Sunday, December 22, 2024
13 C
Chandigarh

भारत के 10 प्रसिद्ध ऐतिहासिक गुरुद्वारे

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल काफी प्रसिद्ध हैं। जैसे हिन्दू धर्म में मंदिर होते है, मुस्लिम धार्मिक स्थलों को मस्जिद कहा जाता है, ऐसे ही सिख धार्मिक स्थलों को गुरुद्वारा कहा जाता है।

भारत में सिख धर्म एक महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से प्रचलित धर्म है। पूरे भारत में सिख धर्म को मानने वाले अनुयायी है। आज हम आपको भारत के उन प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में बता रहे हैं, जहां अलग ही प्रकार की शांति का अनुभव होता है और जहां न केवल सिख धर्म के लोगों की ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों की भी बहुत आस्था है।

श्री हरमंदिर साहिब, अमृतसर, पंजाब (Golden Temple)

श्री हरमंदिर साहिब को श्री दरबार साहिब और स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) भी कहा जाता है। इस गुरुद्वारा साहिब को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जी ने इसके ऊपरी हिस्से को सोने से ढंक दिया था, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर का नाम दिया गया था।

श्री हरमंदिर साहिब की नींव सन् 1588 में सिक्खों के पाँचवे गुरु – गुरु अर्जन देव जी ने रखी थी। श्री हरमंदिर साहिब को भारत के मुख्य दर्शनिक स्थलों में गिना जाता है। यहां पूरी दुनिया से पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं।

श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड (Shri Hemkund Sahib)

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड के चमोली जिले में है। यह गुरुद्वारा समुद्र स्तर से 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुरुद्वारा साहिब सिखों का सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह गुरुद्वारा साहिब एक बर्फ़ीली झील किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है।

गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब की स्थापना सन् 1960 के आस-पास हुई थी। श्री हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है। श्री हेमकुंड साहिब को दर्शनों के लिए मई से अक्टूबर तक ही खोला जाता है। गुरुद्वारा साहिब को बर्फबारी के कारण अक्टूबर के अंत में बंद कर दिया जाता है और यह अप्रैल महीने तक बंद रहता है।

श्री हजूर साहिब, नांदेड़, महाराष्ट्र (Shri Hazur Sahib)

गुरुद्वारा श्री हजूर साहिब, महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में गोदावरी नदी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। गुरुद्वारा श्री हजूर साहिब सिखों के 5 तख्तों में से एक है। इस गुरुद्वारा  साहिब को सच-खण्ड कहा जाता है।

सिखों के 10वें और आखिरी गुरु – श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने कुछ अन्तिम महीने इस स्थान पर गुज़ारे थे। महाराजा रणजीत सिंह के आदेश के बाद इस गुरूद्वारा साहिब का निर्माण सन 1832-1837 के बीच हुआ था। महाराष्ट्र का नांदेड़ एक अनाम सा शहर था, जो गुरु जी के साथ जुड़ने के बाद सचमुच अमर हो गया।

पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश (Paonta Sahib)

गुरुद्वारा पांवटा साहिब, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में जमुना नदी के किनारे स्थित है। यह गुरुद्वारा साहिब सिखों के दसवें गुरु – श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है।

इस जगह पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के चार साल बिताए थे और इसी जगह पर गुरु जी ने दशम ग्रन्थ की रचना की थी। यहाँ एक म्यूजियम भी है, जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी का इस्तेमाल किया हुआ सामान भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया है।

फतेहगढ़ साहिब, पंजाब (Fatehgarh Sahib)

फतेहगढ़ साहिब, पंजाब के फतेहगढ़ जिले में स्थित है। यह गुरुद्वारा साहिब सिखों का मुख्य धार्मिक स्थल, श्रद्धा और विश्‍वास का प्रतीक है। यहां साल 1704 में गुरु गोबिंद सिंह जी दो छोटे बेटों साहिबज़ादा फतेह सिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह को फौजदार वज़ीर खान ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था।

उस वक्त साहिबज़ादा फतेह सिंह की उम्र सिर्फ 6 साल और साहिबज़ादा जोरावर सिंह की उम्र सिर्फ 8 साल थी। साहिबज़ादा फतेह सिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह अंतिम बार यहीं खड़े हुए थे और इसी स्थान पर उन्‍होंने अंतिम सांस ली थी। साहिबज़ादों की शहादत की याद में यह गुरुद्वारा साहिब बनाया गया था।

शीश गंज साहिब, दिल्ली (Sis Ganj Sahib)

गुरुद्वारा शीश गंज साहिब, दिल्ली का सबसे पुराना और ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा साहिब दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। यह गुरुद्वारा सिखों के नौवें गुरु – गुरु तेग बहादुर जी और उनके अनुयायियों को समर्पित है। इस जगह गुरू तेग बहादुर जी को मौत की सजा दी गई थी, जब उन्‍होंने मुगल बादशाह औरंगजेब के इस्‍लाम धर्म को अपनाने के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था।

तख्त श्री दमदमा साहिब, पंजाब (Dam Dama Sahib)

तख्त श्री दमदमा साहिब, पंजाब के बठिंडा से 28 किमी दूर दक्षिण-पूर्व के तलवंडी साबो गांव में स्थित है। दमदमा का मतलब ‘श्वास या आराम स्थान’ होता है। मुगल अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी यहाँ आकर रुके थे। इस वजह से इसे ‘गुरु की काशी’ के रूप में भी जाना जाता है।

मणिकरण साहिब, हिमाचल प्रदेश (Manikaran Sahib)

गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बसा है, जो हिन्दुओं और सिक्खों का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। ऐसा कहा जाता है कि यह पहली जगह है, जहाँ गुरू नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान ध्यान लगाया था। यह गुरुद्वारा साहिब, जिस पुल पर बना हुआ है, उसी पुल के दूसरे छोर पर भगवान शिव का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इसी वजह से यह जगह और भी खास मानी जाती है।

श्री केशगढ़ साहिब, आनंदपुर, पंजाब (Shri Keshgarh Sahib)

गुरुद्वारा श्री केशगढ़ साहिब, पंजाब के आनंदपुर शहर (जिला रोपड़) में स्थित है। आनंदपुर शहर की स्थापना सन् 1665 में सिखों के नौवें गुरू – गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने करवाई थी। सिखों के दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस स्थान पर 25 साल व्यतीत किए थे।

तख्त श्री पटना साहिब, पटना, बिहार (Shri Patna Sahib)

तख्त श्री पटना साहिब, बिहार के पटना शहर में स्थित है। यहां सिखों के दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। इस गुरुद्वारा साहिब का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया है। गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्म स्थान के साथ- साथ यह स्थान गुरु नानक देव जी और गुरु तेग बहादुर सिंह जी की पवित्र यात्राओं से भी जुड़ा हुआ है।

यह भी पढ़ें:-

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR