हर साल दुनियाभर में 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे मनाया जाता है। साल 2014 से ही यह डे मनाया जा रहा है। आज के वक्त में टैक्सट मैसेज में इमोजी (आइकन्स) का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है। शायद ही कोई होगा, जो चैटिंग के दौरान एक-दूसरे को इमोजी न भेजें। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इमोजी के जरिए लोग अपनी भावनाओं को आसानी से समझा पाते हैं। रोने से लेकर गुस्सा और बुखार सब एक इमोजी के जरिए समझाया जा सकता है। आइए आज जानते हैं इमोजी (आइकन्स) की शुरुआत कैसे शुरू हुई थी!
इमोजी की शुरूआत 1990 के दशक में 176 रंग-बिरंगे आइकन्स से हुई थी। आज इनकी संख्या 2500 से अधिक है। ज़्यादा से ज़्यादा नए जुड़ रहे इमोजी स्मार्टफोन्स पर चैटिंग की आदतों को बदल रहे हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर चैटिंग करने वालों के पास चुनने के लिए हजारों तरह के इमोजी हैं, परंतु कुछ लोगों को अभी भी ये कम लगते हैं।
उन्हें लगता है कि इनमें उनके समुदाय या उनकी लुक वाले लोगों का जरा भी प्रतिनिधित्व नहीं है। स्माइलीज तथा उनका प्रयोग करने वालों का अध्ययन बर्लिन फ्री यूनिवर्सिटी के एक भाषाविज्ञानी एनातोत स्टेफानोवित्स कर रहे हैं।
वह जानना चाहते हैं कि लोग इनका उपयोग किस तरह से करते हैं और यह भी कि लोग कितनी तरह के इमोजी चाहते हैं और क्या इनकी कोई सीमा भी है। वैबसाइट यूनिकोड सभी सोशल मीडिया पर उपलब्ध इमोजी की जानकारी रखती है।
इसके अनुसार वर्तमान में इनकी कुल संख्या 2,623 है। अमेरिका आधारित यह संकाय टैक्स्ट सॉफ्टवेयर के लिए कोडिंग तैयार करती है। कोई भी इसके पास नए इमोजी कैरेक्टर का सुझाव भेज सकता है।
परंतु प्रस्ताव के साथ उसे जारी किए जाने के लिए दमदार दलील तथा इसका अर्थ भी बताना होता है। धैर्य भी खूब चाहिए, क्योंकि इमोजी जारी होने की पूरी प्रक्रिया में सालों लग सकते हैं। विशेषज्ञों को नए इमोजी के लिए लगातार आग्रह मिलते रहते हैं और उन्हें यह तय करना पड़ता है कि किन्हें डिवैल्प करना है।
लम्बे समय से नए रंग या आकार वाले इमोजी तैयार करने की बजाय सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व पर जोर देने की मांग ज़्यादा होने लगी है। शायद यही वजह है कि सिर पर खिजाब पहने चेहरा उन इमोजी का हिस्सा है, जिन्हें हाल ही में जारी किया है।
जानकारों के अनुसार यह तो बस शुरूआत है। जल्द ही अन्य धार्मिक संकेतों वाले इमोजी भी लांच होंगे। इस तरह के इमोजी की मांग इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि लोग इनमें खुद को देखने की चाह रखते हैं।
स्कॉटलैंड में तो लाल बालों वाली इमोजी लांच किए जाने को लेकर बाकायदा एक पटीशन पेश की गई। यह इमोजी अगले वर्ष तक आ सकता है। जिस पर इस वर्ष की शुरूआत में यूनिकोड में सहमति बनी है।
2015 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने एक इमोजी को ‘वर्ड ऑफ द यीअर’ घोषित किया था, जो इनकी अहमियत को साफ जाहिर करता है। जिस इमोजी को इसने ‘वर्ड ऑफ द यीअर’ के रूप में चुना था, उसे ‘फेस विद टीयर्स ऑफ जॉय’ (खुशी के आंसुओं वाला चेहरा) के नाम से जाना जाता है।
डिक्शनरी के प्रवक्ता के अनुसार इमोजी अब संवाद का महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं, ऐसे अंग जो भाषाओं के बंधन से भी मुक्त हैं। जानकारों के अनुसार चैटिंग करने वालों को अब केवल शब्दों से संतुष्टि नहीं होती है, इसीलिए वे सोशल मीडिया पर संवाद का अटूट हिस्सा हैं। जिनसे विभिन्न भावों को तुरंत जाहिर किया जा सकता है।
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