Tuesday, December 24, 2024
13.1 C
Chandigarh

जानिए नई शिक्षा नीति और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में

नई शिक्षा नीति 2020 :- भारत की शिक्षा नीति को भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।

नया शिक्षा आयोग

केंद्रीय जनशक्ति विकास मंत्रालय और मानव संसाधन का नाम एक बार फिर बदल दिया गया है। इसका नाम बदलकर “शिक्षा मंत्रालय” कर दिया गया है।

यह देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधार लाएगा। यह 21 वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और 34 वर्षीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 की जगह लेगी।

इस नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल स्तर से लेकर ग्रेजुएशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं । साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में नई शिक्षा नीति का विषय शामिल था।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

1986 में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। इस अवधि के दौरान हमारे देश में समाज की अर्थव्यवस्था और बड़े पैमाने पर दुनिया सहित कई बदलाव हुए हैं, इसलिए 21 वीं सदी में लोगों की जरूरतों और देश के अनुसार शिक्षा क्षेत्र को बदलना या उसमें बदलाव करना आवश्यक है।

काफी गहन परामर्श के बाद, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तैयार की गई है और इसमें 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 ULB, 676 जिलों से लगभग 2 लाख सुझाव शामिल हैं।

नई शिक्षा नीति में कई बड़े बदलाव

स्कूलों में 10 +2 फार्मेट के स्थान पर 5 +3+3+4 फार्मेट को शामिल किया जाएगा, जोकि इस प्रकार होगा ।

  • पहले चरण में यानी पहले पांच साल में तीन साल की प्री-प्राइमरी और क्लास I से II की शिक्षा दी जाएगी।
  • द्वितीय चरण कक्षा III से V तक की शिक्षा होगी।
  • तीसरे चरण में छठी से आठवीं तक पढ़ाया जाएगा।
  • चौथे चरण में शेष चार साल नौवीं से बारहवीं तक की शिक्षा होगी।

परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। परीक्षा सेमेस्टर पैटर्न में होगी, साथ ही कॉलेज प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा लेने का विचार होगा।

NCERT द्वारा तय किया जाने वाला पाठ्यक्रम

NCERT पाठ्यक्रम तय करेगा। शिक्षा प्रणाली में पहली बार पूर्व-प्राथमिक विद्यालय के लिए पाठ्यक्रम तय किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम देश के सभी प्री-प्राइमरी स्कूलों पर लागू होगा।

तीसरी तक पढ़ने में सक्षम छात्रों पर अधिक जोर दिया जाएगा। पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव (संख्यात्मक ज्ञान) की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर दिया जाएगा । नई शिक्षा नीति के अनुसार, पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा शिक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।

साथ ही, अगर नौवीं से बारहवीं कक्षा में शिक्षा के लिए एक भी शाखा नहीं है, तो छात्रों के पास विभिन्न विषयों को चुनने का अवसर होगा, उदाहरण के लिए विज्ञान विषयों का अध्ययन करते समय संगीत सीख सकता है।

छात्र विज्ञान, वाणिज्य, कला के साथ-साथ संगीत, खेल, लोक कला को अपने अध्ययन के विषयों के रूप में चुन सकेंगे।

छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे । इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।

स्कूल रिपोर्ट कार्ड बदल जाएगा

पहली से 12 वीं कक्षा में अध्ययन करते समय, छात्र के रिपोर्ट कार्ड पर अंक, ग्रेड और शिक्षक की टिप्पणी का उल्लेख किया जाता था।

अब इस रिपोर्ट कार्ड में छात्रों, सहपाठियों और शिक्षकों की टिप्पणियां भी होंगी। शिक्षा के अलावा यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि छात्र ने क्या सीखा है। जब कोई छात्र बारहवीं कक्षा में स्कूल से बाहर जाएगा, तो उसे बारह साल का रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा।

उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव

कॉलेज की शिक्षा में, कला, वाणिज्य और विज्ञान नाम की तीन शाखाएँ प्रवेश की प्रक्रिया में हैं लेकिन नए मसौदे के अनुसार छात्र कला और विज्ञान के कुछ विषयों को चुनकर डिग्री हासिल कर सकेंगे।

इसमें विज्ञान, कला, खेल, व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे विकल्प होंगे। यह विकल्प उन छात्रों के लिए पेश किया जाएगा जो कई विषयों में रुचि रखते हैं उदाहरण के लिए एक इंजीनियरिंग छात्र कॉलेज में पढ़ते हुए संगीत सीख सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण

नयी शिक्षा नीति 2020 का सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट है मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू होना। अभी यदि कोई छात्र तीन साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारण से आगे की पढाई नहीं कर पाता है तो उसको कुछ भी हासिल नहीं होता है ।

लेकिन अब मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद पढाई छोड़ने पर सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद पढाई छोड़ने के बाद डिग्री मिल जाएगी । इससे देश में ड्राप आउट रेश्यो कम होगा ।

जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे, लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं । उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।

 

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR