भारत में आज भी बच्चों को स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि भारत एक महान देश है. लेकिन यह नहीं बताया जाता कि भारत में रहने वाले लोग कैसे हैं और उनका व्यवहार कैसा है?
भारत के इतिहास में हुई ऐसी 10 घटनाएँ, जो हमें भारतीय होने पर शर्मिंदा करती हैं – कोई भी देश उस समय तक एक अच्छा देश नहीं कहलाता, जब तक उस देश के लोग अच्छे देशवासी होने का प्रमाण नहीं देते.
इस लेख में हम आपको भारत में हुई ऐसी 10 घटनाओं के बारे में बतायेंगे, जिनको पढ़कर आपको भारतीय होने पर शर्म महसूस होगी.
विभाजन के समय हुई भयानक हिंसा
सदियों बाद भारत जब ब्रिटिश शासन की गुलामी से आज़ाद हुआ, तो भारत का दो हिस्सों में बंटवारा हो गया. एक हिस्सा पाकिस्तान बना और एक हिस्सा भारत. इस विभाजन के परिणामस्वरुप गुलामी से आज़ाद होने का जश्न शोक में बदल गया.
विभाजन की वजह से हिंदु-मुस्लिमों के बीच भयानक दंगे हुए. इन दंगों की शुरुआत कहाँ से हुई कोई नहीं बता सकता, लेकिन इन दंगों में 2 लाख से 20 लाख लोगों की जान चली गई थी.
अनगिनत बलात्कार की घटनाएँ हुई. दुनिया के इतिहास में इन दंगों की भयावहता की दूसरी ऐसी घटना आज तक कहीं नहीं हुई.
आपातकाल के दौरान अत्याचार
भारत में वर्ष 1975-77 का समय आपातकाल का समय था. सत्ता में कांग्रेस की सरकार थी, जिसने नागरिक अधिकारों का बेहरमी से उल्लंघन किया.
आपातकाल स्थिति में सबसे दुखद घटना दिल्ली के तुर्कमान गेट के पास पड़ती झुग्गी-झोपड़ियों में हुई थी. कांग्रेस अध्यक्ष संजय गांधी ने झुग्गीवासियों को तुर्कमान गेट से हटाने के लिए पुलिस को निर्देश दिए.
पुलिस वालों ने लाठीचार्ज करके और गोलियां चलाकर झुग्गीवासियों को हटाने की कोशिश की थी.
इस भयंकर लाठीचार्ज और गोलीबारी में 150 निर्दोष लोग मारे गए थे और 70,000 से भी ज़्यादा लोग बेघर हो गए थे.
सिख विरोधी दंगे, 1984
भारत की प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में छिपे जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके साथीयों को मारने का निर्देश दिया. कुछ महीने बाद अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी के अंगरक्षक, जो सिख थे, उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी से सम्बंधित लोगों ने दिल्ली में सिखों के खिलाफ दंगे शुरू कर दिए और दिल्ली में रह रहे सिखों का बेरहमी से कत्लेआम शुरू कर दिया.
इस घटना में 2,700 सिख मारे गए और 20,000 से ज़्यादा सिखों ने दिल्ली को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया.
पुलिस द्वारा कैदियों को जबरदस्ती अंधा बनाना
यह घटना 1980 को हुई थी, जब बिहार के भागलपुर जिले की पुलिस ने अत्याचार का सबसे भयंकर उदाहरण दुनिया के सामने दिखाया था. भागलपुर जिले की पुलिस ने 31 विचाराधीन कैदियों की आँखों में तेज़ाब डालकर उनको जबरदस्ती अंधा बना दिया था.
हिन्दू-मुस्लिम दंगे, 1996
दिसंबर 1996 को अयोध्या की राम-जन्म भूमि पर स्थित बाबरी-मस्जिद को तोड़ दिया गया. इसके बाद देश भर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे फैल गए, जिसमें 2,000 निर्दोष लोग मारे गए. इन दंगों का असर मुंबई और दिल्ली में सबसे ज़्यादा था.
2002 में गुजरात में होने वाले दंगे
27 फरवरी 2002 को अज्ञात लोगों की भीड़ ने गोधरा के पास साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी थी. इस रेल गाड़ी में 58 हिन्दू तीर्थयात्री मारे गए थे.
इस घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद ने तीन दिन तक गुजरात को बंद रखने का एलान कर दिया. इन तीन दिनों में लोगों का बेरहमी के साथ कत्ल किया गया और उनके घरों को लूटा गया.
महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए. स्थानीय अख़बारों और नेताओं ने उकसाने वाले भाषण दिए. इन दंगों में 2000 से ज़्यादा निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.
लक्ष्मणपुर स्नान नरसंहार, अरवल जिला
लक्ष्मणपुर गाँव बिहार के अरवल जिले के नज़दीक पड़ता एक गाँव है. दिसम्बर 1997 में इस गाँव में भयंकर नरसंहार हुआ था.
इस नरसंहार की मुख्य वजह यहाँ पर रहने वाले उच्च जाति के व्यक्ति रणवीर सेना ने लक्ष्मणपुर में रहने वाले दलितों को मारने के लिए योजना बनायी, जिसके बाद 58 निर्दोष दलितों को गोली से मार दिया गया, जिसमें 27 औरतें और 16 बच्चे थे.
इस भयंकर नरसंहार में 1 साल के बच्चे को भी मार दिया था.
निर्भया सामूहिक बलात्कार मामला
इस मामले ने भारत का नाम पूरी दुनिया में धूमिल कर दिया.
16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली की लोकल बस में एक 23 साल की लड़की को बेरहमी से पीटा गया और फिर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. उसको चलती बस से फेंक दिया गया. बाद में सिंगापुर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई .
इस घटना पर बनी डाक्यूमेंट्री को बीबीसी ने पूरी दुनिया के दर्शकों के सामने रखा, जिसके बाद कई देशों ने अपने देश की महिलाओं को भारत न जाने की हिदायत दी.
माओवादी लड़की की अनकही कहानी
यह घटना भारत में लड़कियों के खिलाफ होने वाली क्रूरता और अत्याचार का जीता जागता सबूत थी.
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में पड़ते बस्तर क्षेत्र में एक 15 वर्षीय कवासी नाम की लड़की का पुलिस वालों ने बेरहमी से बलात्कार किया था.
कवासी को 350 माओवादियों के साथ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के मामले में पकड़ा गया था.
मुज़फ्फरनगर दंगे, 2013
भारत में साम्प्रदायिक दंगे दशकों से होते आ रहे हैं. इस दशक यह दंगे उत्तरप्रदेश के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच मुज्जफरनगर में हुए.
इन दंगों की शुरुआत तब हुई, जब एक समुदाय की लड़की के साथ छेड़छाड़ हुई और उसका विरोध करने पर उसके भाई को कुछ लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला.
इसके बाद दोनों समुदायों के बीच दंगे भड़क उठे, जिनमें 62 लोगों की जानें चली गयी और 50,000 से ज़्यादा लोग बेघर हो गए.
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