अंतरिक्ष में इंसानों के घर के रुप में इस्तेमाल होने वाली एक पूरे अंतरिक्ष के स्टेशन की स्थापना अपने आप में किसी करिश्मे से कम नहीं है।
धरती की कक्षा में स्थापित इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आई. एस. एस.) यानी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र कई सालों से ब्रह्मांड से जुड़े शोध करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी इसका बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर जुड़ सकता है। इसे इसलिए बनाया गया है ताकि वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम कर सकें। आई.एस.एस को अंतरिक्ष में छोटे-छोटे टुकड़ों में ले जाकर इसके ऑर्बिट यानी कक्षा में स्थापित किया गया
1998 में सबसे पहला मॉड्यूल रूस के जरिए भेजा गया था। 2 नवंबर 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री इस स्टेशन में कार्य कर रहे हैं। यह पृथ्वी से लगभग 248 मील की औसत ऊंचाई पर घूमता है।
अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में ऐसी अनेक बातें हैं जो बहुत हैरतअंगेज हैं तो चलिए इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं :-
धरती का चक्कर लगाने की रफ्तार
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र लगातार पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है। यह 8 किलोमीटर प्रति सेकंड की बेहद तेज़ रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इतनी तेज़ रफ्तार के कारण एक बार में परिक्रमा करने के लिए इसे मात्र 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे का ही समय लगता है।
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हर तरह से सुविधा संपन्न
यह एक बहुत ही बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसकी कुल लंबाई लगभग 109 मीटर तक है और इसके अंदर इंसानों के रहने लायक हर सुविधा मौजूद है। यहां एक समय में ज्यादा से ज्यादा 6 लोग रह सकते हैं।
इंसानों द्वारा भेजा गया यह सबसे बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसके अंदर का कुल दबाव 32,333 फुट तक का है और यह एक बोइंग 747 विमान जितना बड़ा होता है।
दुनिया की सबसे महंगी चीज
पृथ्वी और अंतरिक्ष दोनों में अगर सबसे कीमती चीजों के बारे में बात करें तो उसमें सबसे पहला स्थान आई.एस.एस. का आता है।
दरअसल, यह 11 लाख करोड़ रुपए की लागत से बनी सबसे महंगी चीजों में से एक है। इस पर होने वाले लगातार खर्चों की वजह से वर्तमान में यह और भी महंगा होता जा रहा है।
हैक हो चुके हैं इसके कंप्यूटर
नासा ने आई.एस.एस की सुरक्षा के प्रति कोई कसर नहीं छोड़ी है परंतु कई बार ऐसे भी मौके आए हैं जहां आई.एस. एस.के कंप्यूटर तक हैक हो चुके हैं।
आकाश में तीसरी सबसे चमकीली चीज है आई.एस.एस.
चांद और शुक्र ग्रह के बाद आई.एस.एस अंतरिक्ष में तीसरी सबसे चमकीली चीज़ है। इसे आप आसानी से देख सकते हैं। पृथ्वी से यह किसी उड़ रहे विमान की तरह ही दिखता है। इसे पृथ्वी से नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
कुछ रोचक बातें
पूरे सौरमंडल में आई. एस. एस .ही एक ऐसी जगह है जहां आप अंतरिक्ष की गंध को काफी अच्छे तरीके से सूंघ सकते हैं। इस पर रहने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष की गंध ‘मैटेलिक आयोनाइजेशन‘ जैसी होती है। कहने का तात्पर्य है कि अंतरिक्ष ज्यादातर किसी मैटल यानी धातु की तरह महकता है।
स्टेशन से जुड़ी खास बात यह भी है कि इसमें 12. 8 किलोमीटर लंबे तार लगे हैं। वैसे मजे की बात है कि इतने लंबे तार लगे होने के कारण या कई बार पेचीदा भी हो जाता है क्योंकि इसकी देखभाल नियमित रूप से करना बेहद जरूरी है।
इस पर जितने भी अंतरिक्ष यात्री रहते हैं वे दिन में तीन बार खाना कहते हैं। खाना खाते समय वे ऐसे ही बैठकर नहीं खा सकते हैं क्योंकि स्पेस स्टेशन में गुरुत्वाकर्षण ना होने के कारण हर चीज यहां – वहां उड़ती रहती है अगर उन्हें बांधा या पकड़ा न गया हो। ऐसे में खाना खाते समय बड़ी सावधानी से धीरे-धीरे भोजन को मुंह में डालना होता है ताकि खाने के टुकड़े उड़ते हुए इधर-उधर स्टेशन में न फैलें।
नहाने के इंतजाम की बात करें तो वर्तमान समय में स्पेस स्टेशन के अंदर दो स्नान कक्ष मौजूद हैं। इनसे निकलने वाले पानी और स्टेशन में मौजूद क्रू तथा प्रयोगों के लिए रखे जानवरों के मूत्र से ही पीने के लिए पानी को तैयार किया जाता है। इसे कई चरण की फिल्टर प्रक्रिया से साफ किया जाता है। इसी कारण आई.एस.एस. पर कभी पीने के पानी की कमी नहीं होती।
पंजाब केसरी से साभार………।