आप सब ने रेल में सफ़र तो किया ही होगा। बहुत से लोगों को रेल में सफ़र करना बहुत अच्छा लगता है। कुछ लोग तो बाहर का नज़ारा देखने के लिए खिड़की वाली सीट पर ही बैठना पसंद करते है। रेल का सफ़र करते समय रास्ते में खेत, नदियाँ, झरने, पहाड़ आदि ये सब देखने को मिलते है।
19वीं शताब्दी में आई रेल क्रांति ने दुनिया का चेहरा बदल कर रख दिया है। एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में बहुत ख़तरनाक रेल रूट बनाये जा चुकें है। लेकिन ये रूट आज इंजीनियरिंग की मिसाल भी है। आज हम आपको दुनिया के सबसे ख़तरनाक ट्रेन रूट्स के बारे में बताने जा रहे है।
चेन्नई रामेश्वरम् रूट, इंडिया
2.06 लम्बा यह पुल दक्षिण भारतीय महानगर चेन्नई को रामेश्वरम से जोड़ता है और इस को तमिलनाडु का पामबान रेलवे ब्रिज कहते है। यह पुल समुद्र पर 1914 में बनाया गया था। यह पुल बीच में से खुलता भी है और इसे जहाजों को निकालने के लिए खोला जाता है। समुद्र पर बना होने के कारण ये ट्रैक भारत का सबसे खतरनाक ट्रैक है।
कंक्रीट के 145 स्तंभों पर टिके इस पुल को समुद्री लहरों और तूफानों से हमेशा खतरा बना रहता है। यह भारत का पहला सी ब्रिज है। इस सफ़र के दौरान सब कुछ नीला दिखाई देता है, ऊपर आसमान नीला, नीचे समुद्र में बहता पानी भी नीला। जिस वक़्त इस पुल से ट्रेन पानी को चिरती हुई जाती है, तो देखने में बहुत ही भयानक लगता है, लेकिन उतना खूबसूरत भी लगता है।
ट्रेन अ लास न्यूब्स, अर्जेंटीना
इस ट्रेन रूट को ट्रेन ऑफ क्लाउड्स भी कहा जाता है। इस पुल की लम्बाई 217 किमी है। एंडीज पर्वतमाला से गुज़रने वाला ये रास्ता उत्तर पश्चिमी अर्जेंटीना से होकर चिली की सीमा तक जाता है। इस पुल के नीचे हजारों फीट गहरी खाई है और ऊपर चलती ट्रेन में डर तो लगता ही है, लेकिन लोगों को आंनद भी आता है। यह रेल ट्रैक कुल 21 सुरंगों और 13 पुलों से होकर गुज़रता है। 4,220 मीटर की ऊंचाई पर काम करना इंजीनियरों और कारीगारों के लिए बहुत मुश्किल था।
यह पुल बनने में 27 साल लगे थे। बहुत मेहनत के बाद यह रेल रूट 1948 में बनकर तैयार हुआ था। इस रेलवे लाइन को सामाजिक और आर्थिक उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन अब ये टूरिस्ट ट्रेन के नाम से मशहूर हो गया है। इस ट्रेन रूट में इतने घुमाव आते हैं कि जैसे पटरियों पर ट्रेन नहीं सांप घूम रहा हो।
असो मिनामी, जापान
ये रेल रूट जापान के सबसे बड़े सक्रिय ज्वालामुखी, कुमामोटो के इलाके से होकर गुज़रता है। यह ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है। इसी कारण इस ट्रेन रूट पर सफ़र करने वालों के लिए यहां हमेशा ख़तरा बना रहता है। कुछ साल पहले ज्वालामुखी से जहरीली गैस निकलती थी, जो रेलवे ट्रैक तक भी पहुँच जाती थी। यह जहरीली गैस ट्रेन में सफ़र करने वालों के लिए ख़तरनाक साबित हो रही थी। इसीलिए इस ट्रैक को बंद कर दिया गया था। थोड़े टाइम के बाद फिर इस ट्रैक को शुरू कर दिया गया, क्योंकि जोखिम भरा यह ट्रैक लोगों को बहुत पसंद आया था।
कुरांडा सीनिक रेलरोड, ऑस्ट्रेलिया
यह ट्रैक 1882 से 1891 के बीच बना था। 34 किलोमीटर का यह रास्ता विश्व धरोहर बैरन नेशनल पार्क और मैकएलिस्टर रेंज को जोड़ता है। यह ट्रैक घने उष्णकटिबंधीय वर्षावन से होकर गुज़रता है। इस ट्रैक के पास एक बड़ा झरना बहता है। जब ट्रेन इस ट्रैक से गुज़रती है, तो झरने का पानी ट्रेन में बैठे लोगों को जमकर भिगोता है। इस ट्रेन रूट पर कई झरने, तीखे मोड़ और गहरी खाइयां आती हैं।
द डेथ रेलवे ट्रैक, थाईलैंड
जब इस ट्रेन रूट का निर्माण हो रहा था, उस वक़्त 90 हज़ार कर्मचारियों और 16 हज़ार कैदियों की मौत हो गई थी। जिस कारण इस ट्रैक का नाम “दी डेथ रेलवे” पड़ गया था। उन सब कर्मचारियों की मौत नदी में गिरने से हुई थी। इस ट्रैक की लंबाई 415 किलोमीटर है। इस ट्रैक का रास्ता बहुत ही ज़्यादा ख़तरनाक है। इस ट्रैक की चौड़ाई बहुत कम है और बहुत से मोड़ों पर ऐसा लगता है कि ट्रेन हवा में उड़ रही हो। इतना खतरनाक होने के कारण इस ट्रैक को 1947 में बंद कर दिया गया था।
कम्ब्रेस एंड टोलटेक सीनिक रेलरोड, न्यू मेक्सिको
यह ट्रैक अमेरिका के न्यू मेक्सिको में दो पहाड़ों के बीच में है। यह ट्रैक 1880 में बनाया गया था। इस ट्रैक की ऊंचाई बहुत ज़्यादा है। अमेरिका के कॉलोराडो में बने जॉर्जटाउन लूप इस रेल रूट को दो पहाड़ों को जोड़ने के लिए बनाया गया था। यह अमेरिका की सबसे ऊंची रेलवे ट्रैक है। रॉकी पर्वतमाला से गुज़रने वाले इस रूट पर आज भी कोयले और भाप इंजन की मदद से ट्रेनें चलती हैं।
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