अच्छी होती हैं यह कुछ बुरी आदतें

ऐसी कई आदतें हैं, जिनसे हमको बचपन से दूर रहने को कहा जाता है| और, इन आदतों को सेहत के लिए खराब भी माना जाता है। हालांकि, हो सकता है कि, इनमें से कुछ आदतें वास्तव में उतनी बुरी ना भी हो जितना उनके बारे में दावा किया जाता है। हम आपको कुछ ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको माना तो बुरा जाता है, परंतु आपके लिए वह काफी फायदेमंद हो सकती हैं।

नाखून चबाना

अंगूठा चूसने या नाखून चबाने वाले बच्चों को बड़े होने पर एलर्जी की सम्भावना काफी कम रहती है| क्योंकि, उनके शरीर का प्रतिरोधी तंत्र एक खास ढंग से विकसित हो जाता है। इस संबंध में शोध करने वाले प्रोफैसर मैल्कमर सीएर्स के अनुसार वह इन आदतों को प्रोत्साहित करने की सलाह नहीं देते हैं, परंतु इतना जरूरी है, कि इनके भी कुछ तो लाभ हैं।

आईसक्रीम

वैज्ञानिकों के अनुसार आईसक्रीम खाना तनावमुक्त होने का एक बढ़िया जरिया है । आईसक्रीम में दूध तथा क्रीम मिक्सचर में बड़ी मात्रा में एमिनो एसिड ट्रिप्टोफैन होता है, जो आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है। इससे व्यक्ति की नींद में भी काफी सुधार होता है।

शराब

एक अध्ययन के अनुसार जो लोग रोज एक गिलास वाइन या बियर पीते हैं। उन्हें डायबिटीज का खतरा काफी कम होता है। 10 साल तक 3 हजार से अधिक लोगों पर नज़र रखने के पश्चात वैज्ञानिकों ने पाया है कि, कम मात्रा में शराब पीने से इंसुलिन के प्रति कोशिकाओं की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इस बीच डेनमार्क में हुए एक अध्ययन के अनुसार रोज दो छोटे ग्लास वाइन पीने से एलजाइमर रोगियों की मौत का ख़तरा भी कम हो सकता है।

दिन में सपने देखना

अमेरिका की नैशनल एकैडमी ऑफ साइंसिज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दिन में सपने देखने जैसे एहसास से दिमाग की ताकत बढ़ सकती है। स्कैन्स से पता चलता है कि, जब हमारा मस्तिष्क झपकी आने पर भटकने लगता है. तो समस्याएं सुलझाने का काम करने वाला ‘एग्जीक्यूटिव नैटवर्क’ बेहद सक्रिय हो जाता है।

पास्ता

इतालवी शोधकर्ताओं ने पाया है कि, पास्ता के सेवन से मोटापा कम हो सकता है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि, पास्ता खाने वाले अनेक लोग इसे स्वस्थ आहार के तहत खाते हैं। वैसे 23 हजार लोगों के खान-पान का विश्लेषण करने के बाद पाया गया है, कि मोटापा कम करने में यह वाकई कारगर है।

दौड़ना

एक लोकप्रिय धारणा यह भी है कि, दौड़ना घुटनों के लिए अच्छा नहीं है, इसके ही विपरीत एक अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि, दौड़ने से घुटनों की सोजिश कम हो सकती है। दौड़ने से पहले तथा बाद में 18 से 35 वर्ष के लोगों के घुटनों में मौजूद द्रव्य की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि, आधे घंटे बाद इनमें मौजूद सोजिश पैदा करने वाले तत्वों का घनत्व कम हो गया था। उनका यह भी कहना है कि, नियमित रूप से दौड़ने से ओस्टियोआर्थराइटिस से भी अधिक वक्त तक बचा जा सकता है।

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ऐसे रखें अपने दिमाग को शांत और तनाव मुक्त

 

ऐसे रखें अपने दिमाग को शांत और तनाव मुक्त

मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही महत्वपूर्ण है। इसलिए खुद को मानसिक तौर पर उत्तेजित और व्यस्त रखना बहुत जरूरी है। यहां पेश हैं कुछ ऐसे टिप्स जो आपको शांत रखने तथा दिमागी क्षमता बढ़ाने में सहायक होंगे।

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि जब हम संतुलन में नहीं होते या बेचैन होते हैं तो हमारे दिमाग में प्रत्यक्ष परिवर्तनों के चलते तनाव देखने को मिलता है। इस तनाव से छुटकारा पाने में शारीरिक गतिविधि और मानसिक नियंत्रण की जरूरत होती है। यह आसानी से सीखा जाने वाला कौशल है। किसी मानसिक समस्या को सुलझाने की अपेक्षा तनाव मुक्त होना अधिक बेहतर है ताकि दिमाग को अनुशासन में रखा जा सके।
  • इसकी शुरूआत इस बात से बढ़िया की जा सकती है कि आप तनाव के कारणों को जाने और उन्हें खुद से दूर रखें। दिमाग को अनुशासन में रखने में योग और मैडीटेशन बहुत बढ़िया उपाय है।
  • आप डांस क्लासेज ले सकते हैं, किसी प्रार्थना सभा में शामिल हो सकते हैं या रनिंग करें जो तनाव के लिए बहुत बढ़िया रहती है।
  • अपने कंधों या पीठ की मांसपेशियों की गांठे खोलने के लिए एक्यूप्रेशर सैशन करवाएं।
  • अच्छी नींद लें। जब हम नींद में होते हैं तो हमारा शरीर नई ऊर्जा प्राप्त करता है और उपचार करता है। नींद से कुछ घंटे पहले डिजीटल मीडिया को बंद करके कोई किताब पढ़ें या मैडीटेशन करें।
  • स्नान करने से शरीर को रिलैक्स होने में मदद मिलती है, साथ ही यह शांति भी देता है।
  • एक सुगंधित बाथटब में प्रवेश करें। वाटर थैरेपी आपके लिए बहुत बढ़िया है।
  • बादाम, अखरोट, मेवे और किशमिश का सेवन करें। ये नाड़ियों को पोषित करते हैं।
  • अपना पारम्परिक रात का खाना छोड़ दें। इसकी बजाय रात में दलिए के साथ आगैनिक मिल्क का सेवन करें जो आपको आरामदायक नींद देगा।
  • सेब, चुकंदर, अदरक, गाजर और पुदीने के पत्तों का सेवन करें।

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महिमा चौधरी एक डेब्यू फिल्म से बनी थी रातों रात स्टार

बॉलीवुड में हर दिन सैकड़ों-हजारों लोग अपनी किस्मत आज़माने आते हैं लेकिन यहां कुछ ही लोगों के सितारे चमक पाते हैं। बॉलीवुड की ऐसी ही एक स्टार एक्ट्रेस में से एक हैं महिमा चौधरी। आज उनका 45वां जन्म दिन है। आइए जानते है उनके जन्म दिन पर उनके बारे में कुछ रोचक बातें:

  • महिमा चौधरी का जन्म 13 सितंबर 1973 को दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में हुआ था।
  • महिमा चौधरी का असली नाम रितु चौधरी है। लेकिन वो खुद को परदे पर महिमा चौधरी कहलाना पसंद करती हैं। प्रसिद्ध निर्देशक सुभाष घई ने रितु चौधरी नाम को बदलकर महिमा चौधरी रख दिया था।
  • महिमा चौधरी ने अपनी हाई-स्कूल तक की पढ़ाई डाउन हिल स्कूल से पूरी की। उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई लोरेटो कॉलेज से पूरी की।
  • साल 1990 में वह पढ़ाई छोड़कर मॉडलिंग की दुनिया में अपना करियर सँवारने लगी। उन्होंने अपने मॉडलिंग करियर के दौरान कई विज्ञापनों में भी काम किया। उन्होंने आमिर खान, ऐश्वर्या राय जैसे सितारों के साथ भी ऐड शूट किए।
  • यहीं से उन पर बॉलीवुड के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर सुभाष घई की नजर पड़ी और महिमा को डेब्यू फिल्म ‘परदेस’ से बॉलीवुड में ब्रेक मिला।
  • इस फिल्म में महिमा के किरदार को काफी पसंद किया गया। उन्हें रातों रात स्टार का दर्जा मिल गया। महिमा को बेस्ट डेब्यू ऐक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।
  • बताया जाता है कि महिमा और सुभाष के बीच कॉन्ट्रैक्ट हुआ था कि महिमा 5 साल में सुभाष के लिए 3 फिल्में करेंगी। ऐसा न करने पर वह अपनी इनकम का 35% हिस्सा उनको देंगी।
  • शुरुआत में एक दूसरे की खूब तारीफ करने वाले महिमा और सुभाष बाद में इसी कॉन्ट्रैक्ट को लेकर कोर्ट तक पहुंच गए थे। सुभाष ने उनको विदेश में परफॉर्म करने से रोका था तो महिमा ने कॉन्ट्रैक्ट तोड़कर ताल में उनकी जगह ऐश्वर्या को लेने का आरोप फिल्म मेकर पर लगाया था।
  • महिमा चौधरी अपने अफेयर की खबरों को लेकर भी खूब चर्चा में रहीं। महिमा चौधरी का फेमस टेनिस प्लेयर लिएंडर पेस के साथ रिलेशन रहा, लेकिन छह साल बाद दोनों का अलगाव हो गया।
  • मीडियो रिपोर्ट्स की मानें तो इस रिश्ते के टूटने की वजह संजय दत्त की दूसरी पत्नी रिया पिल्लई थीं। दरअसल, लिएंडर की जिंदगी में रिया के आने के बाद ही महिमा चौधरी का ब्रेकअप हो गया था। हालांकि, रिया का भी इस टेनिस खिलाड़ी से शादी के बाद तलाक हो गया था।
  • 2006 में आर्किटेक्ट बॉबी मुखर्जी से शादी करके महिमा चौधरी ने खूब सुर्खियां बटोरीं। हालांकि, उन दिनों अफवाहों का बाजार इस खबर से काफी गर्म था कि प्रेग्नेंसी की वजह से महिमा ने जल्दबाजी में शादी की।
  • उन्होंने आर्किटेक्ट और बिजनेसमैन बॉबी मुखर्जी से शादी की। दोनों की एक बेटी अरियाना हैं। महिमा और बॉबी की ये शादी ज्यादा दिनों नहीं चली और 2013 से वो अपने पति से अलग रहने लगीं।
  • ‘परदेस’ फिल्म के बाद उन्होंने फिल्मों में काफी चैलेंजिंग किरदार निभाए। महिमा चौधरी ने ‘दिल क्या करे’, ‘दाग: द फायर’, ‘खिलाड़ी 420’, ‘प्यार कोई खेल नहीं’, ‘लज्जा’, ‘धड़कन’, ‘बागबान’, ‘एलओसी कारगिल’, ‘तेरे नाम’, ‘दोबारा’, ‘जमीर’, ‘गुमनाम द मिस्ट्री’ और ‘डार्क चॉकलेट’ समेत कई फिल्मों में काम किया है।
  • फिल्में छोड़ने के बाद महिमा चौधरी रियलिटी टीवी शोज़ करने लगीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपना करियर खत्म होने के पीछे इसे भी जिम्मेदार बताया। महिमा ने कहा कि सिंगल मदर होने की वजह से फिल्मों में काम करना काफी मुश्किल था। पैसे कमाने के लिए वो इवेंट्स में जाने लगीं। साथ ही रियलिटी टीवी शोज करने लगीं। जिससे उनका फिल्मी करियर खत्म हो गया।

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9 वर्षीय बच्चे का एक अनोखा आविष्कार जो परीक्षा देने में बहुत काम आएगा

जम्मू-कश्मीर के एक 9 वर्षीय बच्चे ने एक ‘काऊंटिंग पैन’ का आविष्कार किया है। गुरेज घाटी के मुजफ्फर अहमद खान का यह पैन शब्दों को गिन सकता है, जिसे ‘काऊंटिंग पैन’ का नाम दिया गया है।

हाल ही में राष्ट्रपति भवन में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम के दौरान इस पैन को प्रदर्शित किया गया था। इस कार्यक्रम को एन.आई.एफ. (नैशनल इनोवेशन फाऊंडेशन) ने आयोजित किया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुजफ्फर के इस आविष्कार पर उसकी खूब तारीफ की और उसे ईनाम भी दिया।

मुजफ्फर बताता है कि, “पैन के पीछे की ओर एक केसिंग (कवर) लगी है। जैसे ही कोई लिखना शुरू करता है तो, तबी से शब्दों की गिनती शुरू होने लग जाती है। जो छोटे एल.सी.डी. मॉनिटर पर दिखाई देती है। इसके साथ ही शब्दों की गिनती को किसी मैसेज द्वारा मोबाइल पर भी देखा जा सकता है।”

तीसरी कक्षा में पढ़ रहे इस बच्चे के अनुसार उसके दिमाग में इस अनूठे पैन का विचार तब आया जब पेपर में तय किये गए शब्दों को कम लिखने की वजह से उसको कम नम्बर मिले थे। उसने कहा कि,”पिछले एग्जाम में मुझे न्युनतम अंक मिले क्योंकि मैंने कम शब्द लिखे थे। इससे मैं बेचैन हो गया था और तभी से मैं किसी ऐसी चीज को बनाने के बारे में सोचने लगा जो मेरा वक्त बचा सके। |अंततः मेरे मन में ‘काऊंटिंग पैन’ बनाने का विचार आया।”

उसकी चाची मोहम्मद योनिस लोन ने बताया कि मुजफ्फर का बचपन मुश्किलों से भरा हुआ था। उसे बोलने में दिक्कत होती थी | लेकिन, 5 वर्ष की उम्र में उसने बोलना शुरू कर दिया था। मुजफ्फर का सपना है कि, वह वैज्ञानिक बने और देश के लिए काम करे। यह पैन परीक्षा में छात्रों की मदद कर सकता है| जब निबंध तथा लम्बे उत्तर वाले प्रश्नों को हल करते हुए शब्दों का ध्यान रखना पड़ता है।

एन.आई.एफ. ने इस पैन को बाजार में उतारने का फैसला किया है, और आशा की जा रही है कि यह ‘काऊंटिंग पैन मई से बाजार में उपलब्ध हो सकेगा।

एक रहस्यमयी पत्थर जो बिना किसी सपोर्ट के टिका है ढलान पर

एक रहस्यमयी पत्थर जो बिना किसी सपोर्ट के टिका है ढलान पर

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यह दुनिया आश्चर्यों से भरी हुई है। यहाँ पर ऐसे-ऐसे कारनामे होते हैं, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं। कई ऐसी रहस्यमयी चीजें सामने आती रहती हैं जिनके रहस्यों को आज तक वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाए हैं।दक्षिण भारत में एक शहर है महाबलीपुरम। यह तमिलनाडु राज्य का ऐतिहासिक नगर है। इस शहर में कई बहुत पुरानी जगहें हैं, जो कि दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इन्ही में से एक बहुत ही विशाल और प्राचीन पत्थर है जो अपने आप में एक रहस्य है।

यह पत्थर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह रहस्यमयी पत्थर करीब 1200  वर्ष  पुराना  है। इस पत्थर की ऊंचाई  20 फुट  और  चौड़ाई  5 फुट है लेकिन ये पत्थर जिस तरह से अपनी जगह पर टिका है, वह इसे अनोखा बनाता है।

यह पत्थर ना ही हिलता है और ना ही लुढ़कता है। वर्ष 1908 में पहली बार यह पत्थर तब खबरों में आया था, जब वहां के गवर्नर ने इस पत्थर को अजीब तरह से खड़ा देखा। उन्हें लगा कि इससे कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

इस कारण उन्होंने करीब 7 हाथियों से इस पत्थर को खिंचवाया लेकिन 7 हाथी भी मिल कर इस पत्थर को इंच भर भी हिला नहीं सके। इस पत्थर के साथ जुड़ी एक दंतकथा भी है कि यह जमा हुआ मक्खन है जो श्री कृष्ण ने अपनी बाल अवस्था में यहां गिरा दिया था।

वही माखन अब पत्थर बन चुका है। तभी लोग इस पत्थर को ‘कृष्ण की मक्खन गेंद’ के नाम से भी जानते हैं। वैज्ञानिक भी अभी तक इस पत्थर के रहस्य को नहीं समझ पाए हैं। यहां तक कि वे यह भी नहीं जान पाए हैं कि यह पत्थर इंसान द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा।

इस तथ्य को लेकर वैज्ञानिक भी असमंजस में हैं। इतना विशाल और वज़नी पत्थर होने के बाद भी यह कैसे सैकड़ों सालों से एक ढलान पर टिका हुआ है, यह किसी रहस्य से काम नहीं है। इस पत्थर को जो भी देखता है, देखकर हैरान हो जाता है।

