करोड़ों में है इस चायपत्ती की कीमत, जानिए क्या है खासियत

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हमारे दिन की शुरुआत चाय के साथ होती है। कई लोग तो ऐसे भी हैं जिन्हें अगर सुबह चाय न मिले तो उनका पूरा दिन आलस में जाता है। आपने बाजार में कई तरह की चायपत्ती देखी होगी। जिनमें कुछ महंगी और कुछ सस्ती होगी।

लेकिन क्या आपने ऐसी चायपत्ती के बारे में सुना है, जिसकी एक किलो पैकेट की कीमत करोड़ों में है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कौन सी चायपत्ती है जो इतनी महंगी है।

इस चाय की कीमत में तो आराम से लग्जरी कार, लग्जरी फ्लैट खरीदे जा सकते हैं। लेकिन यह चायपत्ती किसी खास वजह से ही इतनी महंगी है। आईए जानते हैं दुनिया की इस सबसे महंगी चायपत्ती के बारे में।

The price of this tea leaf is in crores, know what is its specialty

कहाँ मिलती है ये चायपत्ती

दुनिया की सबसे महंगी चायपत्ती चीन में मिलती है। इसका नाम डा-होंग पाओ टी (Da-Hong Pao Tea) है। डा होंग पाओ एक वूई रॉक चाय है जो फ़ुज़ियान प्रांत, चीन के वूई पहाड़ों में उगाई जाती है। ये चायपत्ती चीन के फुजियान के वूईसन इलाके में ही मिलती है। इसके अलावा कहीं और ये चायपत्ती नहीं मिलती।

इस वजह से है ये इतनी महंगी

इस चाय पत्ती के कई सारे लाभकारी गुण है। स्वास्थ्य के लिए ये चायपत्ती काफी लाभदायक होती है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते इसको जीवनदायिनी भी कहा जाता है।

इसके सेवन से कई प्रकार की गंभीर बीमारियां ठीक होती हैं। इस में कैफीन, थियोफिलाइन, चाय पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनोइड्स होते हैं। इन्हीं सब कारणों से इसके कई स्वास्थ्य लाभों का दावा किया जाता है।

इस चाय को पीने से थकान कम हो सकती है और रक्त परिसंचरण में मदद मिल सकती है। इसके अलावा यह शराब पीने और धूम्रपान के बुरे प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

इसको नियमित रूप से पीना त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है और वजन कम करने में मदद करती है। यह खांसी से राहत दिलाने और कफ को कम करने में मदद करती है।

खेती के दौरान डा-होंग पाओ की पत्तियों की पैदावार काफी कम मात्रा में होती है और इसकी पत्तियां भी काफी दुर्लभ होती है। यही एक बड़ा कारण है, जिसके चलते इस चायपत्ती की कीमत 9 करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम है।

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डा-होंग पाओ टी का इतिहास

डा-होंग पाओ टी की पत्तियों के इतिहास पर बात करें, तो इसकी खेती की शुरुआत चीन के मींग शासन के समय में शुरू हुई थी। चीनी लोगों का कहना है कि उस दौरान मींग शासन की महारानी अचानक बीमार हो गई थी।

उनकी तबीयत इतनी ज़्यादा बिगड़ गई थी कि बचने की संभावना ही नहीं थी। उन पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था।

इसके बाद उन्हें इस चाय को (काढ़े के रूप में) पीने के लिए कहा गया। उन्होंने इसे पीया और पीने के कुछ ही दिनों के बाद वह ठीक हो गईं। महारानी के ठीक होने के बाद राजा काफी खुश हुए और उन्होंने आदेश दिया कि इस खास तरह की चाय की खेती की जाए।

मान्यता है कि मींग शासन से ही इस चाय पत्ती की खेती होती आ रही है। आज कई लोग इस चाय पत्ती के 10 से 15 ग्राम खरीदने के लिए लाखों रुपए चुकाते हैं।