अपने खेत में इस डरावनी चीज़ को देख कर सहम गई महिला!

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दक्षिणी ब्राज़ीलियन राज्य के सांता कैटरीना में एक कपल को अपने घर के पीछे आलू काटते हुए दिखी एक ऐसी चीज़ जिसे देखकर वह डर गए. यह ऐसी चीज़ थी जिससे शायद ही किसी ने पहले कभी देखा होगा. वो देखकर कपल को बहुत ही हैरानी हुई और उन्हें अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ. अब वह इस अनोखी चीज़ को लोगों के लिए प्रदर्शनी के लिए रखने का मन बना रहे है.

पेशे से किसान मारली और पाउलो सिक्किनेल ने छह साल पहले अपने घर के पीछे खेत मे आलू भी लगाए थे. अब जब वह खेत से आलू काटने गए तो डर गए. उन्हें इंसान के पैर के आकार जैसी चीज़ दिखी. जब उन्होंने उसे उठाया तो पता चला वो चीज़ और कुछ नहीं आलू है जो उन्होंने खेत मे लगाया था.

मारली के मुताबिक, इंसान के पैर के आकार वाले इस आलू का वज़न करीब करीब आठ किलोग्राम है. यह आलू पैर के अकार का है जिसकी उँगलियाँ जड़ों से ढकी हुई है. यह उनके लिए एक नई चीज़ थी इसीलिए उन्होंने यह फैंसला किया है कि उसकी प्रदर्शनी लगाएंगे ताकि और लोग भी उसे देख सके.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ इससे पहली भी ऐसी अजीबोगरीब आकार की सब्जीयां देखी गई हैं. कहीं सेठ के आकार में बैठी हुई मूली तो कहीं खरगोश के आकार में टमाटर. वैज्ञानिकों की माने तो ऐसा खेतों में केमिकल या सब्जियों मे लगने वाले इंजेक्शन की वजह से होता है. वहीं कई बार पूर्ण रूप से विकसित ना हो पाने कि भी वजह से सब्जियां ऐसा आकार ले लेती है.

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550 सालों से तपस्या कर रहे हैं ये संत, आज भी बढ़ रहे हैं बाल, नाखून

550 सालों से तपस्या कर रहे हैं ये संत, अभी भी बढ़ रहे हैं बाल और नाखून

पौराणिक कथाओं में आप सब ने यह बात तो सुनी होगी कि ऋषि मुनि देवताओं को प्रसन्न करने के लिए तपस्या में लीन हो जाते थे। देवता भी इनकी तपस्या से खुश होकर इन्हें कोई न कोई वरदान देते थे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 550 सालों से ध्यान मुद्रा में बैठे हैं।

आपको यह सुनकर यकीन तो नहीं होगा परंतु यह बात बिलकुल सच है। तिब्बत से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर लाहुल स्पिती के गीयु नामक गांव में एक संत की ममी मिली है।

इस संत की ममी आज भी उसी ध्यानमग्न अवस्था में पाई गयी है। हैरानी की बात तो ये है कि इस संत की ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे है, इसलिए एक्सपर्ट इन्हें ममी मानने से इनकार कर रहे हैं।

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गाँव वालों का कहना है कि पहले यह ममी एक स्तूप में स्थापित थी परंतु इसको मलबे से निकालकर इसका परीक्षण किया गया तो पता चला की यह 550 साल पुरानी है। एक्सपर्ट का मानना है कि बिना किसी लेप लगाये और जमीन में इतने सालों दबे रहने के बाद भी इस ममी में किसी तरह की कोई खराबी नहीं हुई है ।

गाँव के बड़े बुजुर्गों ने बताया कि 15वीं शताब्दी में यहां एक संत तपस्या कर रहें थे। उस समय गाँव में बिछुओं का प्रकोप था। गाँव को इस प्रकोप से बचाने के लिए ही संत ने ध्यान लगाना प्रारंभ किया। जैसे ही संत ने समाधि ली, वैसे ही गाँव में बिना बारिश के इन्द्रधनुष निकला और गाँव में बिछुओं का प्रकोप खत्म हो गया था।

कुछ लोगों का मानना ये है कि ममी बौद्ध भिक्षु सांगला तेनजिंग की है। तिब्बत से भारत आने के बाद वह इसी गाँव में ध्यान लगाकर बैठ गये थे और फिर कभी उठे ही नहीं। इस ममी के बाल और नाखून ही नहीं बढ़ रहे हैं, सिर से खून भी निकल रहा है।

गाँव वालों ने बताया कि खुदाई के दौरान ममी के सिर पर कुदाल लग गयी जिसके बाद उनके सिर से खून निकलने लग गया था। आज भी ममी के सिर पर चोट का निशान देखा जा सकता है।

इस ममी को एक शीशे के केबिन में रखा गया है, जिससे इस ममी को कोई नुकसान ना हों। अगर आप भी इस ममी को ध्यान से देखेंगे तो पता लग जाएगा ये ममी अभी भी ध्यान की अवस्था में है।

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इन पांच शहरों में हैं ‘जीवन का सर्वोत्तम स्तर’

सड़क पर लगे एक मील-पत्थर का रंग क्या कहता है, जानिये तथ्य!

जब आप सड़क मार्ग से सफर करते है तो आपने सड़क किनारे किलोमीटर बताने वाले पत्थर तो देखे ही होंगे, जिन्हे मील पत्थर भी कहा जाता है। ये पत्थर मार्गों में इसलिए लगाए जाते है ताकि मार्ग पर चलने वाले यात्री एक शहर से दुसरे शहर के बीच की सही दूरी जान सकें। क्या आपने कभी ध्यान दिया है, यह पत्थर अलग अलग रंगों के होते है। इन पत्थरों में सफेद रंग के साथ पीले, हरे, नीले, काले, लाल रंग की पट्टी होती है। आइये जानते है कि अलग अलग रंगों के इन पत्थरों से क्या संकेत मिलता है:

पीले रंग का पत्थर:

सड़क पर चलते वक्त या ड्राइव करते वक्त जब किलोमीटर बताने वाले पत्थर का रंग पीला हो तो समझ जाएये की आप नेशनल हाईवे या राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे हैं। इन रंगों का इस्तेमाल सिर्फ नेशनल हाईवे वाले पत्थरों पर ही किया जाता है। इन सड़कों की निर्माण और रख-रखाव की जिम्मेवारी केंद्र की होती है।

हरे रंग का पत्थर:

जब आपको सड़क पर हरे रंग का मील का पत्थर दिखाई दे तो आप नेशनल हाईवे से निकल कर स्टेट हाईवे पर पहुंच चुके हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ता है। इन सडक़ो की देखभाल की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।

नीले या काले रंग का पत्थर:

अगर आपको सड़क किनारे नीले या काले रंग का पत्थर दिखे तो आप किसी बड़े शहर या जिले में आ गए हैं।  ये सड़क उस जिले के अधीन है। साथ ही वह सड़क आने वाले जिले के नियंत्रण में आती है। इस सड़क का रखरखाव भी उस शहर के प्रशासन द्वारा ही किया जाता है।

सफेद रंग का पत्थर:

कई जगह पूरे सफेद रंग के मील पत्थर भी लगे होते हैं, इनका मतलब भी यही है, कि आप किसी शहर की तरफ जा रहे हैं। इस सड़क का रखरखाव भी उस शहर के प्रशासन द्वारा ही किया जाता है।

नारंगी रंग का पत्थर:

अगर आपको नारंगी रंग का मील का पत्थर नजर आ जाए तो आप किसी गांव या फिर गांव की सड़क पर हैं। यह सडकें प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के तहत बनाई गई होती हैं।

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बांस से बना एक अनोखा पुल जिसे हर साल बारिश में तोड़कर गर्मियों मे दोबारा बनाया जाता है

इन पांच शहरों में हैं ‘जीवन का सर्वोत्तम स्तर’

एक अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टैंसी फर्म मरसर ने क़्वालिटी ऑफ़ लिविंग रैंकिंग जारी की है जिसमें दुनिया भर के शहरों को जीवन की गुणवत्ता के आधार पर रैंकिंग दी गई है। प्रतिवर्ष यह रैंकिंग नियोक्ताओं की सहायता के लिए जारी की जाती है ताकि वे शहरों के अनुसार वहां काम करने वाले अपने कर्मचारियों को भत्ते दे सकें। सूची के अनुसार ये जीवन स्तर की गुणवत्ता के लिए इन शहरों को टॉप 5 शहरों की सूचि में शामिल किया गया है।

वियना (ऑस्ट्रिया):

सर्वे के अनुसार रहने के लिए यह दुनिया का सर्वोत्तम शहर है। ऑस्ट्रिया की इस राजधानी में कला में रुचि रखने वालों के लिए बहुत कुछ है, साथ ही यहां टॉपक्लास रेस्तरां, शानदार स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड):

स्विट्जरलैंड का सबसे बड़ा वाणिज्यिक केंद्र ज्यूरिख देश की मशहूर फाइनांशियल इंडस्ट्री का केंद्र है। यहां उच्च स्तरीय जीवन के लिए सब कुछ है। हालांकि, यह महंगा भी बहुत है।

ऑकलैंड (न्यूजीलैंड):

यह शहर दो विशाल बंदरगाहों के आस पास बसा है। अपनी संतुलित अर्थव्यवस्था, रमणीय वातावरण और सुरक्षा के उच्च स्तर की वजह से यह बार बार इस सूची में शामिल होता रहा है।

म्यूनिख (जर्मनी):

जर्मनी के इस दूसरे सबसे मशहूर शहर को इस वर्ष भी गत वर्ष वाली चौथी रैंकिंग मिली है जिसका कारण यहां की मजबूत अर्थव्यवस्था और जीवन का अच्छा स्तर है।

वैंकूवर (कनाडा):

प्रशांत महासागर के सघन जनसंख्या वाले इस तटवर्ती शहर में सांस्कृतिक विविधता कूट- कूट कर भरी है जो इसे रहने के लिए एक उपयुक्त स्थान बनाती है।

भारतीय शहरों की रैंकिंग:

भारत में जिन दो शहरों को सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली है वो हैदराबाद और पुणे हैं। दोनों को ही दुनिया भर में 142 वीं रैंकिंग दी गई है। इसके बाद बैंगलोर को 149, चेन्नई को 151, मुंबई को 154, कोलकाता को 160 और नई दिल्ली को 162वीं रैंकिंग दी गई है।

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बांस से बना एक अनोखा पुल जिसे हर साल बारिश में तोड़कर गर्मियों मे दोबारा बनाया जाता है

कंबोडिया के पास मेकोंग नदी पर बांस का बना एक ऐसा अनोखा पुल है, जो अपनी संरचना के लिए दुनिया भर में काफी मशहूर है। इस पुल की ख़ास बात यह है कि इसको  गर्मी के मौसम में बनाया जाता है और बारिश शुरू होते ही इसको तोड़ दिया जाता है। यह पुल कामपोंग चाम और कोह पेन को एक-दूसरे से जोड़ता है।

कंबोडिया के इस 3300 फ़ीट लंबे पुल को बनाने के लिए हर साल तक़रीबन 50 हज़ार बांस लगते हैं| हर साल मई से नवंबर के बीच बारिश के मौसम में इस पुल में लगे बांस को खोलकर रख लिया जाता है। अगले साल फिर गर्मियों के मौसम में इसका इस्तेमाल करके फिर से पुल का निर्माण किया जाता है।

इस पुल को हर साल इसलिए तोड़ा जाता है, क्योंकि बरसात के मौसम (मई से नवंबर) में मेकोंग नदी का जल स्तर काफ़ी बढ़ जाता है, और कही  बांस पानी में बह न जाएं,इसलिए, इनको खोलकर रख लिया जाता है, और  गर्मियों में फिर से इसका इस्तेमाल कर के  पुल का निर्माण किया जाता है  |

इस पुल को इस तरह से बनाया जाता है कि इसमें पैदल यात्री, साइकिल, मोटरबाइक, कार और ट्रक भी असानी से गुजर सके |.इस पुल से गुज़रने वाले लोगों को टैक्स के रूप में 100 रिएल चुकाने पड़ते हैं,जब कि विदेशी पर्यटकों को इसके लिए 40 गुना अधिक कीमत चुकानी पड़ती है|

पिछले साल मेकोंग नदी पर इस पुल के पास कंक्रीट का पुल भी बन चूका है। इससे लोगों में डर हो गया है, कि कही बांस के पुल की परंपरा खत्म ना हो जाये । मगर यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों का कहना है, कि बांस का यह पुल अब भी पूरी मजबूती से बना हुआ है। अब इस पुल का सिर्फ पैदल यात्री ही  इस्तेमाल करते हैं।

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भारत का एक अनोखा गांव जो व्हिसलिंग विलेज के नाम से मश्हूर है

भारत के मेघालय राज्य  में स्थित कांगथांग गांव एक ऐसा गांव है, जहां लोग एक दूसरे को नाम से नहीं बल्कि सीटी बजाकर बुलाते हैं। इस लिए इस गांव को व्हिसलिंग गांव के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर लोग एक दुसरे को  बुलाने के लिए अलग-अलग स्टाइल में व्हिसल करते हैं।  इस गांव में बहुत सारी ट्राइब्स के लोग रहते हैं|

जिस तरह से किसी खास काम के पीछे कोई कहानी या तथ्य जुड़ा होता है, ठीक उसी प्रकार यहां भी सीटी को प्रयोग करने के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। माना जाता है, कि सीटी बजाकर बात करने की परंपरा किसी पुरानी घटना से जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार गांव का एक आदमी दुश्मनों से अपनी जान बचाकर भागता हुआ, किसी पेड़ पर चढ़ गया था। मदद के लिए उसने अपने दोस्तों को बुलाने के लिए  किसी जंगली आवाज का प्रयोग किया ताकि उसकी आवाज दुश्मन न पहचान सकें। जिसके बाद उसके दोस्तों ने उसकी जान को  उन दुश्मनों से बचा लिया था, और इस घटना के बाद ही गांव में सीटी बजाकर बात करने की परंपरा शुरू हो गई थी |

इस गांव मे  हर शख्स को दो नाम दिए जाते  है, पहला नाम हमारी तरह ही साधारण नाम होता है और दूसरा व्हिसलिंग ट्यून नाम होता है । गांव के लोग साधारण नाम से बुलाने की बजाय व्हिसलिंग ट्यून नाम से ही एक दुसरे को
बुलाते हैं। इस लिए हर शख्स की व्हिसलिंग ट्यून अलग-अलग होती है ,जो की उनके नाम और उनकी पहचान का काम करती है। गांव में जब बच्चा पैदा होता है, तो यह धुन उसको उसकी मां देती है फिर बच्चा धीरे-धीरे अपनी धुन पहचानने लग जाता है।

कांगथांग गांव में करीब 109 परिवार के 627 लोग रहते हैं , यानी कि इस गांव में कुल 627 धुन हैं. इस गांव मे  रहने वाले लोग इस धुन को प्रकृतिक ढंग से बनाते हैं. खासकर नई धुन को चिड़ियों की आवाज से ही बनाया जाता है|

जब भी गांव के लोग कोई भी धुन बजाते  हैं, तो वो धुन दूर तक गूंजती है, कयोंकि कांगथांग गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। मतलब की  गांव के लोगों का यह बातचीत करने का तरीका भी वैज्ञानिक रूप से सही है। वक्त बदलने के साथ-साथ यहां के लोग भी बदलने लगे हैं। अब यह लोग अपने धुन वाले नाम को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर उसे रिंगटोन भी बना लेते हैं।

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स्वर्ग लोक से कम नहीं है सिंगापुर के यह बगीचें

सिंगापुर में 9 बेहद सुंदर बगीचें हैं। इन बगीचों में 150 प्रजातियों के 30 हज़ार तरह के पौधे है। यह पौधे हर किसी का मन मोह लेते हैं। इन बगीचों में रंग-बिरंगे फूलों की महक के बीच हर किसी को स्वर्ग लोक जैसा अहसास होता हैं। सिंगापुर में 101 एकड़ में फैले इन बगीचों को “गार्डन्स बाई द बे” कहते है। यह बगीचें हर किसी को अपने सुंदर नज़ारों से आकर्षित करते है।

यहां विश्व का सबसे बड़ा कांच का ग्रीन हाउस भी है, जिसे “द फ्लॉवर डोम” के नाम से जाना जाता है। इस जगह को समुद्र में मिट्टी डालकर तैयार किया गया है। “द फ्लॉवर डोम” में बहुत सुंदर बगीचें है, जिनमें अफ्रीका, अमेरिका, एशिया आदि महाद्वीपो के एक से बढ़कर एक फूल और पौधे उगाए जातें  हैं।

फूलों की प्रदर्शनियां:

हर साल यहाँ 16 मार्च से 8 अप्रैल तक चैरी ब्लॉसम प्रदर्शनीआं लगाई जाती है, जिस के दौरान यहां गुलाबी रंग के चैरी फूलों की बहार देखने को मिलती है। फूलों से भरे चैरी ब्लॉसम पेड़ों के बीच बने मार्ग पर सैर करते हुए जापानी थीम वाली चीज़ें जैसे कि टी-हाऊस, रिक्शा, टोरी गेट्स आदि को करीब से देख सकते हैं। सारा माहौल जापानी प्रतीत होता है, और तो और वहां बड़ी बड़ी गुड़ियों ने जापान की पारम्परिक परिधान कीमोनो पहनी होती है जिसमें वह बहुत खूबसूरत दिखतीं  है।

गार्डन ऑफ मैजिकल बरोज:

इस गार्डन में अलग- अलग रंगों के ट्यूलिप फूलों की सुंदरता सबको अपनी और आकर्षित करती हैं। इस बगीचे में 13 अप्रैल से 13 मई तक “टूयूलिप मोनिया” प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। इसके लिए बगीचे को रंग- बिरंगे अंडों, खिलौनों और खरगोशों से स्पेशल सजाया जाता है। 25 मई से 1 जुलाई के बीच “बेगोनिया ब्रिलियंस” नामक फूलों की प्रदर्शनी में बेगोनिया फूलों को रचनात्मक ढंग से पेश किया जाता है।

बादलों का जंगल:

“गार्डन्स बाई द बे” में ही स्थित ‘क्लाऊड फॉरेस्ट’ में कोहरा और 60 हज़ार पौधे एक रहस्यमयी जगत जैसे प्रतीत होते हैं। यहीं आपको विश्व का सबसे ऊंचा “इंडोर वाटरफॉल” दिखाई देगा, जिसमें 35 मीटर ऊंचाई से पानी गिरता है। इस झरने के करीब ही सैर करते हुए आप शीतल हवाओं और इस झरने का एक व्याकुल करने वाला नज़ारा देख सकते हैं। यहां ‘क्लाऊड वॉक’ से लेकर ‘ट्री टॉप वॉक’ जैसे रोमांचक बंदोबस्त भी सबको लुभाते हैं।

क्लाऊड फॉरेस्ट थिएटर तथा गैलरी:

यहां “ग्रीन वर्ल्ड” तथा +5 डिग्रीज जैसी फिल्मों को देख कर दुनिया भर को प्रभावित कर रहे जलवायु परिवर्तन के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। यहीं एक कला दीर्घा भी है जहां तरह तरह के ग्राफिक्स, डायग्रामस तथा कलाकुर्तियां आदि प्रदर्शित है जो धरती के पर्यावरण, जीव- जंतुओं के बारे में बहुत कुछ बताती हैं।

सुपरट्रीज एंड स्काईवे:

यहां विशाल टावरों को विशाल पेड़ों जैसे रूप दे रखें हैं, जिसमें अलग- अलग  प्रकार के पौधे लगाए गए हैं, जिससे हर टावर एक विशाल पेड़ जैसा लगता है। इन में कुल मिला कर 200 प्रजातियों के डेढ़ लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। इन पेड़नुमा  विशाल टावरों पर एक स्काईवे भी बना है। जहां से बगीचे के साथ लगती मरीना खाड़ी का भी सूंदर नज़ारा दिखाई देता है। शाम ढलने के बाद सिंगापुर रोशनी में नहाने लगता है। इन बगीचों में 7.45 और 8.45 बजे एक लाइट एंड साऊंड शो का आयोजन होता है, जिसका मज़ा लेने वहां बहुत लोग आते हैं।

इन सब के अलावा इस “गार्डन्स बाई द बे” में आकर्षणों की भरमार है। ठंडे, रूखे भूमध्यसागरीय जलवायु वाले इस स्थान में हज़ार वर्षों से प्राचीन जैतून के पेड़ों के बीच टहलते हुए एक अलग ही अहसास होता है। “सीक्रेट गार्डन” में चूना पत्थर के जंगलों और गुफाओं के विविधतापूर्ण वास को देख सकते हैं। यहां कुछ दुर्लभ बेगोनिया भी मौजूद हैं।

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पैसे वाला पेड़

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Gardens by the bay is like fairy land

ये पैसे वाला पेड़ कर सकता है अापकी मुरादें पूरी

आज तक अापने यही सुना था कि पैसे पेड़ पर नहीं लगते, लेकिन क्या आपको पता है कि यह बात सच नहीं है, क्योंकि ब्रिटेन में एक ऐसा पेड़ मिला है जिसमें हज़ारों सिक्के जुड़े हुए है। यह पेड़ करीब 1700 साल पुराना है। इस पेड़ पर पैसे उगे नहीं हैं, बलकि इस पर हजारों की संख्या में सिक्के जड़े हुए हैं।

आपको बता दें कि यह पेड़ मुरादें पूरी करने वाले पेड़ के रूप में भी प्रसिद्ध है। खास बात ये है कि यहां सिर्फ ब्रिटेन के ही नहीं, बलकि दुनियाभर के अलग-अलग देशों के सिक्के लगे हुए हैं। असल में इस पेड़ को लेकर लोगों में ये मान्यता है कि जो इस पेड़ पर सिक्के जड़ेगा उसकी कामना पूरी होगी है।

इस वृक्ष पर इच्छा पूरी करने के मकसद से लगाए गए ये सिक्के सदियों पुराने हैं, क्योंकि इन पर तारीख सदियों पुरानी है।

दुनिया भर के लोग अपने-अपने देश के सिक्के इसके तनों से लेकर टहनियों तक चिपकाते हैं। इस पेड़ की वजह से यह क्षेत्र टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है।

यह पेड़ देखने में खजाने के ढेर की तरह लगता है। इस पेड़ पर ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां सिक्के ना हों। कुछ लोगों का मानना है कि इस पर किसी शक्ति का वास है, इसलिए इस पेड़ के आस-पास सकारात्मक माहौल बना रहता है।

यह भी मान्यता है कि अगर बीमार व्यक्ति अगर पेड़ पर एक सिक्का गाड़ देता है, तो वह जल्द अच्छा हो जाता है। यहां पर सुख-समृद्धि की कामना करने वालों के साथ-साथ प्रेमी जोड़े भी काफी आते हैं।

प्रेमी जोड़े यहां पर अपने रिश्ते में मिठास बना रहे इसके लिए पेड़ पर सिक्का लगाते हैं। मान्यताओं का ही नतीजा है कि यहां पर लोग हर साल क्रिसमस पर प्रार्थना करने आते हैं।

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जानिए दुनिया के 5 सबसे महंगे होटल के बारे में

वैसे तो आपने दुनिया के बहुत से होटल देखे होंगे और वहां अापने स्टे भी किया होगा, लेकिन आज हम आपको दुनिया के आलीशान और सबसे महंगे होटल्स के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बता दें कि ये होटल्स महंगे जरूर हैं, लेकिन जो सुविधा इनमें दी जाती है वो आपको कही और नही मिलेगी। इन होटलों की विशेषता को जानने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें है।

रॉयल पैंटहाउस सुइट, स्विट्जरलैंड

औसतन  एक  रात  का  स्टे- 80000 डॉलर

रॉयल पैंटहाउस, दुनिया के सबसे महंगे होटलों मे से एक है। यह पैंटहाउस लेमन झील के किनारे पर स्थित है। इसमें 12 बेडरूम, 12 संगमरमर बाथरूम, और इस होटल मे ओल्फसेन प्लाज्मा टेलीविजन है, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा टेलीविज़न है। इसकी खिड़कियां उच्च प्रोफ़ाइल मेहमानों की रक्षा के लिए बुलेटप्रूफ का काम करती हैं।

ग्रैंड पैंटहाउस, न्यूयॉर्क सिटी

औसतन एक रात का स्टे- 75000 डॉलर

ग्रैंड पैंटहाउस संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा होटल है। जिसमें सेंट्रल पार्क, राजधानी कला का संग्रहालय शामिल हैं। इसको प्रसिद्ध फ्रांसीसी इंटीरियर डिजाइनर जैक्स ग्रेंज द्वारा डिज़ाइन किया गया था। पैंटहाउस एक शानदार राजसी निवास की तरह दिखता है और सबसे शाही रहने वाले स्थानों में से एक है।

