ब्रह्मांड न जाने कितने रहस्यों को अपने भीतर छुपाए हुए है जिन्हें आज भी वैज्ञानिक सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं रहस्यों में से एक है “ब्लैक होल”।
ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे रहस्य्मयी चीजों में से एक है। कहा जाता है कि हमें रोज आसमान में दिखने वाला तारा भी अपने अंतिम समय में ब्लैक होल ही बन जाता है। जहां अनंत गहराई और अंधकार के अलावा कुछ नहीं है।
आज इस लेख में हम इसी रहस्य्मयी ब्लैक होल के बारे में बात करने जा रहे हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।
क्या होता है ब्लैक होल?
ब्लैक होल तब बनते हैं जब कोई विशाल तारा मर जाता है और उसका कोर अपने आप ढह जाता है। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि कोई भी चीज़ इससे बच नहीं सकती यहाँ तक कि प्रकाश भी नहीं। इसीलिए उन्हें “ब्लैक होल” कहा जाता है।
जब चीजें ब्लैक होल के बहुत करीब पहुंच जाती हैं, तो वे अंदर खिंच जाती हैं और हमेशा के लिए गायब हो जाती हैं। यह एक विशाल वैक्यूम की तरह है जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को सोख लेता है।
ब्लैक होल अक्सर ज्यादा गर्म गैस और धूल से घिरे होते हैं। कहा जाता है कि इनका निर्माण तब होता है जब विशाल तारे ढहते हैं और शायद अन्य तरीकों से जो अभी भी अज्ञात हैं।
ब्लैक होल के प्रकार
ब्लैक होल एक जैसे नहीं होते? वैज्ञानिकों ने उनके आकार के आधार पर विभिन्न प्रकार के ब्लैक होल की पहचान की है। यहां नासा के अनुसार ब्लैक होल के कुछ प्रकारों का विवरण दिया गया है।
प्राइमर्डियल ब्लैक होल – ये सबसे छोटे प्रकार के ब्लैक होल माने जाते हैं।
तारकीय ब्लैक होल – सबसे सामान्य प्रकार के मध्यम आकार के ब्लैक होल को ‘तारकीय‘ (Stellar) कहा जाता है। एक तारकीय ब्लैक होल (Stellar Black Hole) का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 20 गुना अधिक हो सकता है। हमारी मिल्की-वे गैलेक्सी के भीतर दर्जनों तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल मौजूद हो सकते हैं।
महाविशाल ब्लैक होल – ये वास्तव में बहुत बड़े होते हैं। एक महाविशाल ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से लगभग एक अरब गुना अधिक हो सकता है।
मध्यवर्ती ब्लैक होल – सबसे बड़े ब्लैक होल को ‘सुपरमैसिव‘ (Supermassive Black Hole) कहा जाता है। इन ब्लैक होल का द्रव्यमान एकसाथ 1 मिलियन से भी अधिक सूर्यों के बराबर हो सकता है। अब तक के ज्ञात सबसे विशाल ब्लैक होल्स में से एक TON 618 का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान से 66 बिलियन गुना अधिक है।
ब्लैक होल के बारे में तथ्य
- Black Hole को हिंदी में “कृष्ण विवर” के नाम से भी जाना जाता है।
- कहा जाता है कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्लैक होल के अस्तित्व की खोज की थी लेकिन यह गलत है उन्होंने पहली बार 1916 में अपने सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के साथ ब्लैक होल के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी ।
- Black Hole शब्द का इस्तेमाल कई साल बाद 1967 में अमेरिकी खगोलशास्त्री जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर द्वारा किया गया था। ब्लैक होल शब्द की उत्पत्ति के दशकों बाद भी ब्लैक होल को केवल सैद्धांतिक वस्तुओं के रूप में जाना जाता रहा है।
- कार्ल श्वार्ज़चाइल्ड, आइंस्टीन के क्रांतिकारी समीकरणों का उपयोग करने वाले और यह दिखाने वाले पहले व्यक्ति थे कि Black Hole वास्तव में मौजूद हो सकते हैं।
- किसी तारे के Black Hole बनने के लिए उसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से कम से कम 10-20 गुना अधिक होना चाहिए। इसलिए सूर्य एक ब्लैक होल नहीं बन सकता क्योंकि उसके पास event horizon बनाने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान नहीं है।
- पृथ्वी के निकटतम Black Hole को द यूनिकॉर्न (The unicorn) कहा जाता है और यह लगभग 1,500 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है।
- हालांकि Black Hole का पता लगाना एक मुश्किल काम है लेकिन नासा का अनुमान है कि मिल्की वे में 10 मिलियन से एक बिलियन ब्लैक होल हो सकते हैं।
- वैज्ञानिक यह पता लगाने के लिए सितारों पर अध्ययन कर रहें हैं कि क्या वे (सितारें) ब्लैक होल के चारों ओर उड़ रहे हैं या परिक्रमा कर रहे हैं। जब एक ब्लैक होल और एक तारा पास-पास होते हैं, तो उच्च-ऊर्जा प्रकाश बनता है।
- Black Hole को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। इसे नई टेक्नोलजी के साथ विशेष उपकरण जैसे जेम्स वैब तथा हबल टेलीस्कोप आदी यह देख सकते हैं ।
- मिल्की वे के केंद्र में एक ज्ञात सुपरमैसिव ब्लैक होल है जिसका नाम Sagittarius A* रखा गया है। नासा के एक बयान के अनुसार विशाल संरचना सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 4 मिलियन गुना है और पृथ्वी से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है।
- Black Hole की पहली तस्वीर 2019 में इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप (EHT) द्वारा ली गई थी।
- हमारे सौर मंडल का निकटतम ज्ञात ब्लैक होल V616 monocerotis है, जिसे A0620-00 के रूप में भी जाना जाता है जो लगभग 3,000 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है और इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 7 गुना से अधिक है।
- सबसे बड़े ज्ञात Black Hole को TON 618 कहा जाता है। यह NGC 4889 नामक आकाशगंगा के केंद्र में स्थित है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 66 बिलियन बड़ा है। यह सुपरमैसिव Black Hole अब तक ज्ञात सबसे बड़े ब्लैक होल में से एक है और यह हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद Black Hole से लगभग 14 गुना बड़ा है।
खगोलीय घटनाओं को बेहद नजदीक से ट्रैक करने वाली संस्था नासा ने अंतरिक्ष का ‘दानव’ कहे जाने वाले ब्लैक होल की डरावनी आवाज रिकॉर्ड किया है। जिसे सुपरसोनिक साउंड क्वालिटी के साथ सुनने पर इसकी विशालता और भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ब्लैक होल से आने वाली आवाजें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
नासा के मुताबिक जब एक ब्लैक होल में कोई सामग्री जाती है तो तेज एक्स-रे लाइट उत्पन्न होती है। इसके बाद ब्लैक होल से ईको (Echo) या गूंज की आवाज सुनाई देती है। ब्लैक होल से निकलने वाली ये आवाजें काफी डरावनी सुनाई पड़ती हैं।
इन आवाजों को ब्लैक होल बायनरीज (Black Hole Binaries) का नाम दिया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 5 से 15 गुना तक अधिक था।
If a black hole erupts in space and no one is around to observe it, does it make a sound?
Not to worry; the @ChandraXray Observatory is here with new #BlackHoleWeek sonifications from galaxy clusters far, far away. Listen: https://t.co/yGu0RuP7TX pic.twitter.com/6rAgJafmAa
— NASA (@NASA) May 5, 2022