पत्नी की याद में बना दिया गिटार की Shape का जंगल

अपनी बेगम मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाकर शाहजहां ने इस दुनिया को मोहब्बत की एक अनोखी मिसाल दी थी। लेकिन इस युग में भी एक इंसान ने अपनी मोहब्बत के लिए जो बनाया, वो किसी ताजमहल से कम नहीं है। उस इंसान ने अपनी पत्नी को श्रद्धांजलि देने के रूप में गिटार के आकार के जंगल बनाने के लिए 7,000 पेड़ लगाए। जंगल तो आपने कई देखे होंगे, लेकिन क्या कभी आपने कोई जंगल Guitar के आकार में देखा है? अगर नहीं, तो आज हम आपको दिखा रहें हैं ऐसा ही एक जंगल जिसे हू-ब-हू Guitar की Shape में लगाया गया है।

इस गिटार के पीछे भी एक प्रेम कहानी है। ये हरे रंग का गिटार एक किसान पेड्रो मार्टिन यूरेटा ने बनाया है, जिनकी उम्र इस समय करीब 70 साल है। 1977 में पेड्रो को अपने जीवनसाथी से अलग होना पड़ा था।  उनकी 25 वर्षीय पत्नी ग्रेसिएला 5वीं बार गर्भवती हुईं थीं। उस दौरान मस्तिष्क की नस फट जाने के कारण उनकी मौत हो गई थी। अपनी पत्नी को श्रृद्धांजलि देने के लिए यूरेटा ने अपने खेत में ये डिजाइन बनाया था और तब से अब तक वो उन खेतों को सींचते आ रहे हैं।

28 साल के पेड्रो ने 17 साल की ग्रेसिएला से शादी की थी। उनके चार बच्चे थे। इस वन को लगाने की प्रेरणा पेड्रो को अपनी पत्नी ग्रेसीला से मिली थी। ग्रेसीला एक दिन विमान में पंपा के ऊपर से गुजर रही थीं तो उनकी नजर एक खेत पर पड़ी। जमीन का वो टूकड़ा देखने में दूध के किसी बर्तन की तरह लग रहा था।

ग्रेसीला ने घर आकर अपने पति से इस बारे बात की और कहा कि उन्हें भी अपनी जमीन पर कुछ बेहतर करना चाहिए और अपने खेत को एक विशाल Guitar का रूप देना चाहिए, क्योंकि ग्रेसीला को Guitar हमेशा से पसंद था। लेकिन अपने कामों में व्यस्त पेड्रो ने कभी उनपर ध्यान नहीं दिया। ग्रेसिला जब उनका साथ छोड़कर चली गईं, तब उन्होंने उनकी इच्छा पूरी करने का फैसला किया।

1979 में पेड्रो ने बिना किसी डिजाइनर की मदद से इस  प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। पेड्रो और उनके चारों बच्चों ने इस मौदान में एक-एक पौधा अपने हाथों से लगाया। ये गिटार के आकार का जंगल 10.2 x12.3 वर्ग किलोमीटर में फैला है। पेड़ों को तब ये ध्यान में रखकर लगाया गया कि बड़े होने पर गिटार का आकार साफ और उभरता हुआ दिखाई दे। पेड्रो ने चारों बच्चों की देखभाल के साथ साथ इस जंगल का भी ख्याल रखा और आज जब वो पौधे, पेड़ बन चुके हैं, तो ये गिटार का जंगल आसमान से साफ दिखाई देता है।

वन को Guitar की बॉडी के 8 का आकार देने और Guitar का साउंड होल बनाने के लिए साइप्रस के पौधों का इस्तेमाल  किया गया, जबकि Guitar की 6 स्ट्रिंगस बनाने के लिए नीलगिरि के पौधे लगाए गए। पेड्रो ने अपनी पत्नी के लिए ये गिटार तो बना दिया लेकिन वो आज तक अपनी इस कृति को देख नहीं पाए।

क्योंकि इसे केवल आसमान से देखा जा सकता है और पेड्रो को आसमान में उड़ने से डर लगता है। यूरेटा ने यह स्वीकार किया कि जवानी के दिनों में एक दर्दनाक हादसे की वजह से वे जहाज में सफर करने से डरते हैं और खुद के द्वारा लगाए गए वन की उन्होंने केवल तस्वीरें ही देखी हैं। लेकिन आसमान से जिस किसी ने भी प्यार की इस निशानी को देखा है, उसका प्रेम पर भरोसा और भी मजबूत हुआ है।

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Husband made Guitar Shape forest in the memory of his wife

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इन 20 नियमों का पालन करके आप परीक्षा में ला सकते है अच्छे अंक

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“पढ़ाई कैसे करें” ? कोई भी इंसान पढाई करते समय अपने पढ़ने की क्षमता और पढ़ने के तरीके को विकसित करना चाहता है, हम यहाँ स्टूडेंट के लिये कुछ प्रभावशाली नियमों को बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर निश्चित रूप से स्टूडेंटस अपने स्कोर को बढ़ा सकते है, और अपने अच्छे और सफल अकादमिक करियर की शुरुआत कर सकते हैं |

1 पढ़ते समय हमेशा सीधे बैठने की आदत डालनी चाहिए |

2 आत्मविश्वास, संकल्प शक्ति एवं एकाग्रतापूर्वक अध्ययन करना चाहिए।

3 प्रश्नों के उत्तरों को रट कर याद करने की कोशिश न करें, बल्कि इनको समझ कर पढ़ने का प्रयत्न करें।

4 दिमाग को पढ़ने के समय ताजगी भरा रखें। इसके लिए शौच क्रिया व्यवस्थित एवं नियमित होनी चाहिए।

5 भोजन को अच्छी तरह से चबा-चबा कर खाये। शुद्ध,सात्विक, संतुलित एवं संयमित भोजन ही करें।

6 फ्रिज़ की बहुत ही ठंडी वस्तुएं,चॉकलेट, टॉफी, चिप्स आदि स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं हैं, इनसे संयम करें।

7 हमेशा जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालिए।

8 हमेशा स्कूल के प्रारंभ होते ही पढ़ने का क्रम शुरू कर देना चाहिए, जिससे परीक्षा में कोई भी परेशानी न आये |

9  पढ़ने के लिए प्रात:काल का समय सबसे उत्तम है | इसलिए सुबह जल्दी उठकर अध्ययन करना चाहिए |

10 पढ़ी हुई चीजों को दोहराना न भूलें |

11 परीक्षा के कम से कम दो घंटे पहले पढ़ना बंद कर देना चाहिए, नहीं तो इससे दिमाग भ्रमित होने लगता है |

12 परीक्षा के पूर्व दो मिनट पहले लम्बी सांस लेकर फिर पेपर लिखना शुरू कर दीजिये |

13 पेपर को अच्छे ढंग से पढ़ कर धैर्य से उत्तर लिखना प्रारंभ करें |

14 परीक्षा देने के लिए जाते वक्त घर के मुख्य दुवार पर खड़े होकर देखिए कि आपका सांस किस नथुने से चल रहा है | जिससे चल रहा हो, पहले उसी ओर का पैर बाहर रखकर चलिए |

15 एक साथ लम्बे समय तक न पढ़ें। बीच-बीच में थोड़ा विश्राम भी करना जरूरी है |

16 पढ़ाई की तरह खेलकूद भी आवश्यक है, पर अधिक टी.वी. देखने से समय और दिमाग दोनों की बर्बादी होती है।

17 स्कूल में अपने प्राचार्य एवं शिक्षकों से अच्छे संबंध रखिए।

18 आलस्य विद्यार्थी जीवन का शत्रु है, अत: उससे आप दूर ही रहें।

19 अधिक जिद्दी स्वभाव आपके व्यक्तित्व को नष्ट कर देगा, अतः इससे बचिए।

20 हर काम नियमित एवं समय पर करने की आदत डालें और अपना कमरा साफ-सुथरा रखिए। (यदि विद्यार्थी इन नियमों का ध्यान रखेंगे तो वे अवश्य ही अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होगा।)

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क्या आपने कभी देखें है समुद्र में तैरने वालें ऊंट

ऊंट को ‘ रेगिस्तान के जहाज़’ के नाम से विख्यात किया जाता हैं. क्योंकि, ऊंट रेगिस्तान की रेत पर बेहद आराम से चल सकते हैं, और वह पानी के बिना भी कई दिन आसानी से गुज़ार सकते हैं। ऊंटों की एक प्रजाति ‘खाराई’ ऐसी प्रजाति है, जो समुद्र में तैरने के लिए भी माहिर है।

‘खाराई’ ऊंट सप्ताह में एक बार समुद्र को तैर कर मैंग्रोव पेड़ों वाले टापू पर पहुंचते हैं, जहां ये ऊंट इन पेड़ों की पत्तियों को जम कर खाते हैं, और दो से तीन दिन आसानी से गुज़ार लेते  हैं।

ये ऊंट अपने रखवालों के साथ समुद्र में 10 किलोमीटर की दूरी को तैर कर गुजरात के कच्छ जिले में खाड़ी के साथ लगते टापुओं पर पहुंचते हैं। ये ऊंट गहरे पानी में तैर कर समुद्र पार करते हैं। खाराई ऊंट मैंग्रोव वनस्पति चरने के लिए काफी मेहनत करते हैं। उथले समुद्री पानी में उगने वाले मैंग्रोव के पेड़ ही इन ऊंटों के मुख्य आहार होते हैं।

इसी लिए खास हैं ये ऊंट

इन ऊंटों के बाल बहुत लम्बे होते हैं। जिनका इस्तेमाल स्टोल, बैग तथा दरियां बनाने में किया जा सकता है। ऐसे ही इन ऊंटों को पालने वाला एक स्थानीय इस्माइल जाट कहता है कि , “ये ऊंट बेहद अनूठे हैं, और इनका दूध पीने से डायबिटीज ठीक हो जाती है।”

खाराई ऊंट के दूध के भी अनेक लाभ हैं, और हाल के दिनों में तो इनके दूध की लोकप्रियता दुनिया भर में बहुत बढ़ती जा रही है। इसी के चलते खाराई ऊंट के दूध के दाम भी आसमान छूने लगे हैं।

समुद्र में इतना लंबा सफर तय करने की क्षमता रखने वाले ये ऊंट भारत में एकमात्र गुजरात के कच्छ जिले में ही पाए जाते हैं। कच्छ में मुंद्र के टुंडावांढ, अबसाडा के मोहाडी, लैयारी और भचाऊ के जंगी गांव में ये ऊंट देखे जा सकते हैं, और भावनगर के अलियाबेट में भी इनकी थोड़ी-बहुत संख्या पाई जाती है।

मानसून में तीन महीने टापू पर रहते हैं ये ऊंट

इन ऊंटों के चरने का इलाका मौसम के अनुसार बदलता रहता है | क्योंकि ये ऊंट अक्सर ही सफर करते रहते हैं, इन्हें पालने वाले इनके लिए कोई पक्का ठिकाना नहीं बनाते | मानसून के मौसम में तो इन ऊंटों को तीन महीने तक टापुओं पर ही छोड़ दिया जाता है | वहां खाई में बारिश का पानी जमा होने से इन ऊंटों के लिए पानी का बंदोबस्त भी हो जाता है| एक ऊंट को प्रतिदिन 20 से 40 लीटर पानी की जरूरत होती है | गर्मियों तथा सर्दियों के दिनों में टापुओं पर ये ऊंट एक साथ 3 दिन से ज्यादा नहीं रहते |

घटती संख्या

गुजरात के 6 तटवर्ती जिलों में इन ऊंटों की संख्या कम होकर 5 हज़ार रह गई है | इन ऊंटों को दो अलग समुदाय पालते हैं- फकीरानी जाट जो इन्हें सम्भालते हैं, और राबरी जो इनके मालिक होते हैं |

इन ऊंटों को पलने वालों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | मैंग्रोव के पेड़ भी कम होते जा रहे हैं , जिससे इन ऊंटों के पारम्परिक चराई मार्ग खत्म हो रहे हैं | इसके अलावा इन ऊंटों की कम हो रही बिक्री और इनके दूध का रख-रखाव करना भी बहुत मुश्किल है |

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अनोखी दुकान, जहाँ मिलती है 100 से अधिक किस्म की चाय

अधिकतर लोगों के लिए यह चेन्नई के दक्षिण रेलवे हैडक्वार्टर्स के आगे मिंट स्ट्रीट पर महज एक स्टाल है परंतु यहां रोज़ाना आने वाले यात्रियों के लिए यह जगह ‘मस्ट’ है।वे यहां आकर टी पीते हैं। इस स्टाल का मालिक चाय की विभिन्न किस्में तैयार करता है जिनमें से कुछ में वह जड़ी-बूटियों का प्रयोग भी करता है।

चाय की दुकान का मालिक के. राजीव चाय की 100 से अधिक किस्में तैयार करता है जिनमें से कुछ तो स्वास्थ्य को लाभ देने वाली भी हैं। उसके पास 2 हज़ार लोग नियमित रूप से आकर चाय का आनंद उठाते हैं। वह आम ,नींबू, अदरक, ग्रीन या हनी टी के अतिरिक्त वह हर्बल टी के 90 मिश्रण नियमित तौर पर बेचता है। केरल निवासी राजीव ने यह टी स्टाल चार वर्ष पहले शुरू किया था। जब उसके दिमाग में अपने ग्राहकों को चाय की वैरायटी देने का विचार आया तो उसने समय नहीं गंवाया। सबसे पहले उसने विभिन्न किस्मों वाली इलायची तथा अदरक वाली चाय ग्राहकों को पेश की।

वह कहता है, “मेरा उद्देश्य ग्राहकों के लिए इसे आसान बनाना है। स्वाद में परिवर्तन ग्राहकों के लिए बहुत अलग बात है। उन्हें यह एहसास होता है कि आम टी बैग्स की निर्माण प्रक्रिया से चाय की ऐसी किस्में प्राप्त की जा सकतीं है। राजीव बताता है कि वह चाय की तैयारी के दौरान तथा इसे स्टोर करने का पूरा ध्यान रखता है ताकि ग्राहकों को उनका अपेक्षित स्वाद मिले। वह कहता है, जब मैं नया था तो मैं सब कुछ बुजुर्गों की सलाह और किताबें पढ़कर किया करता था। मैं रैसिपी को अच्छे से फालो करता था। अब मैं सोचता हूं कि मैं गलत नहीं हो सकता। वह केरल के वायनाड तथा मलप्पुरम के मध्य स्थित दुकान पर पांडीक्कड में नियमित तौर पर जाता है ताकि वहां से वह शहद, सफेद मिर्ची तथा इलायची ला सके। ये सब चीजें वहां से बहुत अच्छी क्वालिटी की मिलती हैं। वह सूखा अदरक, लौंग, तुलसी तथा पुदीना स्थानीय बाज़ार  से खरीदता है।

वह बताता है शहद वाली ग्रीन टी 25 दिन तक पीने से कोलेस्ट्राल कम होता है। हनी, लैमन टी उन लोगों के लिए लाभदायक है जो नाइट शिफ्ट में काम करते हैं क्योंकि यह पाचन में सहायक होती है । यदि कोई हर्बल टी नहीं पीना चाहता तो उसके लिए चाकलेट टी उपलब्ध है। उसके अनुसार हर्बल टी में औषधीय गुण होते हैं। इससे जुक़ाम  को कम करने में सहायता मिलती है। पाचन तंत्र बढ़िया होता है और कई तरह के संक्रमण भी इस चाय से दूर होते हैं। उदाहरण के लिए उल्टी आने पर पुदीने की चाय पीने से लाभ मिलता है। गाल ब्लैडर में पाचक रस को उत्तेजित करके पुदीना पाचन प्रणाली की फैट को कम करता है और इस तरह उल्टी की संभावना कम होती है। इसके अतिरिक्त हर्बल टी का प्रयोग खांसी में भी लाभदायक होता है।

राजीव की अन्य विशेष आफर्स में एक तरह की काढ़ा चाय भी शामिल है जिसमें वृक्ष की छाल-औषधीय जड़ी-बूटियां तथा सुगंध रहित बीजों का प्रयोग किया जाता है। उसके अनुसार अदरक तथा लौंग की चाय की तासीर गर्म होती है, जबकि पुदीने, तुलसी और गुलाब के पत्तों वाली चाय की तासीर ठंडी होती है। उसके अनुसार हर्बल टी की तैयार कोई त्वरित प्रक्रिया नहीं है। इसके के लिए प्रयोग की जाने वाली जड़ी बूटियों की जानकारी तथा चाय बनाने का अभ्यास जरूरी है।

