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भगवान श्रीकृष्‍ण से जुड़े कुछ अनसुने अदभुत तथ्य!

भगवान श्रीकृष्‍ण विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं। उनको कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता है।

भगवान श्रीकृष्‍ण का सभी अवतरों में सर्वोच्च स्थान है। संपूर्ण भारत में उन्हीं के सबसे अधिक और प्रसिद्ध मंदिर है। दुनियाभर में उन पर सबसे अधिक शोध हो रहे हैं। धार्मिक जगत में केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि, अन्य धर्मों के लोग भी उनके अवतार को पसंद करते हैं।

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम श्री कृष्ण के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा।

  • श्रीकृष्‍ण 14 विद्या और 16 आध्‍यात्मिक और 64 सांसारिक कलाओं में पारंगत थे इसीलिए प्रभु श्रीकृष्‍ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगदगुरु कहलाते हैं।
  • भगवान श्री कृष्ण की तलवार का नाम नंदक, गदा का नाम कौमौदकी और शंख का नाम पांचजन्य था, जो गुलाबी रंग का था।
  • बहुत कम लोग ये जानते हैं कि श्री कृष्ण ने देवकी के छह मरे हुए बच्चों को भी वापस बुलाया था। श्री कृष्ण ने देवकी-वासुदेव की मुलाकात उनके छह मृत बच्चों से करवाई थी। यह छह बच्चे हिरणकश्यप के पोते थे और एक शाप में जी रहे थे।
  • भगवान श्रीकृष्ण ने कई अभियान और युद्धों का संचालन किया था, लेकिन इनमें तीन सबसे ज्यादा भयंकर थे। पहला- महाभारत, दूसरा- जरासंध और कालयवन के विरुद्ध तीसरा- नरकासुर के विरुद्ध।
  • भगवान श्रीकृष्ण का भगवान होना ही उनकी शक्ति का स्रोत है। वे विष्णु के 10 अवतारों में से एक आठवें अवतार थे, जबकि 24 अवतारों में उनका नंबर 22वां था। उन्हें अपने अगले पिछले सभी जन्मों की याद थी। सभी अवतारों में उन्हें पूर्णावतार माना जाता है।
  • श्रीकृष्ण की 16,008 पत्नियां थी। इनमें से आठ रानियां रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थीं। इन आठ रानियों से श्री कृष्ण के 80 बच्चे थे। सभी आठ रानियों के 10-10 पुत्र थे।
  • मान्यता है कि नरकासुर नामक असुर ने 16000 कन्याओं को विवाह करने के लिए बलपूर्वक बंदी बना कर रखा था। श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मार कर इन कन्याओं को मुक्त किया था। समाज द्वारा स्वीकृत न किए जाने के डर से इन कन्याओं ने वापिस अपने घर न जाने का निश्चय किया और श्रीकृष्ण को ही अपना पति मान कर उनसे उन्हें अपनाने की प्रार्थना की थी। हालाँकि श्रीकृष्ण ने इसे अनैतिक मान कर उनसे क्षमापूर्वक इनकार कर दिया था। कन्याओं द्वारा प्रार्थना करने पर और उनकी सहमति पर श्रीकृष्ण ने उनसे केवल सांकेतिक विवाह किया था। हालाँकि उनसे कभी अन्य कोई संबंध नहीं रखा। 
  • भगवान श्री कृष्ण की परदादी ‘मारिषा’ व सौतेली मां रोहिणी (बलराम की मां) ‘नाग’ जनजाति की थीं।
  • भगवान श्रीकृष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं।
  • भगवान श्रीकृष्ण ने केवल 16 वर्ष की आयु में महाबली चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया। उन्होंने मथुरा में दुष्ट रजक के सिर को मात्र हथेली के प्रहार से काट दिया।
  • दुनिया में वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने युद्ध के मैदान में ज्ञान दिया और वह भी ऐसा ज्ञान जिस पर दुनियाभर में हजारों भाष्य लिखे गए और जो आज भी प्रासंगिक है। असल में गीता को ही एक मात्र धर्मग्रंथ माना जाता है। उनके जीवन चरित श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है।
  • श्रीकृष्‍ण ने गीता के अलावा भी और भी कई गीताएं कहीं हैं। जैसे अनु गीता, उद्धव गीता आदि। गीता में उन्होंने धर्म, ईश्‍वर और मोक्ष का सच्चा रास्ता बताया।
  • श्री कृष्ण के साथ भले ही राधा का नाम हमेशा से जुड़ा हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी धर्मग्रंथ में राधा का जिक्र तक नहीं है। महाभारत या श्रीमद भगवत गीता दोनों में से किसी भी धर्मग्रंथ में उनका नाम नहीं लिया गया है। जयदेव ने पहली बार राधा का जिक्र किया था और उसके बाद से श्री कृष्ण के साथ राधा का नाम जुड़ा हुआ है।
  • जैन परंपरा के मुताबिक, भगवान श्री कॄष्ण के चचेरे भाई तीर्थंकर नेमिनाथ थे जो हिंदू परंपरा में घोर अंगिरस के नाम से प्रसिद्ध हैं.
  • उन्होंने अक्रूरजी को अपना विराट स्वरूप दिखाया, फिर उद्धव को, फिर राजा मुचुकुंद को, फिर शिशुपाल को, फिर धृतराष्ट्र की सभा में, पिर अर्जुन को 3 बार विराट स्वरूप दिखाया। कहते हैं कि उन्होंने कलियुग में माधवदास को भी अपना विराट स्वरूप दिखाया था।
  • भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक गंध निकलती थी।
  • द्रौपदी चीरहरण के समय उनकी साड़ी श्रीकृष्ण ने बढ़ा दी थी यह सबको पता है लेकिन इसके पीछे की पूरी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने सुदर्शन चक्र से किया था तब उनकी उंगली थोड़ी सी कट गई थी। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्ला फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया था। तब श्री कृष्ण ने उनसे कहा था कि द्रौपदी मैं तुम्हारे एक-एक सूत का कर्ज उतारूंगा।

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