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कैसे रख सकते हैं हम अपने गुर्दों का ध्यान

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गर्दै हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। इस लिए हमें अपने गुर्दों का धयान रखना बहुत जरूरी है| गर्दै शरीर से पानी तथा रासायनिक व्यर्थ पदार्थों को मूत्र के रूप में बाहर निकालते हैं। ये शरीर में विभिन्न तत्वों का संतुलन बनाए रखने का भी अहम काम करते हैं।

कैसे होता है गुर्दों को नुक्सान

गुर्दों को कई वजहों से नुक्सान पहुंच सकता है। शरीर में पैदा होने वाले व्यर्थ पदार्थ ही नहीं, बल्कि व्यक्ति जो कुछ भी खाता या पीता है, चाहे वह दवाई हो, शराब, या  किसी भी तरह का नशा और पाऊडर आदि सब कुछ गुर्दों से होकर ही गुज़रता है।

यही कारण है, कि डॉक्टर हमको दर्द निवारक या आसानी से मिलने वाली अन्य आम दवाओं का सेवन करने से परहेज करने की सलाह देतें हैं| क्योंकि, यह दवाईयां गुर्दों के लिए विषैली साबित हो सकती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो कोई भी ऐसी चीज जो गुर्दो में छानने की प्रक्रिया में रुकावट पैदा करे चाहे वह गम्भीर इंफैक्शन हो,या फिर कोई चोट हो,आदि गुर्दों पर अतिरिक्त भार डालती हैं।

इसके अलावा अनियंत्रित डायबिटीज तथा उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं भी गुर्दों को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं। इनकी वजह से ही गुर्दों को अपनी क्षमता से अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे गुर्दों की रक्त वाहिकाएं चोटिल हो सकती हैं, तथा शुगर की अधिक मात्रा से गुर्दों के नेफ्रोन्स (छननी जैसे हिस्से) भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

वास्तव में गुर्दें खराब होने की सबसे आम वजहों में से डायबिटीज तथा उच्च रक्तचाप भी शामिल हैं। दूसरी ओर उच्च रक्तचाप भी गुर्दों को नुक्सान पहुंचाने का एक लक्षण हो सकता है| क्योंकि, तब शरीर को खून का प्रवाह तेजी से करना पड़ता है। पानी कम पीने, अत्यधिक शराब पीने से तथा मोटापे की वजह से भी गुर्दें प्रभावित होते हैं।

उपचार

हालांकि, विभिन्न रोगों तथा नुक्सान पहुंचाने वाली गतिविधियों (नशों का सेवन, गम्भीर इंफैक्शन आदि) का गुर्दे ताकत से सामना करते हैं, और समय रहते ही उपयुक्त उपचार होने पर पूरी तरह से ठीक होने की काफी सम्भावनाएं रहती हैं।

डायलिसिस की तकनीक ने गुर्दे फेल हो चुके रोगियों को नया जीवनदान दिया है। डायलिसिस एक मशीन है, जो कृत्रिम गुर्दो की तरह काम करती है। अस्पताल में रोगी के शरीर का रक्त इस मशीन से गुज़ारा जाता है, ताकि वह साफ हो जाए।

ऐसे रोगियों के गुर्दों का प्रत्यारोपण करवाना पड़ता है। गुर्दे सबसे सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किए जाने वाले अंग हैं। सही तरीके तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किए जाने पर गुर्दे का प्रत्यारोपण रोगी को नया जीवन देता है। प्रत्यारोपण के बाद भी सेहत का पूरा ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। एक गुर्दा ही जीवनभर स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त होता है।

इस तरह रखें गुर्दो को स्वस्थ

सेहत का अच्छे से ध्यान रखें, रोग होने पर समय रहते उपयुक्त उपचार करवाएं, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, अपने आप दवाइयों के सेवन से परहेज करें, आवश्यकता से अधिक प्रोटीन (जिम वाले) सेवन न करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। गुदों की नियमित जांच करवा कर उन्हें किसी प्रकार के पहुंचे हुए नुक्सान अथवा जोखिम के बारे में जान सकते हैं।

अंग दान का प्रण लें

यह बात भी ध्यान में रखें कि गुर्दो सहित शरीर के महत्वपूर्ण अंगों का दान एक बेहद पुण्य का काम है, जो कई लोगों को जीवनदान दे सकता है।

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खूबसूरती और रहस्यों की रानी क्लियोपैट्रा के बारे में रोचक तथ्य

दुनिया के सामने अब तक की सबसे अनसुलझी पहेलियों में से एक है मिस्र की रानी क्लियोपैट्रा। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में आज तक ऐसे कई रहस्यमयी लोगों ने जन्म लिया जिनके बारे में प्रचलित कई रहस्यों को आज तक सुलझाया नहीं जा सका है। इन रहस्यों का जवाब किसी वैज्ञानिक के पास भी नहीं है। इनमें से किसी की मौत पर शंका बना हुआ है तो किसी की पहचान पर।

क्लियोपैट्रा अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में विख्यात थी। उसकी मौत महज 38 वर्ष की उम्र में हुई थी लेकिन क्लियोपैट्रा की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। उसकी मौत के पीछे लोगों के अलग-अलग तर्क हैं। किसी का कहना है कि एक्टिऊम की जंग में हारने के बाद वह इतनी टूट गई थी कि उसने खुद को सांप से डंसवा लिया जबकि कुछ लोगों का कहना है कि हार के बाद अगस्टस ने क्लियोपैट्रा की हत्या कर दी।

हालांकि, सच्चाई क्या है यह कोई नहीं जानता। कहा जाता है कि वह जितनी सुंदर और सैक्सी थी उससे कहीं ज्यादा वह चतुर, षड्यंत्रकारी और निर्दय भी थी। उसके कई पुरुषों से संबंध थे। वह राजाओं और सैन्य अधिकारियों को अपनी सुंदरता के मोहपाश में बांधकर उनको ठिकाने लगा देती थी। क्लियोपैट्रा को दुनिया की सबसे अमीर और सुंदर औरत माना जाता था।

वह तीन ताकतवर पुरुषों की प्रतियोगी थीं-जूलियस सीजर, मार्क एंथोनी और आक्टेवियन । जूलियस सीजर ने उसे मिस्र की रानी बनने में मदद की थी। अनेक कलाकारों ने क्लियोपैट्रा के रूप रंग और उसकी ख़ुमार पर कई चित्रकारी और मूर्तियां बनाई। साहित्य में वह इतनी लोकप्रिय हुईं कि अनेक भाषाओं के साहित्यकारों ने उन्हें अपनी कृतियों में नायिका बनाया।

अंग्रेजी साहित्य में 3 नाटककारों शेक्सपियर, ड्राइडन और बनार्ड शा ने अपने नाटकों में उनके व्यक्तित्व के कई पहलुओं का विस्तार किया। क्लियोपैट्रा पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं।

क्लियोपैट्रा का संबंध भारत से भी था। वह भारत के गर्म मसाले, मलमल और मोती भरे जहाज सिकंदरिया के बंदरगाह में खरीद लिया करती थी।

कहते हैं कि क्लियोपैट्रा को 5 भाषाओं का ज्ञान था और वह एक चतुर नेता थी। यही कारण था कि वह बहुत जल्दी से किसी से भी जुड़कर उसके सारे राज जान लेती थी और इसी के चलते उसके सैंकड़ों पुरुषों से संबंध थे। अपने शासन और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए क्लियोपैट्रा ने हर अच्छा-बुरा पैंतरा आजमाया।

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जानिए क्या रहस्य है आसमान में नॉदर्न लाइट्स का

हम सबको रात के समय आसमान केवल काला ही दिखाई देता है, लेकिन इस धरती के कुछ हिस्सों में,रात को आसमान का नज़ारा बहुत रंगीन दिखाई देता है। यहाँ पर आकाश में हरा, पिला, नारंगी आदि कई रंग नज़र आते है।  यह अद्भुत घटना नॉदर्न लाइट्स के नाम से जानी जाती है।

वर्ष में दो बार यूरोप और अलास्का में आधी रात को आसमान में रंग-बिरंगी रोशनियां दिखाई देती हैं।यह रोशनियां पृथ्वी के नॉर्थ तथा साऊथ मैग्नेटिक पोल पर भी दिखाई देती हैं, जिन्हें ‘नॉर्दर्न लाइट’ कहा जाता है। इनका आकार 20 से 640 किलोमीटर तक होता है।

नॉर्दन लाइट्स यानि कि उत्तर ध्रुवीय प्रकाश जिसको आरोरा बॉरेलस भी कहते हैं। ये लाइट्स पृथ्वी और सूर्य के वातावरण के विभिन्न कणों की टक्कर से उत्पन्न होती हैं और दोनों ही पोल्स यानि उत्तरी और दक्षिण ध्रुवों में दिखती है । दक्षिण में दिखने वाली लाइट्स को हम ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं, ज्यादातर यह लाइट्स सर्दी के मौसम में आसमान में नाचती हुई नज़र आती हैं|लेकिन, अगर आसमान में बादल हो जाए, चाँद की रौशनी छा जाए या फिर शहर में  जगमगाहट हो तो इन लाइट्स को देखना बहुत मुश्किल होता है|

अलास्का, नार्वे, आइसलैंड, स्वीडन, साइबेरिया, कनाडा और ग्रीनलैंड में भी ये रोशनियां दिखाई देती हैं। इनके आकार, रंग और ऊंचाई के अनुसार इन्हें अलग -अलग नाम दिए गए हैं | कनाडा के काकवा अलबर्ट में 15 सितम्बर 2017 की आधी रात को नॉर्दर्न लाइट का एक नया पैटर्न खोजा गया था, जिसे स्टीव नाम दिया गया था। नॉर्थ पोल के पास बसे और भी कई देशों में यह लाइट्स दिखाई देती हैं।

असल में नॉर्थ पोल के पास हवा में गैस के कण घूमते रहते हैं। यहां पर 6 महीने का दिन होता है, और 6 महीने की रात होती है । जब इन गैस के कणों पर आधी रात को सूर्य की रोशनी पड़ती है, तो आसमान में रंगबिरंगी रोशनियां चमकने लगती हैं।

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What is the secret of Northern Lights in the sky

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इथियोपिया की अनोखी जनजातियां

इथियोपिया की अनोखी जनजातियां

अफ्रीकी के पूर्वी छोर पर स्थित इथियोपिया केवल शानदार प्राकृतिक नजारों से ही भरपूर देश नहीं है, यह देश अनेक अनोखी जनजातियों का घर भी है जिनकी समृद्ध परम्पराएं और अनुष्ठान भी कम हैरान करने वाले नहीं हैं।

हाल ही में लेबनान के फोटोग्राफर उमर रेडा ने दक्षिणी इथियोपिया की ओमो घाटी की यात्रा कर वहां बसने वाली तीन अलग-अलग ‘हमार, दसानेच और मुर्सी’ जनजातियों को अपने कैमरे में कैद किया।

रंगों से भरपूर उनके ये चित्र प्रत्येक जनजाति की अनूठी सांस्कृतिक पहचान और इनके लोगों द्वारा धारण किए जाने वाले सुंदर और अनूठे साजशृंगार किसी को भी हैरान कर सकते हैं।

जैसे कि मुर्सी जनजाति के लोगों की मशहूर लिप प्लेट्स (होंठ में फंसाई गोलाकार पट्टियां) और दसानेच जनजाति के लोगों का बोतलों के ऊपरी हिस्सों और घड़ी की पट्टियों से अपने लिए सजावटी चीजें बनाने का कौशल प्रमुख है।

अपने अभियान के कलात्मक उद्देश्य और प्रत्येक जनजाति द्वारा उनका दिल खोल कर स्वागत किए जाने का उल्लेख करते हुए हुए उमर ने बताया, मैं धरती पर मौजूद खूबसूरत सांस्कृतिक विविधता को लोगों के समक्ष लाना चाहता हूं। ये जनजातियां अभी भी अपनी परम्पराओं और संस्कृति को अपनाए हुए हैं।

उदाहरण के लिए मुर्सी जनजाति ने होंठ में प्लेट डालने की परम्परा उपनिवेशवाद और गुलामी के दौर में शुरू की थी। तब इस जनजाति की महिलाएं अपने होठों को काट कर उनमें बड़ी-सी प्लेट्स फंसा कर भद्दा रूप धारण करने लगी थीं ताकि वे गुलाम बनाई जाने से बच सकें।

