सर्जिकल स्ट्राइक एक तरह की सैन्य कार्रवाई होती है, जिसमें एक चुने गए टारगेट को ध्वस्त करना होता है। सर्जिकल स्ट्राइक का मुख्य उद्देश्य कम से कम नुकसान में ज्यादा से ज्यादा टारगेट को तबाह करना होता है।
इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि केवल टारगेट को निशाना बनाना है। इसमें आम पब्लिक और पब्लिक प्रॉपर्टी को निशाना नहीं बनाया जाता है। सर्जिकल स्ट्राइक हवाई या जमीनी मार्ग से होती है।
स्पेशल सेना की टुकड़ी को हवाई रास्ते से दुश्मन के इलाके में छोड़ा जाता है या फिर हवा बमबारी के जरिए हमला किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे है, वो 11 सर्जिकल स्ट्राइक, जो भारतीय सेना ने अब तक की है।
मई 1998
1998 में भारतीय सेना के इस ऑपरेशन की शिकायत पाकिस्तान ने खुद संयुक्त राष्ट्र को की थी। यह शिकायत संयुक्त राष्ट्र की 1998 की वार्षिक किताब के पेज नंबर 321 पर दर्ज़ है।
4 मई को पाकिस्तान ने इस शिकायत में कहा कि पीओके में एलओसी के 600 मीटर पार बंदाला सेरी में 22 लोगों को मार डाला गया। पाकिस्तान गांव में मौजूद कुछ चश्मदीदों के हवाले से ये भी बताया गया कि करीब एक दर्जन शख्स, काले कपड़ों में आधी रात को आए।
उन्होंने कुछ पर्चे भी छोड़े, जिस पर एक में लिखा था- ‘बदला ब्रिगेड’। वहीं दूसरे पर्चे पर लिखा था- बुरे काम का बुरा नतीजा, एक और पर्चे पर लिखा था, एक आंख के बदले 10 आंखें, एक दांत के बदले पूरा जबाड़ा।
उस वक्त कुछ अमेरिकी अधिकारियों की ओर से माना गया था कि यह कार्रवाई पठानकोट और ढाकीकोट के गावों में 26 भारतीय नागरिकों की हत्या के बदले में की गई थी।
ग्रीष्मकाल 1999
1999 की गर्मियों में कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने जम्मू के पास मुनावर तवी नदी से एलओसी को क्रॉस किया था, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की एक पूरी चौकी को उड़ा दिया गया।
इस घटना के बाद पाकिस्तान ने बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) का गठन किया था, इस गठन में पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप (SAG) के कमांडो को शामिल किया गया था। जनवरी में एक भारतीय सैनिक का सिर कलम कर देने के लिए BAT को ही जिम्मेदार माना जाता है।
जनवरी 2000
21-22 जनवरी 2000 को करगिल युद्ध के 6 महीने बाद नीलम नदी के पार नडाला एनक्लेव में एक पोस्ट पर रेड के दौरान 7 पाकिस्तानी सैनिकों को कथित तौर पर पकड़े जाने का दावा किया गया था।
पाकिस्तान के मुताबिक यह सातों सैनिक भारतीय सैनिकों की गोलीबारी में घायल हुए थे, बाद में इन सैनिकों के शवों को पाकिस्तान को वापस कर दिया गया था।
भारतीय सेना के सूत्रों का कहना था कि भारतीय सेना की ओर से यह कार्रवाई कैप्टन सौरभ कालिया और 4 जाट रेजीमेंट के पांच जवानों- सिपाही भंवर लाल बागरिया, अर्जुन राम, भीखा राम, मूला राम और नरेश सिंह की शहादत के बाद की गई थी।
मार्च 2000
12 बिहार बटालियन के कैप्टन गुरजिंदर सिंह इंफैन्ट्री बटालियन कमांडो (घातक) की टीम के साथ एलओसी पार जाकर पाकिस्तानी चौकी पर धावा बोला।
यह पाकिस्तानी सेना के पूर्व में किए गए हमले की जवाबी कार्रवाई थी। भारत के इस ऑपरेशन में कैप्टन सूरी शहीद हो गए। उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
इसी दौरान 2 मार्च 2000 को लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने एक हमले में 35 सिखों की हत्या कर दी थी। उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, उनकी सरकार की ओर से 9 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) को सरहद पार कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी।
इस करवाई में स्पेशल फोर्स के मेजर की अगुआई में भारतीय सैनिकों ने एलओसी पार जाकर 28 पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों का काम तमाम किया था।
सितंबर 2003
सितंबर 2003 में एलओसी पर दोनों देशों में सीज़फायर लागू होने के बाद से दूसरे की जमीन पर जाकर होने वाले ऑपरेशन की कम ही जानकारी उपलब्ध है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर निगरानी वाले संयुक्त राष्ट्र प्रेषक दल (UNMOGIP) को दर्ज शिकायतों से पता चलता है कि क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशंस बदस्तूर जारी रहे।
पाकिस्तान ने इस शिकायत में यह दावा किया है कि भारतीय सैनिकों ने 18 सितंबर 2003 को पूंछ के भिम्बर गली के पास बरोह सेक्टर में एक पोस्ट पर हमला किया। इस घटना में पाकिस्तानी जेसीओ समेत 4 जवान मारे गए।
जून 2008
जून 2008 में दो बार ऐसी घटनाएं हुईं। पहले 5 जून 2008 को पूंछ के सलहोत्री गांव में क्रांति बार्डर निगरानी पोस्ट पर हमला हुआ था, जिसमें 2-8 गुरखा रेजीमेंट का जवान जावाश्वर छामे शहीद हुआ था।
पाकिस्तान की शिकायतों के रिकॉर्ड के मुताबिक पूंछ के भट्टल सेक्टर में 19 जून 2008 को भारतीय सैनिकों की कार्रवाई में चार पाकिस्तानी जवान मारे गए।
अगस्त 2011
पाकिस्तान ने 30 अगस्त 2011 को शिकायत दर्ज कराई कि उसके एक जेसीओ समेत चार जवान केल में नीलम नदी घाटी के पास भारतीय सेना की कार्रवाई में मारे गए।
अखबार ‘द हिंदू’ ने इस घटना पर सूत्रों के हवाले से बताया था कि ये ऑपरेशन कारनाह मे भारतीय जवानों पर हमले में दो भारतीय सैनिकों की हत्या और उनके शवों को क्षतविक्षत किए जाने के बदले में किया गया था।
जनवरी 2013
सावन पात्रा पाकिस्तानी पोस्ट से भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया जा रहा था। 6 जनवरी 2013 की रात को क्रॉस बार्डर फायरिंग के बाद 19 इंफैन्ट्री डिवीजन कमांडर गुलाब सिंह रावत ने इस पाकिस्तानी पोस्ट पर हमला करने की इजाजत मांगी।
पाकिस्तान की ओर से फिर कहा गया कि सावन पात्रा में स्थित उनकी पोस्ट पर भारतीय सैनिकों ने हमला किया। इस घटना पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिल्ली में कहा सावन पात्रा को निशाना बनाने के लिए एलओसी पार जाने की औपचारिक अनुमति नहीं थी, लेकिन तनाव की गर्मी में इस तरह की चीजें होती रहती हैं। पाकिस्तान ऐसा करता है, तो हमारी सेना भी ऐसा करती है।
जून 2015
4 जून 2015 को नागा उग्रावादियों ने चंदेल एरिया में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। इस हमले में हमारे 18 सैनिक शहीद हो गए थे।
इसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना की 70 सैनिकों की एक टीम ने म्यामार के जंगलों में सर्जिकल ऑपरेशन किया। 40 मिनट चले इस सर्जिकल ऑपरेशन में 38 नागा उग्रवादियों को मौत के घाट उतारा गया था और वहीं 7 नागा उग्रवादी गंभीर रूप से घायल हुए थे।
सितंबर 2016
उड़ी में हुए आतकंवादी हमले के बाद 29 सितंबर 2016 की रात सेना ने एलओसी पार करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक किया। इस हमले के दौरान 38 आतंकवादी मारे गए और उनके के 7 ठिकाने भी नष्ट कर दिए गए।
फरवरी 2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में जैश ए मोहम्मद के एक आतंकवादी द्वारा भारतीय सेना के एक काफिले पर हमला किया गया। इस हमले में हमारे 40 जवान शहीद हो गए।
भारतीय सेना ने इस हमले में शहीद हुए 40 सुरक्षाकर्मियों की शहादत का बदला पाकिस्तान की सीमा में घुसकर लिया। इस ऑपरेशन में वायुसेना के विमानों ने करीब 300 आतंकियों को ‘दोजख की आग’ में झोंक दिया।
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