सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ महादेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही सावन के महीने में कुछ चीजों का सेवन करने को मना किया जाता है।
इनमें दूध, दही, बैंगन और हरी पत्तेदार सब्जियां प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसके अलावा लहसुन, प्याज और मांस मदिरा का सेवन करने से भी रोका जाता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इन चीजों को न खाने के पीछे क्या कारण है और क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं:-
दूध, दही
लोगों के बीच में दूध, दही को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता प्रचलित है कि सावन में दूध और दही से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, इसलिए ऐसा मानते हैं कि दूध और दही खाने से बचना चाहिए।
वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क यह भी है कि सावन का महीना बारिश का होता है और इस महीने में घास और पेड़-पौधों पर कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े पनपते हैं। इस घास और पौधों को गाय-भैंस के चारे के तौर पर खाती हैं।
इस तरह ये कीड़े घास-फूस के साथ इनके पेट में पहुंचने का डर होता है और यहां से ये दूध में भी मिल सकते हैं। इसलिए दूध पीने को मना किया जाता है। दूध से ही दही और पनीर बनता है कि इसलिए डेयरी उत्पादों को खाने से रोका जाता है।
नमक को क्यों कहा जाता है न
सावन के महीने में कुछ लोग धार्मिक कारणों से नमक का त्याग कर देते हैं या फिर नमक का प्रयोग केवल एक वक्त के खाने में करते हैं।
वैज्ञानिक तर्क यह है कि इस बारिश के इस मौसम में हमारे शरीर में सोडियम की मात्रा पहले से ही काफी बढ़ी रहती है। ऐसे में सोडियमयुक्त नमक लेना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप नमक छोड़ नहीं सकते हैं तो सावन के महीने में सेंधा नमक का प्रयोग करें तो बेहतर होगा।
बैंगन और पत्तेदार सब्जियां
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुछ लोग सावन में बैंगन और पत्तेदार सब्जियां नहीं खाते हैं। बैंगन को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अशुद्ध माना जाता है। तो वहीं विज्ञान कहता है कि सावन के महीने में बैंगन में कीड़े पड़ जाते हैं।
वहीं हरी पत्तेदार सब्जियों में भी कीड़े लग जाते हैं। अगर आप इन सब्जियों को खाएंगे तो संभव है कि आपके पेट में जाकर ये कीड़े और बैक्टीरिया बीमारी पैदा कर सकते हैं।
प्याज, लहसुन
धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का महीना होता है और ऐसे में हमें प्याज लहसुन नहीं खाना चाहिए। ये वस्तुएं हमें सत्कर्म के मार्ग से भ्रमित करती हैं।
वहीं वैज्ञानिक तर्क यह है कि सावन के महीने में हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। ऐसे में प्याज और लहसुन से बनी सब्जियां अधिक गरिष्ठ होने की वजह से खाना पचा पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
मांस मदिरा
इन वस्तुओं को तामसिक चीजों को श्रेणी में रखा जाता है जो कि आपके मन को भक्ति के मार्ग से भटकाकर गलत दिशा में धकेलती हैं। इसलिए सावन के महीने में मांस और मदिरा के सेवन को मना किया जाता है।
इसके साथ ही सावन में लाल मिर्च के स्थान पर हरी मिर्च और काली मिर्च खाने को कहा जाता है। मान्यता है कि अधिक मसालेदार भोजन खाने से मन में बुरे विचार आते हैं।
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