1 जुलाई 2018 को दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों द्वारा आत्महत्या किये जाने के बारे में आपने सुना होगा। पुलिस की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार आत्महत्या की यह घटना सांझा भ्रम, मनोविकृति या अंधविश्वास से प्रेरित थीं। वैसे भी मनोविकार व अंधविश्वास लोगों से क्या कुछ नहीं करवा लेते हैं।
सामूहिक आत्महत्या की यह घटना बुराड़ी और दिल्ली वासियों के लिए सदमे से कम नहीं थी। लेकिन शायद आप नहीं जानते होंगे कि 45 साल पहले दक्षिणी अमेरिका के पास स्थित गुयाना के जोंसटाउन में करीब 900 से अधिक लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली थी।
18 नवंबर, 1978 को यह दिल दहला देने वाली घटना घटी थी। गुयाना की इस घटना को अबतक की सबसे बड़ी आत्महत्या की घटनाओं में से एक माना जाता है। इस घटना के बारे में, जो भी सुनता है हैरानी में पड़ जाता है।
दरअसल इस घटना क पीछे जिस व्यक्ति का हाथ था वह खुद को एक धर्मगुरु कहता था जिसका नाम था जिम जॉन्स। वो खुद को भगवान का अवतार बताता था।
जिम जॉन्स ने लोगों के बीच खुद को महान साबित करने के लिए जरूरतमंद लोगों की मदद के नाम पर साल 1956 में ‘पीपल्स टेंपल‘ (लोगों का मंदिर) नाम के एक चर्च की स्थापना की और अपनी धार्मिक बातों और अंधविश्वास के दम पर उसने हजारों लोगों को अपना अनुयायी बना लिया।
जिम जॉन्स कम्युनिष्ट विचारधारा का व्यक्ति था और उसके विचार अमेरिकी सरकार से बिल्कुल अलग थे। इसलिए वो अपने अनुयायियों के साथ शहर से दूर गुयाना के जंगलों में चला गया और वहीं पर उसने एक छोटा सा गांव भी बसा दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसकी असलियत लोगों के बीच आने लगी।
दरअसल, जिम जॉन्स अपने अनुयायियों (चाहे वो महिला हो या पुरुष) से दिनभर काम कराता था और रात में जब वो थक-हारकर सोने के लिए जाते तो वो उन्हें सोने भी नहीं देता था और अपना भाषण शुरू कर देता था। इस दौरान उसके सिपाही घर-घर जाकर देखते थे कि कहीं कोई सो तो नहीं रहा।
अगर कोई भी सोता हुआ पाया जाता था वो उन्हें कड़ी सजा दी जाती थी। यहां तक कि वो लोगों को गांव से बाहर भी नहीं जाने देता था। पुरुष और महिलाएं जब काम करती थीं, तो उनके बच्चों को एक कम्युनिटी हॉल में रखा जाता था। उसके सिपाही गांव के चारों ओर दिन-रात पहरा देते रहते थे, ताकि कोई वहां से भाग न जाए।
जिम जॉन्स ने अपने अंधविश्वास का जाल इस कदर फैला रखा था कि वो जो कहता, लोग उसे मान लेते। इस बीच अमेरिकी सरकार को वहां हो रही गतिविधियों के बारे में पता चला तो सरकार ने कार्रवाई करने की सोची। लेकिन इस बात का पता जिम जोंस को भी चल गया और उसने अपने सभी अनुयायियों को एक जगह इकट्ठा होने को कहा।
कहा जाता है कि इस दौरान जॉन्स ने लोगों से कहा, अमेरिकी सरकार हम सबको मारने आ रही है। इससे पहले कि वो हमें गोलियों से छलनी करें, हम सबको पवित्र जल पी लेना चाहिए। ऐसा करने से हम गोलियों के दर्द से बच जाएंगे।
जिम ने लोगों से कहा कि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो वो हमें बम से उड़ा देंगे और जो बच जाएंगे उनके साथ जानवरों जैसा सलूक करेंगे। महिलाओं के साथ रेप करेंगे, बच्चों को तरह-तरह की तकलीफें देंगे। इसलिए हमें खुद को उनसे बचाने के लिए पवित्र जल पीना पड़ेगा।
जॉन्स ने पहले ही एक बड़े से टब में खतरनाक जहर मिलाकर एक सॉफ्ट ड्रिंक बनवा लिया था और लोगों को पीने के लिए दे दिया। जिसने भी जहरीला ड्रिंक पीने से मना किया, उन्हें जबरन पिलाया गया। इस तरह एक अंधविश्वासी के चक्कर में पड़ कर 900 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इनमें 300 से अधिक बच्चे भी शामिल थे।
इस घटना को अब तक के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि लोगों के मरने के बाद जिम जॉन्स का शव भी एक जगह पाया गया था। उसने खुद को गोली मार ली थी या शायद किसी ने उसके कहने पर उसे गोली मारी थी।