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महाभारत की द्रौपदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य

महाभारत से बहुत सी लोकप्रिय कथाएं जुड़ी हुई है। द्रौपदी महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक है। द्रौपदी एक संपूर्ण नारी थी। एक प्रतिष्ठित कुरु राज्य की रानी होने के बावजूद द्रौपदी ने सब से ज़्यादा कष्ट सहा था। आइए जानते है द्रौपदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

द्रौपदी के पांच नाम

द्रौपदी को पांचाली (अर्थात पांचाल राज्य की), यज्ञसेनी (अर्थात यज्ञ या आहुति से उत्पन्न), महाभारती (भारत के पांच महान वंशजों की पत्नी) और सैरंध्री इन पांच नामों से भी जाना जाता था।

महाकाली का अवतार

द्रौपदी महाकाली का अवतार थी। वह भगवान कृष्ण की सहायता के लिए पैदा हुई थी, ताकि वह सभी अभिमानी राजाओं को नष्ट कर सके।

भगवान शिव का वरदान

द्रौपदी को पांच पति भगवान शिव के वरदान से मिले थे। वह अपने पिछले जन्म में 14 गुणों वाला पति चाहती थी। एक व्यक्ति में ये 14 गुण होने असंभव थे। इसीलिए भगवान शिव ने उन्हें पांच व्यक्तियों की पत्नी बनने का वरदान दिया और कहा उसके अगले जन्म में उसे ये 14 गुण इन पांच पतियों में मिलेगें।

कुत्तों को दिया था श्राप

पांडवों से विवाह के बाद वे सभी इस बात पर सहमत हुए थे कि एक समय में केवल एक भाई ही द्रौपदी के कक्ष में जा सकेगा, अन्य और कोई नहीं और जाने से पहले वह अपने जूते दरवाज़े पर रख देगा। जूतों से यह पता रहेगा कि कक्ष में पहले ही कोई है। एक दिन युधिष्ठिर द्रौपदी के साथ कक्ष में थे और तभी एक कुत्ता दरवाज़े के बाहर से उनके जूते चुरा ले गया।

इस बात से अनजान अर्जुन कक्ष में प्रवेश कर गए और उन्होंने युधिष्ठिर को द्रौपदी के साथ देख लिया। द्रौपदी को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और उसने क्रोध में आकर जूते चुराने वाले कुत्ते को यह श्राप दे दिया, “सारी शर्म को भूलकर सारा संसार तुम्हें सार्वजनिक रूप से मैथुन करते हुए देखेगा”।

ऋषि दुर्वासा ने बचाया था

चीर हरण के समय ऋषि दुर्वासा के एक वरदान ने द्रौपदी की रक्षा की थी। एक बार गंगा में स्नान करते वक्त ऋषि दुर्वासा की लंगोटी गंगा नदी में बह गई। तब द्रौपदी ने अपने वस्त्र का एक कपड़ा फाड़कर उन्हें ढांकने के लिए दिया। इसीलिए ऋषि ने उसे कपड़े की एक न अंत होने वाली पट्टी का वरदान दिया था। जब दुशासन ने द्रौपदी का चीर हरण किया, उसी वरदान ने द्रौपदी की रक्षा की थी।

पांचों पतियों में से किसे अधिक प्रेम करती थी

द्रौपदी पांचों पतियों में से अर्जुन को सबसे ज्यादा प्रेम करती थी,पर अर्जुन  कृष्ण की बहन सुभद्रा से सबसे ज़्यादा प्यार करते थे। पांचों में से महाबली भीम द्रौपदी को सबसे अधिक प्रेम करते थे।

द्रौपदी की शर्त

द्रौपदी ने पांचों पांडवों की पत्नी बनने के बाद यह शर्त रखी थी कि वह अपना राज्य किसी अन्य स्त्री के साथ नहीं बांटेगी, पांडव अपनी अन्य पत्नियों को इंद्रप्रस्थ नहीं ला सकते थे। लेकिन अर्जुन कृष्ण जी की सलाह पर अपनी पत्नी सुभद्रा को वहां लाने में सफल हुए थे।

द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन ने नहीं लिया था सहभाग

द्रौपदी के स्वयंवर से पहले ही दुर्योधन का विवाह कलिंग की राजकुमारी भानुमति से हो चुका था। दुर्योधन ने भानुमति को यह वचन दिया था कि उसके इलावा वह किसी और को अपनी पत्नी नहीं बनाएगा और उसने इस वचन को निभाया। इसीलिए दुर्योधन ने द्रौपदी के स्वयंवर में सहभाग नहीं लिया था।

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