दुनिया भर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन होटल हैं, और हर होटल अलग-अलग खासियतों की वजह से प्रसिद्ध हैं। लेकिन एक होटल ऐसा भी है जो 80 सालों से वीरान पड़ा है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे इस रहस्यमयी होटल के बारे में तो चलिए जानते हैं :-
कहाँ पर है ये होटल
जर्मनी के बाल्टिक सागर के रुगेन द्वीप (Rügen) पर हिटलर के आदेश पर बने इस होटल को Colossus of Prora के नाम से जाना जाता है।
माना जाता है कि नाजी वास्तुविद Clemens Klotz ने अडोल्फ हिटलर के आदेश पर साल 1930 में इस होटल का डिजाइन तैयार किया था।
यह कोई साधारण होटल नहीं है बल्कि इसमें 10 हजार कमरे हैं, बावजूद इसके 80 सालों से यहां कोई भी नहीं ठहरा है। 10 हजार कमरों के इस होटल को बनाने में 9 हजार से ज्यादा मजदूरों ने काम किया था लेकिन यह कभी होटल के तौर पर खुल ही नहीं सका।
साल 1936 से 1939 के बीच 3 साल तक लगातार काम चलता रहा। इसमें 237.5 मिलियन जर्मन करंसी लगी। आज के समय में इसकी लागत है लगभग €899 मिलियन।
इसके 8 हाउसिंग ब्लॉक, थिएटर और सिनेमा हॉल बनकर तैयार हो गए थे। स्विमिंग पूल और फेस्टिवल हॉल का काम शुरू ही होना वाला था कि तभी दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया और 1939 में काम रुक गया। सभी मजदूरों को सेना में भेज दिया गया।
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इसके बाद ये काम फिर कभी शुरू नहीं हो सका। होटल की अधबनी इमारतों का इस्तेमाल सैनिकों ने सैनिक निवास की तरह किया।
जैसे पहले सोवियत आर्मी के सैनिक यहां छिपे, जिनके बाद नेशनल पीपल्स आर्मी और उनके बाद युनिफाइड आर्म्ड फोर्स ऑफ जर्मनी।
बमबारी के दौरान यहां सैनिकों के अलावा आम लोग भी छिपने के लिए आया करते थे। इसी बीच ये चमचमाती इमारतें बुरी तरह से टूट-फूटकर खंडहर में बदलने लगीं।
बाद में कई बार हिटलर ने इस होटल को बेचने के बारे में सोचा लेकिन ऐसा हो नहीं सका। हर बार डील किसी न किसी वजह से टूट जाती थी।
ज्यादातर लोगों का मानना था कि लड़ाई के दौरान यहां भी बहुत सी जानें गई होंगी इसलिए ये जगह भुतहा भी हो सकती है।
आखिरकार साल 2004 के बाद इस रहस्यमयी होटल के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग टुकड़ों में बेचे जा सकने में सफलता मिलने लगी।
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