उसके अनुसार उसके कई ग्राहकों की मैडीकल बैकग्राऊंड होने के चलते उसने उनसे बहुत कुछ सीखा। उन्होंने उसे सिखाया हैं कि किस तरह साफ-सुथरे ढंग से चाय परोसी जाए। वह अपने गिलासों को अच्छी तरह से धोता है और इस बात को सुनिश्चित बनाता है कि उसके स्टाल के चलते वातावरण प्रदूषित न हो।

दक्षिण रेलवे हैडक्वार्टर्स के दो हजार से अधिक कर्मचारी उसके ग्राहक हैं। एक सरकारी अस्पताल में काम करने वाली नर्से उसकी दुकान पर चाय पीने के लिए एक किलोमीटर पैदल चल कर आती हैं। कई डाक्टर्स भी उसके ग्राहकों में शामिल हैं।

वह अन्य शहरों में भी अपने टी स्टाल की शाखाएं खोलने का इच्छुक है। वह बताता है,कई होटलों ने मुझे बुलावा भेजा था। मुझे उस वक्त बहुत तसल्ली मिलती है जब मैं पारंपरिक ढंग से अपनी दुकान पर ग्राहकों को चाय परोसता हूं। वह जल्द ही जर्मन तथा जापानी टी परोसने की योजना भी बना रहा है।

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एंटीबायोटिक्स जितना कम उतना बेहतर

एंटीबायोटिक्स जितना कम उतना बेहतर

एंटीबायोटिक ड्रग्स के मामले में खूब सोच-विचार की जरूरत होती है। कई अध्ययन हमें बताते हैं कि हल्के संक्रमण, विशेषकर गले के रोगी एंटीबायोटिक्स के बगैर भी ठीक हो जाते हैं। भारत के अधिकतर हिस्सों में रोगी इस आधार पर अपनी पसंद से एंटीबायोटिक्स खरीदते हैं कि पूर्व में कौन-सी एंटीबायोटिक दवा से उन्हें आराम आया था। ऐसा माना जाता है की एंटीबायोटिक का जितना कम इस्तेमाल करेंगे उतना बेहतर होगा।

अथवा वे ‘सैरोगेट डॉक्टर’ यानी कैमिस्ट से सलाह लेते हैं। डॉक्टर भी तुरंत फोन पर सलाह देते हैं ताकि उन्हें रोगियों से न निपटना पड़े। इस संबंध में कोई आदर्श मापदंड नहीं है कि व्यक्ति को एंटीबायोटिक का सेवन कितनी देर करना चाहिए परंतु डॉक्टरों को लगता है कि इन्हें 3 से 5 दिन लेना चाहिए या जब तक कि इनफ़ेक्शन पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता है। लेकिन क्या यह सही है?

कितनी में देर लें ‘एंटीबायोटिक्स’

कई डॉक्टर जोर देते हैं कि रोगी कई दिनों के एंटीबायोटिक कोर्स को पूरा करें। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मैडीकल एसोसिएशन में प्रकाशित स्पैलबर्ग के एक लेख के अनुसार एंटीबायोटिक्स सेवन का नया मंत्र ‘जितना कम, उतना बेहतर होना चाहिए। एंटीबायोटिक्स के छोटे कोर्स बैक्टीरिया में प्रतिरोधी क्षमता पैदा होने से रोकते हैं। वास्तव में लम्बे कोर्स से शरीर में मौजूद साधारण सूक्ष्मजीव भी एंटीबायोटिक्स के प्रतिरोधी बन सकते हैं और वे भी शरीर पर हमले शुरू कर सकते हैं।

‘साइडल’ बनाम ‘स्टेटिक’

एंटीबायोटिक्स दो तरह के होते हैं। एक वे जो बैक्टीरिया को मारते हैं उन्हें ‘साइडल एंटीबायोटिक्स’ कहते हैं, और दूसरे जो बैक्टीरिया को मारे बिना फैलने से रोकते हैं और उन्हें ‘स्टेटिक एंटीबायोटिक्स’ कहते हैं। यह आम धारणा है कि ‘साइडल एंटीबायोटिक्स’ बेहतर होते हैं परन्तु चिकित्सकीय अध्ययन हमें कुछ और ही बताते हैं। 128 शोधकर्ताओं का एक अध्ययन ‘स्टेटिक एंटीबायोटिक्स’ पर ‘साइडल एंटीबायोटिक्स’ की श्रेष्ठता साबित करने में नाकाम रहा है।