वक्त के साथ यह परम्परा बदल गई और लिप प्लेट को सुंदरता का प्रतीक समझा जाने लगा। जितनी बड़ी प्लेट, लड़की को उतना ही अधिक सुदर माना जाता है। वह कहते हैं, एक अन्य दिलचस्प तथ्य पता चला कि हमार जनजाति की महिलाओं को सौभाग्य के लिए शादी के बाद नहाने की अनुमति नहीं होती है।

कैसे लाएं अच्छी नींद

हर कोई रात को शानदार नींद लेने के सपने देखता है परंतु यह उतना मुश्किल नहीं है जितना आप सोचते हैं। रात की अच्छी नींद आपका अच्छा आराम या चौकन्नापन अनुभव कराने से संबंधित नहीं है। वास्तव में नींद की गुणवत्ता का आपके शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने नींद की घटिया गुणवत्ता को निर्णय क्षमता की कमी, मोटापे, मधुमेह, हृदय रोग तथा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जोड़ा है।

उनके अध्ययन से यह बात सामने आई है कि यदि आप अपने जीवन में नींद को अधिमान नहीं देते तो आपको ऐसा करना शुरू कर देना चाहिए यहां विज्ञान आधारित कुछ ऐसे टिप्स आपके लिए पेश हैं जो आपको अच्छी नींद दिलाने में सहायक होंगे।

नियमित तौर पर करें कसरत

जब आप थके होते हैं तो कसरत करना आपको बहुत असंभव कार्य लगता है। लेकिन नियमित तौर पर कसरत करना अपने शरीर को अच्छी नींद के लिए तैयार करने का बहुत बढ़िया तरीका है। यदि आपका शरीर किसी प्रकार की ऊर्जा को जलाता नहीं है, तो हो सकता है कि इसे महसूस ही न हो कि इसे नींद की जरूरत है।

स्क्रीन की रोशनी को सीमित करें

अध्ययन यह दर्शाता है कि टी.वी., कम्प्यूटर या मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी आपके नींद के पैटर्न को गंभीर रूप से बाधित कर सकती है। देर रात तक टी.वी. देखना या सोशल मीडिया का यूज़ आपकी नींद की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। यह रोशनी शरीर द्वारा मेलाटोनिन नामक हार्मोन के निर्माण को दबा देती है। मेलाटोनिन ही आपके निद्राचक्कर को नियंत्रित करता है।

नींद का समय करें निर्धारित

नींद से संबंधित रणनीतियों में बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अधिक नींद लेना यकीनी बनाएं। इस बात को सुनिश्चित बनाएं कि आप रात में कम से कम 8 घंटे की नींद अवश्य लें। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आपके सोने और जागने का समय भी निर्धारित होना चाहिए। यह रणनीति आपके शरीर के सर्केडियन रिदम को नियंत्रित करने में सहायक होती है और आपके नींद के पैटर्न को भी सही रखती है।

नींद से पहले की रुटीन बनाएं

सोने जागने से पहले की अपनी रुटीन बनाने हेतु कुछ समय निकालें। कोई भी शांत करने वालीट्रिक आजमाएं। आपकी इस रुटीन में किताब के कुछ पन्ने पढ़ना, सैटिड हैंड लोशन का इस्तेमाल करना और थोड़ा ध्यान लगाना शामिल हो सकता है। ये गतिविधियां स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल को कम करके आपके शरीर को शांत करती हैं और नींद लेने हेतु काफी सुरक्षित हैं। यदि आप बेचैन और चिंतातुर रहते हैं तो अपनी चिंता के बारे में सोने से पहले सब कुछ एक कागज पर लिख दें। ऐसा करने से हर प्रकार की चिंता समाप्त होगी।

कॉफी के सेवन को सीमित करें

यदि आपको नींद लेने में काफी संघर्ष करना पड़ता है तो आपकी कॉफी संबंधी आदतें इसके लिए दोषी हैं। कॉफी एक ड्रग है एक स्टिमुलेट जो आपके शरीर को थकान को पहचानने से दूर रखता है। आप जितनी कॉफी लेते हैं उसकी आधी कॉफी को प्रोसैस करने में शरीर को 5 से 6 घंटे लगते हैं। इसलिए यह सर्वाधिक सुरक्षित है कि कॉफी न ली जाए।

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