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चौधरी चरण सिंह- किसानों का मसीहा जिसने किसान को दिया सर्वोच्च स्थान

भारत के पांचवें प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 – 29 मई 1987) की जन्म जयंती यानि 23 दिसंबर को भारत में किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा भी कहा जाता है।

चौधरी चरण सिंह ने भूमि सुधारों पर काफ़ी सराहनीय काम किया था। साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में और केंद्रीय वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने गांवों और किसानों के विकास के महत्वपूर्ण योगदान दिया। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और एक साधारण ग्रामीण किसान की तरह जिया।

किसान दिवस की स्थापना

choudhary charan singh
Choudhary Charan Singh (1902-1987)

वर्ष 2001 में भारतीय सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह  की जयंती पर उनके कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय किसान दिवस की घोषणा की गई थी।

किसान दिवस‘ मेहनती किसानों को समर्पित है जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाते हैं। 2001 से लेकर हर वर्ष 23 दिसंबर किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

किसानों का महत्त्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसका मतलब है कि यहां की जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर है।

किसान  देश की प्रगति में विशेष सहायक होते हैं। किसान के बल पर देश अपने खाद्यान्नों के उत्पादन को बेहतर करके खुशहाल बन सकते है। पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को किसानों के अभूतपूर्व विकास के लिए विशेष योगदान दिया था।

चौधरी चरण सिंह की नीति किसानों व ग़रीबों को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की, कि किसानों के बिना देश व प्रदेश का विकास नहीं हो सकता।

उनका कहना था कि भारत का संपूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मज़दूर, ग़रीब सभी खुशहाल होंगे। देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी कृषि सुधारों पर अधिक बल दिया था।

किसानों के मसीहा का चौधरी चरण सिंह का योगदान

किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में हुआ था। उन्होंने खेती और गाँव को महत्व दिया। आज़ादी के बाद चौधरी चरण सिंह पूर्णत: किसानों के लिए लड़ने लगे। चौधरी चरण सिंह की मेहनत के कारण ही ‘‘जमींदारी उन्मूलन बिल ”साल 1952 में पारित हो सका।

इस एक बिल ने सदियों से खेतों में ख़ून पसीना बहाने वाले किसानों को जीने का मौका दिया। उन्होंने समस्त उत्तर प्रदेश में भ्रमण करते हुए कृषकों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया।

किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाक़ों में कृषि मुख्य व्यवसाय था।

चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से सम्बन्ध रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने से पहले वे एक अच्छे लेखक भी थे।

उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी। लेखक के तौर पर उन्होंने एबॉलिशन ऑफ जमींदारी, इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्ज सॉल्यूशंस और लीजेंड प्रोपराइटरशिप जैसी किताबें लिखी हैं।

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