डी.एन.ए. से चिपके रहते हैं एंटीबायोटिक्स

एंटीबायोटिक्स के तत्व हमारी कोशिकाओं के डी.एन.ए. के साथ चिपक जाते हैं और लम्बे वक्त तक वहां रहते हैं। इसके दीर्घकालीन दुष्प्रभावों पर विस्तार से विश्लेषण अभी होना है। जोसफ किंग तथा उनके सहयोगियों का शुरूआती शोध दर्शाता है कि कोशिकाओं में इसी तरह चिपकने वाली आम इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक’ फ्लूओनोक्विनोल्यूज’ कई अन्य बीमारियों की वजह हो सकती है जिनमें ‘गल्फ वार सिंड्रोम’ भी एक हो सकती है।

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रहस्यमई स्थान जहां से कभी कोई नहीं लौटा

 

ज्यादा बुद्धिमान होने से नहीं मिलता है रोमांटिक पार्टनर: अध्ययन

अगर कोई बहुत बुद्धिमान और ज्यादा चिंता या परवाह न करने वाला व्यक्ति है तो यह एक खूबी हो सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे रोमांटिक लाइफ भी प्रभावित हो सकती है? जी हाँ, आपको अपने बुद्धिमान होने का कुछ खमियाजा भी भुगतना पड़ सकता है क्योंकि इससे एक रोमांटिक पार्टनर तलाश करने के मौके कम हो सकते हैं। एक शोध में यह दावा किया गया है।

रोमांटिक पार्टनर तलाश करने के मौके

यूनिवर्सिटी ऑफ वैस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने कई विशेषताओं बारे 383 युवाओं पर एक सर्वेक्षण किया कि जो वह अपने रोमांटिक पार्टनर में देखना चाहते हैं। इसमें 4 अहम गुण थे बुद्धिमता, चिंता न करना, दयालुता और शारीरिक आकर्षण।

यह अध्‍ययन ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। इसमें पाया गया है कि 99 फीसदी लोग बहुत अक्‍लमंद पार्टनर नहीं चाहते हैं। वह उसमें ज्यादा चिंता या परवाह करने की खासियत भी नहीं चाहते हैं। हालांकि दयालुता और बुद्धिमत्ता दो सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं जो कोई एक रोमांटिक पार्टनर में तलाश करता है।

यूडब्ल्यूए के गिल्स गिग्नाक ने कहा कि पहले हुए शोध में पता चला है कि ज्यादा बुद्धिमान होने के गुण को लेकर कुछ लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है। इसी तरह ज्यादा चिंता या परवाह न करने को भरोसे या चाहत की कमी के तौर पर देखा जा सकता है।

तो समझ गए न! शायरों ने सच ही कहा है कि प्‍यार, इश्‍क और मोहब्‍बत के मामले दिमाग से नहीं दिल से समझे जाते हैं.

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रहस्यमई स्थान जहां से कभी कोई नहीं लौटा

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दुनिया में बहुत कुछ रहस्यमई है. आज हम आपको ऐसे दो स्थानों के बारे में बताने जा रहे है जहाँ जाकर आज तक कोई कभी लौट के वापिस नहीं आया.

बरमूडा ट्रायंगल

बरमूडा ट्रायंगल अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में स्थित है , और इसके पास से गुज़रने वाले अनेक समुद्री जहाज़ गायब हो चुके है और इसके साथ साथ कई हवाई जहाज़ जो इसके ऊपर से भी उड़े वो भी रहस्मयी तरीके से गायब हो गए है। लम्बे समय से ये बेहद डरावना रहस्य रहा है की आखिर इतने सारे जहाज़ कहा गुम हो गए। इनके डूबने या पानी में गिरने की भी पुष्टि नहीं हो पायी क्योंकि न ही इन जहाजों का कभी मलबा मिला न ही इनमे सफर करने वाले लोगों में से कोई जीवित या मुर्दा मिला।

इस बरमूडा ट्रायंगल के बारें में माना जाता है की की ये अपने आस पास से गुज़रने वाली हर चीज़ को आपने पास खींच लेता है और उसके बाद क्या होता है कोई नहीं जानता। कई बार इसके रहस्य को सुलझाने के दावे हुए पर किसी के पास भी पुख्ता सबूत नहीं थे। लगातार जहाज़ों के गायब होने के चलते तकरीबन 500 साल बाद इसे ‘डेंजर रीजन’ का नाम दे दिया गया था और अब जहाज़ों को इस क्षेत्र के नजदीक से निकलने की रोक लगा दी गयी है।

लॉस्ट डचमैनस गोल्ड माइंस

दुनिया में बरमूडा ट्राइंगल के अलावा भी एक ऐसा अन्य स्थल हैं जो आज भी लोगों के लिए रहस्य बना हुआ हैं। वह  रहसयमई जगह सुपरसटीशन माऊंटेन एरिज़ोना में है जो की “लॉस्ट डचमैनस गोल्ड माइंस (Lost Dutchman Gold Mines )” के नाम से जानी जाती है।  इस जगह से कई जहाज और लोग गायब हो चुके हैं। | सुपरसटीशन माऊंटेन एरिजोना के फीनिक्स में स्थित है।

बताया जाता है कि 1800 के दशक में यहां सोने की बड़ी खदान मिली थी। ऐसा कहा जाता है कि जो इंसान इस खदान के पास जाता है उसे यहां मौजूद आत्माएं गुम कर देती हैं या फिर भगा देती हैं।

एक किवदंती के अनुसार यह  सोने की खदान अमेरिका के साउथ वेस्टर्न इलाके में है। यह ऐरिजोना में ईस्ट फोनिक्स के पास अपाचे जंक्शन के पास है। यहां की अपाचे जनजातियों (Apache tribes) के बीच यह मान्यता है कि गर्जना का देवता ईष्र्यालु है और किसी को भी इस खजाने के पास जाने नहीं देना चाहता |

1510 -1524 के बीच स्पेन के फ्रांस्सिको वास्क डी कोरोनाडो ने इस खदान को खोजने की कोशिश की थी | इस खज़ाने को खोदने के लिए उन्होंने जिन लोगों को इस काम में लगाया, उनकी एक के बाद एक सबकी मौत हो गई | हालांकि यहाँ 1845 में डॉन मिगुएल पेराल्टा को कुछ सोना मिला, लेकिन स्थानीय अपाचे आदवासियों ने उनको मौत के घाट उतार दिया | 1931 में इसी ख़जाने को खोजने के चक्कर में एडोल्फ रूथ लापता हो गए थे, और इसके 2 साल बाद उनका शव मिला था | 2009  डेनवर निवासी जेस केपेन ने यह खजाना खोजने की कोशिश की, लेकिन 2012 में उनका भी यहां पर शव मिला था |

भूटान की पहचान – टाइगर नेस्ट
 

 

 

 

 

 

 

भूटान की पहचान – टाइगर नेस्ट

भारत का पड़ोसी देश भूटान अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस देश में बहुत सी ऐसी जगहें और मंदिर हैं, जो इस देश को खास बनाते हैं। उन्हीं जगहों में से एक है हजारों फीट ऊंची चट्टान में बना बौद्ध मठ, जिसे टाइगर नेस्ट मठ कहा जाता है। जानिए कैसा है यह बौद्ध मठ:

टाइगर नेस्ट मठ आज पूरी दुनिया में भूटान की पहचान है। यह भूटान के सबसे पवित्र बौद्ध मठों में से एक है। यह स्थान 3000 फीट ऊंची चट्टान पर बना हुआ है। यह मठ एक पहाड़ी की चोटी पर बना है। इस मठ को 1692 में बनाया गया था। यह मठ भूटान की राजधानी थिंपू से कुछ घंटों की दूरी पर है। यह बौद्ध भिक्षुओं के रहने का विशेष स्थान है और यहां इनकी दैनिक गतिविधियों को करीब से देखा जा सकता है।

इस बौद्ध मठ को तक्तसांग मठ (Taktsang Monastery) भी कहा जाता है। यह पारो घाटी में एक ऊंची पहाड़ी पर टंगा सा दिखाई देता है। सड़क से देखने पर पहाड़ पर चढना अंसभव सा ही लगता है। रास्ते में कुछ जगहों से टाइगर नेस्ट दिखाई देता है। इस मठ में भूटान की अद्भुत कला देखने को मिलती है। इस ऊंचे धार्मिक स्थल तक पहुंचने के लिए पगडंडी से होते हुए जाना पड़ता है। इस रास्ते से पैदल चलकर मठ तक पहुंचा जा सकता है।

पहाड़ी की चोटी पर बना मठ कई हिस्सों में बना है। चोटी के  साथ ऊपर उठते कई मंदिरों का समूह है। यहां कुल चार मुख्य मंदिर हैं। इसमें सबसे प्रमुख भगवान पद्मसंभव का मंदिर है जहां उन्होंने तपस्या की थी। इस मठ के बनने की कहानी भी भगवान पद्मसंभव से ही जुड़ी है। भूटान की लोककथाओं के अनुसार इसी मठ की जगह पर 8वीं सदी में भगवान पद्मंसभव ने तपस्या की थी।

पहाड़ी की चोटी पर बनी एक गुफा में रहने वाले राक्षस को मारने के लिए भगवान पद्मसंभव एक बाघिन पर बैठ तिब्बत से यहां उड़कर आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने राक्षस को हराया और इसी गुफा में तीन साल, तीन महीने, तीन सप्ताह, तीन दिन और तीन घंटे तक तपस्या की। क्योंकी भगवान पद्मसंभव बाघिन पर बैठ कर यहां आए थे इसी कारण इस मठ को टाइगर नेस्ट भी बुलाया जाता है। भगवान पद्मसंभव को स्थानीय भाषा में गुरू रिम्पोचे की कहा जाता है।

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जानिए कैसे सजाएं घर के छोटे बेडरूम को

जानिए कैसे सजाएं घर के छोटे बेडरूम को

बैडरूम घर का सबसे सुखद स्‍थान होता है, सुखद स्‍थान इसलिये क्‍योंकि, यह आराम करने का स्‍थान होता है। आप इसे स्‍पेशल रूम भी कह सकते हैं, क्‍योंकि यहां पर आ कर आप दुनिया भर की थकान भूल कर मज़े का समय बिताते हैं। तो इसलिए आपको इसके इंटीरियर पर भी खास ध्‍यान देना चाहिए। यदि आपने नया घर लिया है, और आपको समझ में नहीं आ रहा है, कि आपने बैडरूम को कैसे सजाएं, और अगर आप अपने छोटे बैडरूम को अच्छी तरह से सजाना चाहते है, तो हम आपकी मदद करेगे। हम आपको बताएंगे कि एक प्रोफेशनल की तरह अपने छोटे बैडरूम का इंटीरियर कैसे रखें।

छोटे बैडरूम की यूं करें सजावट

एक घर में बेडरूम काफी महत्वपूर्ण होता है, परंतु यदि यह छोटा हो तो आपको फर्नीचर रखने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है | यदि आप थोड़ा सा ध्यान हर चीज पर दें, तो छोटे बैडरूम को भी खूबसूरत ढंग से सजाया जा सकता है | इससे न केवल आपके बैडरूम का साइज बड़ा दिखाई देगा बल्कि यह आपके लिए आरामदायक भी होगा |

वॉल पेंट

दीवारों के लिए कुछ इस तरह का पेंट चुनें जो रात को शांति प्रदान करे और दिन में फ्रैशनैस का एहसास दे| छोटे बैडरूम में सफेद, क्रीम और बिंज पेंट ज्यादा खिलते हैं |

सही लाइटिंग

अपने बैड के पास लाइट फिक्स करें | आप जमीन पर लैंप न रखकर उसे सीलिंग से हैंग कर सकते हैं, जिससे आपकी काफी जगह बच जाएगी |

बैड

ऐसा बैड खरीदें जिसके अंदर काफी सामान आ सके | इसके अलावा आप फोल्ड करने वाले बैड का भी चुनाव कर सकते हैं, इससे आपके बैडरूम में काफी जगह बढ़ जाएगी |

कैबिनेट

एक हाई लैवल की कैबिनेट खरीदें, जिसमें काफी जगह उपलब्ध हो |

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