Monday, December 2, 2024
17.9 C
Chandigarh

जानिए अलग- अलग रंगों के धागों को कलाई में बांधने के महत्व

हम अक्सर देखते है लोगों ने कलाई या गले में अलग- अलग रंगों के धागे पहने होते है। घर में भी पूजा के बाद अक्सर इन धागों को पहना जाता है। कुछ लोग तो शोंक के लिए इन धागों को पहनते है, तो कुछ लोगों की धागों को धारण के पीछे अपनी अलग- अलग मान्यताएं होती है। आइए जानते है हिंदू धर्म में अलग-अलग रंग के इन धागों के क्या महत्व है।

लाल धागा

लाल धागे को भगवान के आशीर्वाद के रूप में पहना जाता है। लाल धागा पहनना बहुत पुरानी परंपरा है। उस वक्त यज्ञ के दौरान लाल धागे को पहना जाता था। कहा जाता है कि लाल धागा पहनने से सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि आते है और मनोकामनाएँ भी पूरी होती है।

पीला धागा

पीले रंग का धागा पहनने से इंसान में एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है। पीला रंग शुद्धता का प्रतीक माना जाता है इसीलिए विवाह और गृह-प्रवेश जैसे शुभ कामों में इस रंग के धागे का बहुत महत्व होता है। कहते है यह वैवाहिक जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए भी शुभ है।

काला धागा

काले धागे को बुरी नज़र से बचने के लिए पहना जाता है। बच्चों को बुरी नज़र से बचाने के लिए काला धागा उनकी कमर में बांधा जाता है और बड़े इस धागे को अपनी कलाई या बाजु में पहनते है। काले रंग का सबंध शनि ग्रह से भी है। इसीलिए यह धागा शनि ग्रह दोषों को दूर करता है।

केसरिया धागा

हिंदू धर्म में केसरिया रंग को सबसे पवित्र माना जाता है। यह साधु- संतों का रंग होता है, वह इस रंग के सूत्र और वस्त्र पहनते है। ख्याति, शक्ति और समृद्धि के लिए केसरिया धागे को पहना जाता है। इसका संबंध गुरु ग्रह से भी माना जाता है।

जनेऊ

जनेऊ सफेद रंग के तीन धागों से बना एक पवित्र सूत्र होता है, इन तीन धागों का महत्व ब्रहमा, विष्णु और शिव से है। यह सूत्र ब्राह्मण  बाएं कंधे से दाएं बाजू की ओर शरीर में धारण करते है। जनेऊ को सिर्फ पुरुष वर्ग ही धारण करते है। कहा जाता है कि जनेऊ स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है। जनेऊ पहनने से हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है।

यह भी पढ़ें :

हाथ में मौली धागा बाँधने से होने वाले लाभ!!

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR