खेद का विषय यह है कि भारत में नित नए घोटाले सामने आते रहतें है। अधिकतर घोटालों में गुनेहगार अभी तक क़ानून की पकड़ से बाहर है। इसका मुख्य कारण यह है कि भ्रष्टाचार के अधिकतर मामले भारतीय अदालतों में लंबित पड़े हैं। यहाँ प्रस्तुत है, अनगिनत घोटालों में से चुनिंदा घोटाले, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अंत्यंत घातक रहें है।
भारतीय कोयला आबंटन घोटाला
इस घोटाले में कोयले का गलत तरीके से आबंटन हुआ था। बिना किसी बोली-प्रक्रिया के कोयले के ब्लॉक की नीलामी की गई, जिससे 1.86 लाख करोड़ का नुक्सान हुआ था। मनमोहन सिंह नीत कांग्रेस गठबंधन सरकार के समय यह घोटाला हुआ था।
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2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
2g स्पेक्ट्रम बहुत बड़ा घोटाला था। इसमें यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस का आबंटन हुआ था। इस घोटाले से 1.76 लाख करोड़ का नुकसान बताया जाता है। 2g घोटाला कोयले घोटाले से 5 वर्ष पहले हुआ था, जब भारत मंदी के दौर से गुज़र रहा था। अब भी इस घोटाले को ले कर कई लोगों के ऊपर अदालती करवाई चल रही है।
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वक्फ बोर्ड लैंड घोटाला
इस घोटाले में कर्नाटक की वक्फ बोर्ड के अधीन जमीन को गलत तरीके से आबंटन किया गया। वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो गरीब मुसलमानों की मदद के लिए बनी थी। एक रिपोर्ट में पता चला है कि लगभग 50% जमीन गलत तरीके से सरकारी काम करने वालों ने ले ली। इससे 1.5 से 2 लाख करोड़ का नुक्सान हुआ था।
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कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला भारत के इतिहास में एक और बड़ा घोटाला था। अंदाजा था कि 70,000 करोड़ कॉमनवेल्थ की गेम्स में लगाना था। लेकिन इसका 50% ही खेलों और उससे सम्बंधित गतिविधिओं में लगाया गया। यह घोटाला एक तरह की सीधी लूट थी। पैसा उन लोगों को दिया गया, जो असल में थे ही नहीं। मशीनों को तय मूल्यों से दोगुनी कीमत में खरीदी दिखाया गया था।
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तेलगी घोटाला
अब्दुल करीम तेलगी नाम के शख्स ने नकली टिकट पेपर बनाने में महारत हासिल की थी। उसने नकली स्टाम्प पेपर को बैंकों को और कई संस्थाओं को बेचा। उसने नकली स्टाम्प पेपर्स का कारोबार भारत के 12 राज्यों में फैला दिया था। आकलन के अनुसार नकली स्टैम्प्स की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को 20,000 करोड़ का नुक्सान हुआ था।
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सत्यम घोटाला
सत्यम घोटाला भारत के कॉर्पोरेट्स जगत में सबसे बड़ा घोटाला था, जिसमें 14000 करोड़ का नुक्सान हुआ था। सत्यम के चेयरमैन रामालिंगा राजू ने सब को अंधेरे में रखा। इस घोटाले ने उन निवेशकों को हिला के रख दिया, जिन्होंने सत्यम कम्पनी में निवेश किया था। बाद में टेक महिंद्रा ने सत्यम कंपनी को खरीद लिया था।
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बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स तोप घोटाला 1980 और 1990 के दशक में हुआ था। स्वीडन की बोफोर्स एबी कम्पनी ने भारत को 155 एमएम होवित्ज़र तोप सौदे के लिए भारत सरकार के राजनीतिज्ञों को रिश्वत दी। इस घोटाले में 1 करोड़ 60 लाख डॉलर की रिश्वत कथित तौर पर सत्तासीन कांग्रेसी नेताओं और राजीव गाँधी को दी गई बताई गयी है।
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चारा घोटाला
1996 के चारा घोटाले में 900 करोड़ का नुक्सान हुआ था, जो की उस समय में बहुत बड़ी रकम थी। इस घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव मुख्य आरोपी है। पक्के सबूत मिलने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था, परन्तु बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया, मामला अदालत में लंबित पड़ा है।
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हवाला स्कैंडल
हवाला स्केंडल में 100 करोड़ रुपयों का नुक्सान हुआ था। यह घोटाला 1996 में सामने आया था, इसमें उन लोगों का नाम सामने आया, जो सरकार को चला रहे थे। जो ह्वाला के दलालों से रिश्वत ले रहे थे। इस घोटाले में लालकृष्ण अडवाणी का भी नाम आया, जो उस समय विरोधी पार्टी के सदस्य थे।
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स्टॉक मार्किट घोटाला
निवेशक 4,000 करोड़ के घोटाले को अपने दिलों दिमाग से कभी नहीं भुला सकते कि कैसे शेयर दलाल हर्षद मेहता ने उनके पैसे डूबा दिए थे। एक अन्य शेयर दलाल सी.आर. भंसाली ने 1,200 करोड़ एफडी, म्यूचुअल फंड के माध्यम से जनता से उगाहे और अस्तित्वहीन फर्मों के माध्यम से डिबेंचर और व्यक्तिगत लाभ के लिए उन्हें शेयरों में निवेश कर दिया। अन्य शेयर दलाल केतन पारेख ने शेयरों की कीमतों में हेरफेर करने के लिए बैंकों से उधार के पैसे के माध्यम से चयनित शेयरों में सर्कुलर ट्रेडिंग की जिसे 900 का घाटा हुआ था।