आज भी प्राचीन काल की कई ऐसी निशानियां मौज़ूद हैं, जिनका संबंध देवी-देवताओं या ऋषि-मुनियों से माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार मंदिरों के साथ-साथ कई पवित्र सरोवर और नदियां भी तीर्थस्थलों में शामिल हैं। ‘सरोवर’ का अर्थ तालाब, कुंड या ताल नहीं होता, सरोवर को आप झील भी कह सकते हैं। भारत में सैकड़ों झीलें और सरोवर हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 5 का ही अधिक धार्मिक महत्व है। इन पवित्र सरोवरों के बारे में कहते हैं कि इनमें स्नान करने से पाप से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं, भारत के 5 सबसे पवित्र सरोवर।
कैलाश मानसरोवर
कैलाश मानसरोवर हिमालय के केंद्र में है। यह समुद्र तल से लगभग 4,556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। संस्कृत शब्द ‘मानसरोवर’, मानस तथा सरोवर को मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- ‘मन का सरोवर’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह सरोवर ब्रह्माजी मन से उत्पन्न हुआ था। इस सरोवर के पास ही कैलाश पर्वत है, जो भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि यहीं पर माता पार्वती स्नान करती हैं। यहां देवी सती के शरीर का दायां हाथ गिरा था, इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उनका रूप मानकर पूजा जाता है। बौद्ध धर्म में भी इसे पवित्र माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि रानी माया को भगवान बुद्ध की पहचान यहीं हुई थी। जैन धर्म तथा तिब्बत के स्थानीय बोनपा लोग भी इसे पवित्र मानते हैं।
नारायण सरोवर, गुजरात
नारायण सरोवर गुजरात के कच्छ जिले के लखपत तहसील में स्थित है। ‘नारायण सरोवर’ का अर्थ है- ‘विष्णु का सरोवर’। मान्यता है कि इस सरोवर में स्वयं भगवान विष्णु ने स्नान किया था। कई पुराणों और ग्रंथों में इस सरोवर के महत्व का वर्णन पाया जाता है। यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है। पवित्र नारायण सरोवर के तट पर भगवान आदिनारायण का प्राचीन और भव्य मंदिर है। नारायण सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा से 3 दिन का भव्य मेला आयोजित होता है। नारायण सरोवर से 4 किमी दूर कोटेश्वर शिव मंदिर है। नारायण सरोवर में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं। कहा जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से पाप से मुक्ति मिलती है।
पुष्कर सरोवर, अजमेर, राजस्थान
पुष्कर झील राजस्थान के अजमेर शहर से 14 किलोमीटर दूर है। इस झील का संबंध भगवान ब्रह्माजी से है। यह कई प्राचीन ऋषियों की तपभूमि भी रही है। कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने यहां आकर यज्ञ किया था। ब्रह्माजी ने पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी तक यज्ञ किया था, जिसकी स्मृति में अनादिकाल से यहां कार्तिक मेला लगता आ रहा है। इस सरोवर को लेकर एक यह मान्यता भी प्रचलित है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी यहीं पर किया था। कहा जाता है कि ब्रह्माजी के हाथ से यहीं पर कमल पुष्प गिरने से जल प्रस्फुटित हुआ, जिससे इस झील का उद्भव हुआ। झील के चारों ओर 52 घाट व अनेक मंदिर बने हैं। इनमें गऊघाट, वराहघाट, ब्रह्मघाट, जयपुर घाट प्रमुख हैं। पुष्कर सरोवर 3 हैं- ज्येष्ठ (प्रधान) पुष्कर, मध्य (बूढ़ा) पुष्कर और कनिष्ठ पुष्कर। ज्येष्ठ पुष्कर के देवता ब्रह्माजी, मध्य पुष्कर के देवता भगवान विष्णु और कनिष्ठ पुष्कर के देवता भगवान रुद्र हैं।
पंपा सरोवर, मैसूर
मैसूर के पास स्थित पंपा सरोवर एक ऐतिहासिक स्थल है। कर्नाटक में बैल्लारी जिले के हास्पेट से हम्पी जाकर, तुंगभद्रा नदी पार करते हैं, तो हनुमनहल्ली गांव की ओर जाते हुए पंपा सरोवर आता है। ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से भगवान सारे पाप माफ कर देते है। पंपा सरोवर के निकट पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मंदिर दिखाई पड़ते हैं। यहीं पर एक पर्वत है, जहां एक गुफा है, जिससे शबरी की गुफा कहा जाता है। कहते हैं इसी गुफा में शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाएं थें। इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध ‘मतंगवन’ था।
बिंदु सरोवर, सिद्धपुर, गुजरात
बिंदु सरोवर अहमदाबाद से उत्तर में 130 किमी दूरी पर स्थित है। यहां कपिलजी के पिता कर्मद ऋषि का आश्रम था और इस स्थान पर कर्मद ऋषि ने 10,000 वर्ष तक तप किया था। इस सरोवर का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता और भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान परशुराम ने अपनी माता का श्राद्ध यहीं सिद्धपुर में बिंदु सरोवर के तट पर किया था। इस स्थल को गया की तरह दर्जा प्राप्त है। इसे मातृ मोक्ष स्थल भी कहा जाता है।
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