कोलकाता का हावड़ा ब्रिज दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इस पुल का निर्माण ब्रिटिश राज में साल 1936 में शुरू हुआ था l 3 फ़रवरी 1943 को इसे जनता के लिए खोल दिया था। यह दुनिया का सबसे व्यस्त पुल है।
अंग्रेजों ने जब इस पुल को बनाने के बारे में सोचा तो वे ऐसा पुल बनाना चाहते थे जिससे कि नदी का जल मार्ग न रुके और पुल के नीचे कोई खंभा भी न हो।
ऊपर पुल बन जाए और नीचे हुगली नदी में पानी के जहाज और नाव भी बिना रुके चलते रहें। जोकि ये झूला अथवा कैंटिलिवर पुल से ही संभव था।
हावड़ा ब्रिज से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- आज जहाँ हावड़ा ब्रिज है दरअसल वहाँ कभी पोंटून (Pontoon) सेतु था, जिसे विकसित करके हावड़ा ब्रिज बनाया गया। शुरुआत में इसका नाम ‘न्यू हावड़ा ब्रिज’ था। 14 जून, 1965 में बंगला साहित्य के महान कवि; प्रथम एशियाई और प्रथम भारतीय नोबेल पुरष्कार विजेता ‘रवींद्रनाथ टैगोर’ के सम्मान में इसका नाम बदलकर ‘रवीन्द्र सेतु’ कर दिया गया लेकिन यह आज भी इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से ही जाना जाता है।
- यह पुल 2,313 फ़ीट लम्बा और 269 फ़ीट ऊँचा है। इसकी चौड़ाई 71 फ़ीट है, जिसमें दोनों तरफ 15-15 फ़ीट चौड़े दो फूटपाथ भी हैं। यह पूरा पुल उच्च-तन्य मिश्रधातु (High-tensile alloy) स्टील का बना हुआ है, जिसे Tiscrom कहा जाता है।
- हावड़ा ब्रिज पर हर रोज 1 लाख से भी ज्यादा गाड़ियाँ गुजरती हैं और 5 लाख पैदलयात्री (वर्तमान में इससे भी ज्यादा) इस पर चलते हैं।
- अपने निर्माण के समय यह पूरे विश्व में तीसरा सबसे लम्बा पुल था। आज यह अपनी तरह का विश्व का छठा सबसे लम्बा पुल है। हावड़ा ब्रिज के देखभाल की जिम्मेदारी ‘कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (KoPT)’ की है। इस ट्रस्ट की स्थापना हावड़ा ब्रिज के स्थापना सन् 1870 में हुई थी l
- इस पुल के निर्माण के लिए तत्कालीन बंगाल सरकार के द्वारा एक एक्ट पारित किया गया,जिसे हावड़ा पुल अधिनियम, 1926 नाम दिया गया।
- इस पूरे ब्रिज का डिज़ाइन Rendel, Palmer और Tritton के द्वारा किया गया था। अनुमान यह है कि इस बड़े पुल के निर्माण की राशि 333 करोड़ रुपए थी। यह दुनिया में ब्रैकट पुल से एक है। यह पुल 75 साल पुराना है। इसे बनने में लगभग 6 साल लगे। 3 फ़रवरी, 1943 में इसका इस्तेमाल शुरू हुआ, जो आज तक जारी है।
- इसे बनाने में 26,500 टन स्टील की खपत हुई थी, जिसमें से 87% स्टील ‘टाटा स्टील कम्पनी’ द्वारा ख़रीदा गया था। इस परियोजना के लिए सारी स्टील इंग्लैंड से लायी जा रही थी लेकिन जापान के धमकी की वजह से सिर्फ 3000 टन स्टील ही लाया जा सका। बाकि स्टील की खरीद ‘टाटा स्टील’ से की गयी।
- पुल का उपयोग करने वाला पहला वाहन “ट्राम” (ट्रॉली कार)था।
- गर्मियों के दिनों में इसकी लम्बाई करीब 3 फ़ीट तक बढ़ जाती है, क्योंकि अधिक तापमान में धातु (स्टील) पिघलती और फैलती है।
- इसकी क्षमता 60,000 टन वजन सहने की है लेकिन बढ़ती जनसंख्या ने ट्रैफिक को इतना बढ़ा दिया कि आज हावड़ा ब्रिज पर हर समय 90,000 टन का वजन रहता है इसीलिए कई ट्रामों और ज्यादा वजनी ट्रकों को दूसरे रास्तों या पुलों पर स्थानांतरित किया जा रहा है।
- इस ब्रिज को बनाने के कॉन्ट्रैक्ट के लिए 20 से भी ज्यादा कम्पनियों को चुना गया था l 1935 में इसका कॉन्ट्रैक्ट एक ब्रिटिश कम्पनी क्लीवलैंड ब्रिज एंड इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया गया था लेकिन इसकी संरचना ब्रेथवेट बर्न एंड जेसोप कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड नामक कम्पनी द्वारा किया गया।
- 2006 के शुरुआत में इसकी मरम्मत करवाई गयी थी, जिसमें 8 टन स्टील की खपत हुई थी। इस पूरे प्रक्रिया में 50 लाख रूपये खर्च हुए थे।
- पक्षियों द्वाराहावड़ा ब्रिज पर की जाने वाली गन्दगी से कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट काफी परेशान है क्योंकि इससे ब्रिज की रासायनिक क्षति हो रही है इसलिए ट्रस्ट हर साल ब्रिज से पक्षियों की गन्दगी हटाने के लिए 5 लाख का कॉन्ट्रैक्ट देता है।
- आपको को जानकर हैरानी होगी कि हावड़ा ब्रिज ने लगभग हर दौर के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित किया है। इसने कई हिंदी, मलयालम, बंगाली, तमिल, अंग्रेजी इत्यादि फिल्मों में अभिनय किया है। यहाँ शूट की गई फ़िल्मों में हावड़ा ब्रिज ,गुंडे, बर्फी, लव आज-कल, तमिल फ़िल्म आधार, मलयालम फ़िल्म कलकत्ता न्यूज़, रोलैंड जोफ़े की अंग्रेज़ी भाषा की फ़िल्म सिटी ऑफ़ जॉय शामिल है।
- सात दशकों से अधिक समय तक वहां रहने के बाद, हावड़ा ब्रिज ने विश्व की कुछ प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध भी शामिल है।