हिंदू धर्म से जुड़े लोग घर, आंगन में तुलसी का पौधा जरूर लगाते हैं क्योंकि इससे घर में नैगेटिव एनर्जी का वास नहीं होता।
सिर्फ धार्मिक ही नहीं यह पौधा औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है इसलिए लोग तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन तुलसी की पत्तियों को तोड़ते समय अक्सर लोग गलतियां करते हैं, जैसे शाम के समय तुलसी तोड़ना।
मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल के समय राधा रानी का रूप मानी जाने वाली तुलसी माता लीला करती हैं। अगर पत्तियों की ज्यादा आवश्यकता हो तो तोड़ने से पहले पौधे को हिला जरूर लें।
तुलसी को खींचकर या नाखूनों से तोड़ना भी वर्जित है। वहीं अगर आप औषधि के रूप में इसका सेवन कर रहे हैं तो पत्तियों को चबाएं न जीभ पर रखकर चूसें क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, तुलसी एक वृक्ष नहीं बल्कि राधा रानी का अवतार है।
तुलसी क्यों है फायदेमंद
वास्तु 10 दिशाओं और 9 ग्रहों पर आधारित है। तुलसी मरकरी यानी बुध ग्रह को प्रभावित करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिर्फ तुलसी और गंगाजल में ही मरकरी पाया जाता है। मरकरी टैम्प्रेचर को कंट्रोल करने के साथ वातावरण को भी शुद्ध करने का काम करता है।
तुलसी के प्रकार
1. राम तुलसी (ब्राइट ग्रीन के पत्ते)
2. शाम तुलसी (छोटे डार्क ग्रीन कलर के पत्ते)
3. काली तुलसी (छोटे डार्क पत्ते)
आमतौर पर घरों में राम व शाम तुलसी पाई जाती है, जिसे उत्तर, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व में रखना चहिए। वहीं काली तुलसी को औषधीय के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसे दक्षिण पश्चिम दिशा में रखना सही होता है।
तो चलिए अब जानते हैं कि कहां और किस जगह पर होनी चाहिए तुलसी:-
तुलसी रखने की सही दिशा कौन सी? तुलसी के पौधे को न सिर्फ लक्ष्मी माता का स्वरूप माना जाता है बल्कि यह विष्णु को भी बेहद सर्वप्रिय है।
वास्तु के अनुसार इसे उत्तर, उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व में रखें। इसके अलावा तुलसी को भूलकर भी पूर्व और उत्तर पश्चिम दिशा में न लगाएं।
रोजाना जल दें
रविवार को छोड़कर महिलाओं को रोज तुलसी को जल देना चाहिए। इसके घर में सुख संपदा, शांति बनी रहती है और पैसों की कमी भी नहीं होती।
ऐसे दें जल
तुलसी को जल देने के लिए कांसे के लोटे का इस्तेमाल करें। साथ ही महिलाएं शाम के समय तुलसी के सामने दीया जलाएं। इससे घर में सुख शांति बनी रहेगी।
बैडरूम में न लगाएं
तुलसी का पौधा बहुत पवित्र होता है इसलिए इसे कभी भी बैडरूम में नहीं लगाना चाहिए।
यह भी पढ़ें :-
जानिए क्यों आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों को चबाने की मनाही है।