भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई थी, जिसे भोपाल गैस कांड या फिर भोपाल गैस त्रासदी भी कहा जाता है। आपको बता दें कि भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक मिथाइल आइसो साइनाइट ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिससे लगभग 15,000 से अधिक लोगो की जान चली गई थी।
पूर्व-घटना चरण
सन 1969 में यू.सी.आइ.एल.कारखाने का निर्माण हुआ था। जहाँ पर मिथाइल आइसो साइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई थी।
कारकों का योगदान
नवम्बर 1984 तक कारखाना के कई सुरक्षा उपकरण न तो ठीक हालात में थे और न ही सुरक्षा के अन्य मानकों का पालन किया गया था। समस्या भी यह थी कि टैंक संख्या 610 में नियमित रूप से ज़्यादा एम.आई.सी. गैस भरी थी तथा गैस का तापमान भी निर्धारित 4.5 डिग्री की जगह 20 डिग्री था।
गैस का निस्तार
2-3 दिसम्बर की रात्रि को टैंक इ-610 में पानी का रिसाव हो जाने के कारण दबाव पैदा हो गया था और टैंक का अन्तरूनी तापमान 200 डिग्री के पार पहुँच गया था, जिसके तत पश्चात इस विषैली गैस का रिसाव वातावरण में हो गया था।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव
भोपाल की लगाभग 5 लाख 20 हज़ार लोगों की जनता इस ज़हरीली गैस से सीधि रूप से प्रभावित हुई थी। 2,259 लोगों की इस गैस की चपेट में आ कर आकस्मिक ही मृत्यु हो गयी थी।
स्वास्थ्य देखभाल
रिसाव के तुरन्त बाद राज्य सरकार ने गैस पीड़ितों के लिये कई अस्पताल भी खोले थे।
आर्थिक पुनर्वास
जुलाई 1985 में मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने राहत कार्य के लिये लगभग एक करोड़ चालीस लाख डॉलर कि धन राशि लगाने का निर्णय लिया था।
कुशवाहा परिवार का बचना
इस गैस काण्ड में भोपाल का कुशवाहा परिवार बिना किसी हानि के बच गया था। क्योंकि उस परिवार में प्रतिदिन अग्रिहोत्र किया जाता था और उस दिन भी किया जा रहा था।यज्ञ को वातावरण में प्रदूषण के समाधान के लिये वैज्ञानिक उपकरण माना जाता है।
यूनियन कार्बाइड कारखाने के विरुद्ध प्रभार
दुर्घट्ना के 4 दिन के पश्चात, 7 दिसम्बर 1984 को यु.सी.सी. के अध्य्क्ष और सी.ई.ओ. वारेन एन्डर्सन की गिरफ्तारी हुई परन्तु 3 घन्टे के बाद उन्हे 2100 डॉलर के मामूली जुर्माने पर मुक्त कर दिया गया था।
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