भारत एक ऐसा देश है, जहां पर कई रहस्यमय स्थान हैं, इन्हीं रहस्य्मयी स्थानों में से एक है निधिवन। यह वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण का बचपन बीता था। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। वे देवकी और वासुदेव के 8 वें पुत्र थे।
धार्मिक नगरी वृन्दावन में निधिवन एक अत्यन्त पवित्र, रहस्यमयी स्थान है। मान्यता है कि निधिवन में भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधा आज भी अर्द्धरात्रि के बाद रास रचाते हैं।
रास के बाद वे निधिवन परिसर में स्थापित रंग महल में शयन करते हैं। रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है।
निघिवन का अर्थ
‘निधि’ एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘खजाना’ वन अर्थात जंगल । स्थानीय लोगों के अनुसार निधिवन को गुरु हरिदास ने बसाया था, जिनकी गहरी भक्ति, तपस्या और ध्यान ने भगवान कृष्ण को इस स्थान पर जाने के लिए मजबूर कर दिया।
गोपियों का रूप ले लेते हैं तुलसी के पौधे
निधिवन में तुलसी के पौधे हैं। यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं और प्रात: होने पर तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं।
रंग महल
निधिवन के अंदर, एक छोटा सा मंदिर है जिसे रंग महल या राधा रानी का श्रृंगार-गृह कहा जाता है। लोककथाओं के अनुसार कृष्ण हर रात यहां आते हैं और राधा को अपने हाथों से सजाते हैं।
यहाँ रखे चन्दन के पलंग को 7 बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के पास एक लोटा जल, राधा जी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।
सुबह 5 बजे जब ” रंग महल ” का दरवाजा खोला जाता है तो बिस्तर अस्त व्यस्त ,लोटे का पानी खाली, दातुन चबाई हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंग महल में भक्त केवल शृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद के रूप में उन्हें श्रृंगार का सामान ही मिलता है।
विशाखा कुंड
निधिवन में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण सखियों के साथ रास-लीला रचा रहे थे, तभी गोपियों में से एक सखी विशाखा को प्यास लगी।
कृष्ण ने अपनी बाँसुरी से एक छेद खोदा, जो पानी से भर गया, जिससे पानी पी कर विशाखा ने अपनी प्यास बुझाई। तब से इस कुंड का नाम विशाखा कुंड पड़ा।
राधा जी ने चुरा ली थी कन्हैया की बांसुरी
यहां के लोगों का कहना है कि देवी राधा ने जब यह महसूस किया कि कन्हैया हमेशा बंसी या बांसुरी ही बजाते रहते हैं और उनकी ओर ध्यान ही नहीं देते, तो राधा जी ने उनकी बांसुरी चुरा ली।
ऐसा कहा जाता है कि संगीत के स्वामी स्वामी हरिदास जी महाराज निधिवन में भक्ति गीत गाते थे, जिसमें वे इतने खो जाते थे कि उन्हें अपने तन – मन की कोई सुध नहीं रहती थी। बांके बिहारी जी ने उनके भक्ति संगीत से प्रसन्न होकर उन्हें स्वप्न में कहा कि वह इस स्थान पर निवास करेंगे।
वन के आसपास बने मकानों में नहीं हैं खिड़कियां
जो लोग निधिवन के आस – पास रहते हैं, उनके घरों में बगीचे के किनारे खिड़कियां नहीं हैं, जिससे वे बगीचे के अंदर का नजारा नहीं देख पाते ।
वास्तव में निधि वन के आस पास के मकानों में खिड़कियां नहीं है और अगर किसी माकन में खिड़की हैं तो वे सात बजे मंदिर की आरती के साथ ही उन्हें बंद कर देते हैं। कोई भी खिड़कियों से निधि वन की ओर नहीं देखता।
5 बजे बंद हो जाता है मंदिर का दरवाज़ा
शाम को 5 बजे मंदिर बंद हो जाता है जिसके बाद किसी को भी पवित्र कुंज या मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है। जंगल जो पक्षियों, बंदरों की चहचहाहट से पूरे दिन चहकता रहता है रात में एक भयानक सन्नाटे में बदल जाता है।
यह माना जाता है कि जैसे ही रात होती है, भगवान कृष्ण रासलीला के लिए वन में आते हैं। सूर्यास्त के समय मंदिर परिसर का दरवाजा बंद रहता है और सभी लोग मंदिर से बाहर निकल जाते हैं।
जो भी रात में मंदिर में रहने का प्रयास करता है वह दृष्टि, सुनने और बोलने की क्षमता खो देता है। लगभग 10 साल पहले एक कृष्ण भक्त रासलीला देखने के लिए निधिवन में छिप गया था। जब अगली सुबह गेट खोला गया तो वह बेहोश अवस्था में पाया गया। उसका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया था।