरों की मदद से इस मंदिर का निर्माण कराया था। गंग वंश के शासक सूर्य की पूजा करते थे।

  • यहाँ के स्थानीय निवासी सूर्य देव को बिरंची नारायण के नाम से पुकारते है। साथ ही इस मंदिर को यूरोपियन्स ब्लैक पैगोडा के नाम से पुकारते है।
  • यह मंदिर एक बेहद विशाल रथ के आकार में बना हुआ है, जिसमें 24 पहिये लगे हैं और इसको सात घोड़ों द्वारा सूर्य भगवान को ले जाते दिखाया गया है। यह धार्मिक वास्तुकला का एक आश्चर्यजनक स्मारक है। सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है।
  • कोणार्क‘ शब्द ‘कोण‘ और ‘अर्क‘ से मिलकर बना है, जहां कोण का अर्थ कोना या किनारा एवं अर्क का अर्थ सूर्य से है अर्थात सूर्य का कोना जिसे कोणार्क कहा जाता है।
  • सूर्य मंदिर कोणार्क को यूनेस्को ने 1984 में विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया था।
  • माना जाता है कि कोणार्क मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधे मुख्य द्वार पर पड़ती है। सूर्य की किरणें मंदिर से पार होकर मूर्ति के केंद्र से प्रतिबिंबित (Reflact) होकर चमकदार दिखाई देती हैं।
  • भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए भारतीय 10 रुपये का नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर को दर्शाया गया है।

  • इसका निर्माण लाल रंग के बलुआ पत्थरों तथा काले ग्रेनाइट के पत्थरों से हुआ है।
  • मंदिर के ये 24 पहिए दोनों ओर 12-12 की दो पंक्तियों में लगे हैं। माना जाता है कि ये 24 पहिए दिन के 24 घंटों के प्रतीक हैं।
  • अपनी अद्भभुत खूबसूरती की वजह से कोणार्क सूर्य मंदिर को भारत के 7 अजूबों  में शामिल किया गया है।

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