सिन्धु नदी (अंग्रेज़ी: Indus) एशिया की सबसे बड़ी और लंबी नदियों में से एक है। यह नदी पश्चिमी तिब्बत(चीन नियंत्रित), भारत और पाकिस्तान में से होकर बहती है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है। सिन्धु नदी का उद्गम स्थल तिब्बत के मानसरोवर के निकट “सेंगे ख बब” नामक जलधारा को माना जाता है। भारत में से होकर बहने वाली यह सबसे लंबी नदी है।
उद्गम स्थल
तिब्बती भाषा में ‘सेंगे ख बब’ का मतलब ‘सिंह मुख नदी’ है, यानि सिंह के मुख से निकलने वाली नदी। ध्यान दें कि तिब्बत व भारत की बहुत-सी महत्वपूर्ण नदियों की स्रोत-धाराओं के नाम हिन्दू व बौद्ध आस्थाओं में धार्मिक महत्व रखने वाले जानवरों पर पड़े हैं। जैसे कि सतलुज के उद्गम स्थान को लंगचेन खबब’ अर्थात ‘हाथी के मुख से निकलने वाली नदी’ है। इसी तरह ब्रह्मपुत्र नदी उर्फ़ यरलुंग त्संगपो नदी का आरम्भिक नाम ‘तमचोग खबब’ अर्थात ‘अश्व के मुख से निकलने वाली नदी’ है। वहीं घाघरा नदी आरम्भिक स्थान ‘मगचा खबब’ अर्थात ‘मोर-मुख नदी’ है।
सिंधु से इंडिया तक की कहानी
सिंधु नदी के नाम का अर्थ ‘सागर या पानी का बड़ा समूह’ है। सबसे पहले ईरान के लोग इसे ‘हेंदु’ कहने लगे। इसके बाद ग्रीक लोग इसको ‘इंडोस’ कहने लगे। बाद में रोमन ने नाम को बदल कर ‘इंडस’ रख दिया। कालांतर में ‘इंडस’ से इंडिया बन गया।
सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था। यह इंडस दरिया (indus river) के किनारे बसने वाली सभ्यता थी। थाईलैंड के निवासी अपनी भौगौलिक उच्चारण की भिन्नताओं की वजहों से अन्दुस को सिन्धु कहने लगे। हिंदी उच्चारण में इसे हिन्दू कहा जाने लगा।
सिंधु नदी का सफर
बहुत सारी अन्य नदियों की भांति सिंधु नदी हिमालय के पर्वतों में से निकलती है। यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती हैं। भारत में सिंधु नदी तिब्बत से लेह में प्रवेश करती है और इसके बाद कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान में दाखिल होती है। इसकी उपनदी झेलम के किनारे पर कश्मीर राज्य की राजधानी श्रीनगर स्थित है। सिंधु नदी नंगा पर्वत के उतरी भाग से होकर दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीचों-बीच से गुज़रती है। अंत में यह नदी कराची से गुज़रती हुई अरब सागर में शामिल हो जाती है।
इस नदी ने अपना रास्ता कई बार बदला है। 1245 ई. तक यह मुल्तान के पश्चिमी इलाके में बहती थी।
सिन्धु घाटी सभ्यता
सिन्धु घाटी सभ्यता (3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक,परिपक्व काल: 2550 ई.पू. से 1750 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ के नाम से भी जानी जाती है। दिसम्बर 2014 में भिरड़ाणा को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।
यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण(township) भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के 1400 केन्द्रों को खोजा गया है जिसमें से 125 केन्द्र भारत में है। 80 प्रतिशत स्थल सिंधु की पुरातन सहायक नदी सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है।
किसी समय थी भारत और ईरान का बॉर्डर
जब भारत की सीमा पेशावर तक थी। तब ये नदी भारत और ईरान देश का बॉर्डर हुआ करती थी. भारत और पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद यह नदी का ज्यादातर भाग अब पाकिस्तान में चला गया।
पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी
हिमालय के दुर्गम स्थानों से गुजरती हुई सिंधु नदी कश्मीर और गिलगिट से होती पाकिस्तान में प्रवेश करती है और मैदानी इलाकों में बहती हुई 1610 किमी का रास्ता तय करती हुई कराची के दक्षिण में अरब सागर में मिल जाती है। सिंधु नदी लगभग 243 घन किलोमीटर पानी के बहाव के साथ यह नदी पाकिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों में कृषि के लिए पानी की जरूरत को पूरा करती है।
सिंधु नदी की उपनदियाँ
सिंधु नदी की पांच उपनदियाँ हैं सतलुज, चनाब, रावी, जेहलम, व्यास. इनमें से सबसे बड़ी नदी सतलुज है। इसके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियाँ हैं। मार्च में बर्फ के पिघलने के कारण इसमें पानी का स्तर बढ़ जाता है। बरसात में मानसून के कारण भी जल का स्तर ऊँचा रहता है। इसके बाद सितंबर में जल स्तर नीचा हो जाता है और जाड़े भर कम ही रहता है।
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