भारत दुनिया के सबसे विशाल रेल-यातायात वाले देशों में से एक है। भारतीय रेलवे ने उर्जा-संरक्षण के लिए बड़ी पहल की है। अब वह दिन दूर नहीं जब देश में सौर ऊर्जा से संचालित ट्रेनें पटरियों पर दौड़ेंगी।
इससे भारतीय रेलवे को भारी भरकम डीजल की खपत से छुटकारा मिलेगा। भारतीय रेलवे ने इसकी शुरुआत कर दी है। हालांकि ट्रेन को तो डीजल इंजन ही खींचेगी लेकिन साधारण तथा वातानुकूलित डिब्बों में लाइटों व पंखों को सोलर पैनलों के जरिये सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा।
पारंपरिक तथा प्रदूषण फैलाने वाले ऊर्जा स्रोतों पर अब निर्भर नही रहना पड़ेगा। भारतीय रेल सौर ऊर्जा के साथ-साथ अन्य प्राकृतिक गैसों, बायोडीजल व सीएनजी से भी ट्रेनों को दौड़ाने की कोशिशों में आगे बढ़ रही है।
सोलर ट्रेनों से होने वालें फ़ायदे
एक सोलर पैनल एक दिन में करीब लगभग 300 यूनिट्स पाॅवर जेनरेट करता हैं। इससे बोगियों में बल्ब और पंखों के लिए बिजली की जरुरत सौर उर्जा से पूरी होगी।
इसका इस्तेमाल होने से रेलवे को हर साल एक बोग़ी पर 1.24 लाख का मुनाफ़ा होगा। सोलर ट्रेन की मदद से सालाना 239 टन कार्बन डाईऑक्साइड कम उत्पन्न होगी। सौर ऊर्जा से एक ट्रेन पर हर साल 90,000 लीटर डीजल की खपत कम की जा सकती है।
रेलवे की योजना और संभावना
भारतीय रेल मंत्रालय की योजना 2020 तक सौर ऊर्जा से 1,000 मेगावॉट बिजली उत्पन्न करने का लक्ष्य प्राप्त करना है। इससे रेलवे की दस फीसदी ऊर्जा की जरूरत पूरी होगी।
रेलवे के मुताबिक, मुख्य तौर पर हमारी निगाहें सौर ऊर्जा पर हैं। जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक ट्रेनें और ईएमयू ट्रेने बढ़ेगी, हमारी ऊर्जा जरूरत भी बढ़ेगी।
इसी लक्ष्य पर नजर रखते हुए हम सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस योजना से 2020 तक हम कुल ऊर्जा जरूरतों का दस फीसदी पूरा करने में समर्थ हो पाएँगे।
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