आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के कुछ विचित्र और रहस्यमयी स्थल।
राजस्थान के बंदाई में बुलेट बाबा का मंदिर
ओम बन्ना एक पवित्र दर्शनीय स्थल है. राजस्थान के पाली जिले में लोग देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा नहीं करते हैं, बल्कि एक मोटर साइकिल की पूजा करते हैं. इसके पीछे एक रोचक कहानी है. सन 1988 में ओम सिंह राठौड़ नाम का शख्स अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर अपने ससुराल से अपने गाँव चोटिला आ रहा था.
रास्ते में एक पेड़ से टकराने से उसका एक्सीडेंट हो गया और उसी समय उसकी मृत्यु हो गयी. एक्सीडेंट के बाद उसकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया. अगले ही दिन पुलिस कर्मियों को वह बुलेट थाने में नही मिली. ऐसा माना जाता है कि मोटर-साइकिल अपने आप ही चल कर उस स्थान पर चली गयी थी. ऐसा तीन-चार बार हुआ. तभी से लोग इस मोटर साइकिल को पूजनें लगे हैं.
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लेपाक्षी में लटका स्तंभ, आंध्र प्रदेश
लेपाक्षी मंदिर में 70 खंभों के अलावा एक स्तंभ हवा में लटका हुआ है. यह बिना सहारे के मौज़ूद है. लोग मंदिर में आते हैं और स्तंभ के नीचे से वस्तुओं को गुज़ारते हैं. उनका मानना है कि ऐसा करने से उनके जीवन में ख़ुशहाली आएगी. लोगों का यह भी विश्वास है कि यह भगवान शिव का चमत्कार है.
तालकाड़ में मिनी डेजर्ट, कर्नाटक
यह स्थान कावेरी नदी के तट पर स्थित है. कर्नाटक के चामराजनगर जिले में रेत के गहरे दफन है. चामराजनगर जिले में पहले 30 से भी अघिक मंदिर थे. 30 मंदिरों में से 5 मंदिर में लिंगम व शिव भगवान के 5 चेहरे प्रतिनिधित्व कर रहे थे. यह माना जाता है कि भगवान शिव की एक विधवा भगत ने इस जगह को शाप दिया था. इसके बाद यह गांव रेगिस्तान में बदल गया. आधे से ज़्यादा मंदिर रेत में दफन हो गयी और कावेरी नदी एक रहस्यमय तरीके से एक घूमते हुए भँवर में तब्दील हो गयी थी.
केरल में कोदिन्ही जुड़वां गांव (Twin town)
इस गांव में प्रवेश करने पर चारों तरफ हर किसी के जुडवाँ दिखाई देते हैं. कोदिन्ही गांव में 200 से भी अधिक जुड़वा बच्चे हैं. एक घर में तो तीन जुडवाँ बच्चें हैं. कोदिन्ही गांव की महिलाएं, जो गांव से बाहर शादी करतीं हैं, उनके भी जुड़वां बच्चें पैदा होते हैं. डॉक्टरों का मानना है कि इस अजीब घटना का कारण क्षेत्र के पानी में रसायन का मिलना है।
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शिवपुर में उड़ती चटान, महाराष्ट्र
हजरत कमर अली दरवेश मंदिर कोई असामान्य मंदिर नहीं है. भारत के प्रमुख रहस्यमय स्थानों में सूचीबद्ध है. यह एक विशेष चट्टान है, जिसका वजन 70 किलो है. यह माना जाता है कि एक सूफी संत ने कमर अली नामक इस पत्थर पर एक अभिशाप किया था और करीब 800 सालों से यह पत्थर शरीर निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
राजस्थान के देशनोक में “करणी माता मंदिर”
करणी माता का मन्दिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है. राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है. बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित है. माता मंदिर में चूहों को अत्यधिक शुभ माना जाता है. यहाँ चूहों की पूजा और रक्षा की जाती हैं. चूहों को पुनर्जन्म रिश्तेदार और करनी माता के परिवार के सदस्यों के रूप में माना जाता हैं. वास्तव में, सफ़ेद चूहों को करणी माता के बेटों के रूप में पूजा जाता है.
बिना दरवाजों के मकान, महाराष्ट्र
शनि शिंगणापुर अहमदनगर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव हैं. शनि शिंगणापुर में प्रसिद्ध शनि मंदिर भी है. शनि शिंगणापुर गाँव के घरो, स्कूलों और यहां तक इस गांव के किसी भी इमारत में कोई भी दरवाज़ा नहीं है. इस के बावजूद यहाँ एक भी अपराध नहीं होता है. गांव में अपराध दर शून्य है.
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गुरुत्वाकर्षण पैलेस लखनऊ, उत्तर प्रदेश
18 वीं सदी में एक आश्चर्यजनक निर्माण, जिसमें बड़ा इमामबाड़ा महल अरबी और यूरोपीय वास्तुकला के मिश्रण से बना एक रहस्यमय ऐतिहासिक स्थल हैं. गुरुत्वाकर्षण पैलेस हॉल की लंबाई लगभग 50 मीटर से भी अधिक हैं. सबसे अनूठी बात यह है कि इसमें एक भी स्तभ नही हैं. 18 वीं सदी में एक आश्चर्यजनक निर्माण, जिसमें बड़ा इमामबाड़ा महल अरबी और यूरोपीय वास्तुकला के मिश्रण से बना एक रहस्यमय ऐतिहासिक स्थल है.
लद्दाख के चुंबकीय हिल, लेह
जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के लेह में एक ऐसी पहाड़ी है, जिसे मैग्नेटिक हिल के नाम से जाना जाता है. लद्दाख की करामाती पहाड़ियों का सौंदर्य देखने में तो काफी सुंदर हैं, लेकिन ये पहाड़िया समुद्र तल से 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सबसे असामान्य स्थानों में से एक हैं. सामान्यतौर पर फिसलन वाली जगहोँ पर वाहन को गियर में डालकर खड़ा किया जाता है. यदि ऐसा नहीं किया जाए, तो वाहन नीचे की ओर लुढ़ककर खाई में गिर सकता है. लेकिन इस मैग्नेटिक हिल पर वाहन को न्यूट्रल करने खड़ा कर दिया जाए, तब भी यह नीचे की और नहीं जाता.
इस मैग्नेटिक हिल से होकर विमान उड़ा चुके पायलटों का दावा है कि इस हिल के ऊपर से विमान के गुज़रते वक्त हल्के झटके महसूस किए जा सकते हैं. इसी लिए जानकार पायलट इस क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही विमान की गति बढ़ा लेते हैं, ताकि विमान को हिल के चुंबकीय प्रभाव से बचाया जा सके.
E.T कोंग्का दर्रे, लद्दाख
कोंगका दर्रा या कोंगका ला भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है. कोंग्का ला दर्रे 16,970 फुट की ऊंचाई पर भारत और चीन के बीच एक विवादित क्षेत्र है. यही कारण है कि यहाँ कम से कम लोग पहुचते हैं. भारत में सबसे रहस्यमय स्थानों में से एक भी है. स्थानीय लोगों और यात्रियों का दावा है कि यहां यूएफओ (UFO) का दिखाई देना आम बात है. पहले इन बातों पर घ्यान नही दिया गया, लेकिन जून 2006 में गूगल के सेटेलाइट से ली गई फोटो भी सामने आई, जिसने लोगों को चौंका दिया.
उत्तराखंड में चमोली झील
ग्लेशियर एक सुंदर और खतरनाक जगहों में से एक हैं. रूपकुंड झील ग्लेशियर हिमालय में 16,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. यह झील कंकाल झील के नाम से भी मशहूर है. रूपकुण्ड झील का इतिहास सैकड़ों मौतों से भरा है. 15वीं शताब्दी में यहां करीब 600 कंकाल मिले थे. उस दौर में इस इलाके में पहुंचना नामुमकिन हुआ करता था, लेकिन यह अब एक पर्यटक स्थल है. यहां सालाना बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. इनमें युवा ज़्यादा होते हैं. लगभग 300-600 कंकाल हर साल रूपकुंड झील की सतह के नीचे देखे जाते हैं.
इडुक्की (Idukki) में लाल वर्षा, केरल
केरला में आकर्षक तटीय करी इडुक्की या ‘लाल क्षेत्र’ की समृद्ध प्राकृतिक वैभव के साथ भारत के रहस्यमय स्थानों के रूप में प्रसिद्ध है. इडुक्की में लाल रंग की बारिश सबसे पहले 25 जुलाई 2001 को हुईं थी और 2 महीने में समय- समय पर हुई है. खून से लाल मूसलधार बारिश के बाद जब स्थानीय लोगों द्वारा जमीन के गिरे हुए लाल पानी को एकत्रित किया गया, तो वह साफ पानी में बदल गया. वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषण करने के बाद इस घटना का स्पष्टीकरण यह निकला की लाल कण स्थानीय क्षेत्र में बढ़ रही शैवाल हवाई बीजाणुओं के कारण हैं.
कांगड़ा में अमर ज्वाला, हिमाचल प्रदेश
ज्वाला जी मंदिर हिमालय के कांगड़ा जिले में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में से एक हैं. यह भी भारत के रहस्यमय स्थानों में सूचीबद्ध हैं. इस मंदिर के अंदर खोखले पत्थर के बिच से लौ जल रहीं है, जो कि 100 वर्षों से जल रही है.
जातिंगा में आत्मघाती पक्षी के प्लेस, असम
मानसून में अंधेरे और धूमिल रातों के दौरान प्रवासी गांव के ऊपर उड़ते पक्षी, सिर के बल पेड़ों, इमारतों, डंडे से टकराने से अघिकतर की मौत हो जाती हैं. भारत में जातिंगा जगहों में सितंबर और अक्टूबर के दौरान हर साल बड़े पैमाने पर पक्षी आत्महत्या करते हैं. पक्षियों के इस तरह दुर्घटनाग्रस्त होने पर वैज्ञानिकों ने अलग- अलग तर्क दिए हैं, लेकिन कोई भी वैज्ञानिक असली वजह का पता नहीं लगा पाया है.
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कुलधरा के परित्यक्त गांव, राजस्थान
कभी पालीवाल ब्राह्मणों का इस गांव में निवास था, अब यहाँ ख़ाली मकान टूटे-फूटे मकान और एक पुराने मंदिर के साथ एक बंजर भूमि से ज़्यादा कुछ नहीं है. 2 सदियों पहले 1500 पालीवाल ब्राह्मण गांव से रात को भाग गए थे, तब से अब तक कोई भी यहाँ नही रहता और अब यह भारत में परित्यक्त स्थानों में से एक है. यह माना जाता है कि जब पालीवाल ब्राह्मण गांव छोड़ कर गए थे, तब वे एक अभिशाप छोड़ गए थे. जिसके बाद यहाँ कोई नहीं बस पाया.
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