टाई वार्नर पैंटहाउस न्यूयॉर्क सिटी

औसतन एक रात का स्टे- 80000 डॉलर

टाई वार्नर पैंटहाउस थोड़ा महंगा जरूर है, लेकिन इस पैंटहाउस से आप पुरे न्यूयॉर्क शहर का खूबसूरत दृश्य देख सकते है। इसको बनाने के लिए 50 मिलियन यूएस डॉलर लगे थे। इसकी ऊंचाई से आप पैदल लोगो को आते-जाते हुए देख सकते है।

पैंटहाउस सुइट ग्रैंड हयत्त होटल 

औसतन एक रात का स्टे-  41,000 डॉलर

ग्रैंड हयत्त होटल का नाम भी दुनिया के सबसे महंगे होटल मे से एक है। इस पैंटहाउस मे एक मास्टर बेडरूम है , जिसके साथ एक बड़े संगमरमर का बाथरूम है। निजी पार्टियों के लिए इसमें एक अलग से डाइनिंग रूम भी है। इस पैंटहाउस के मेहमान समुद्री ब्रीज़ का भी आनंद ले सकते हैं।

रॉयल विला, ग्रांड रिज़ॉर्ट लैगोनिसी, एथेंस, ग्रीस 

औसतन एक-रात,का स्टे-  50,000 डॉलर

रॉयल विला समुद्र के किनारे पर स्तिथ है। इसमें 3 बेडरूम, एक बगीचा, और निजी समुद्र तट के अलावा एक जिम भी है, और इसमें हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है। इसीलिए यहां गेस्ट को प्राइवेट जेट में घुमाया जाता है। ग्रीस के इस बहुशक्ति होटल में रुक्ने का सपना हर किसी का होता है।

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गोल्डन ब्रिज- दुनिया का सबसे अनोखा पुल, जो टिका है हाथों पर!

वियतनाम (Vietnam) देश की सुंदरता सदा ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां पूरी दुनिया से बहुत  लोग घूमने आते हैं। यहां एक ब्रिज अपनी खास बनावट के कारण लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। वियतनाम आने वालों की विजिट लिस्ट में यह ब्रिज सबसे ऊपर होता है।

वियतनाम के इस पु‍ल को गोल्डन ब्रिज भी कहते है। यहां के लोगों के बीच यह पुल काऊ-वांग (cau vang) नाम से भी मशहूर है। इस पुल की खास बात यह है कि ये पुल दो विशाल बनावटी हाथों पर टिका हुआ है, जो देखने में बहुत रोमांचकारी लगता है। इसका निर्माण लोगों के लिए एक लाजवाब मिसाल पेश करता है।

जून 2018 में काऊ-वांग पुल का उद्घाटन किया गया था, जिसे गोल्डन ब्रिज का नाम दिया गया है। यह पुल समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। थोड़े ही समय में यह पुल टूरिस्ट की विजिट लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर आ गया है।

लोगों को इस पुल का डिजाइन और यहां से दिखने वाला नज़ारा बहुत पसंद आ रहा है। कई बार इस पुल पर खड़ा होना हैरान भी करता है और उत्साह से भी भर देता है। जब इस पुल को दूर से देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि सड़क की एक पट्टी को दो विशाल हाथ उठाकर आसमान को छूने की कोशिश कर रहें हो।

इस पुल को और भी सूंदर बनाने के लिए इसके दोनों किनारों पर लोबेलिया क्राइसेंथेमम नाम के फूल लगाए गयें है, और वही फूल इस पुल की खूबसूरती में चार-चांद लगा रहें हैं।

इस पुल को देखने के बाद इससे आप की नज़र नहीं हटेगी और आप इसे बार-बार देखने के लिए वियतनाम जाएंगे। इसलिए अगर आपको कभी भी भविष्य में मौका मिले तो वियतनाम में इस जगह पर जरूर घूमने जाएँ।

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Golden Bridge – the world’s most unique bridge, which is hinged on hands!