डायबिटीज एक ऐसा विकार है जिसमें शरीर की ग्लूकोज (शुगर) को ऊर्जा में बदलने की क्षमता प्रभावित होती है। ग्लूकोज ही हमारे शरीर का प्रमुख ईंधन होता है, भोजन का पाचन होने के बाद यह वसा, प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट में बदलता है।
कार्बोहाइड्रेट के पाचन के बाद यह ग्लूकोज में बदलता है और यह तब रक्त में पहुंचता है जहां से इसका इस्तेमाल शरीर की विभिन्न कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा के लिए किया जाता है।
इस ग्लूकोज को रक्त से कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन – इंसुलिन की आवश्यकता होती है। इंसुलिन का उत्पादन अग्नाशय (पैंक्रियाज, जो इंसुलिन बनाता है) में मौजूदा बीटा कोशिकाओं द्वारा होता है लेकिन मधुमेह ग्रस्त लोगों में यह प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
डायबिटीज उस स्थिति में होता है जबकि हमारी पैंक्रियाज में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता, जो कि टाइप 1 डायबिटीज कहलाता है या जो इंसुलिन बनता भी है वह दोषपूर्ण होता है जो कि ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने में असमर्थ होता है, इसे टाइप 2 डायबिटीज कहते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज आमतौर से बच्चों और युवाओं में होती है, हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज ज्यादा आम है। यह मोटे तौर पर वयस्कों को अपना शिकार बनाती है, हालांकि हाल के वर्षों में देखा गया है कि यह बच्चों को भी अपनी चपेट में लेने लगी है।
अन्य प्रकार की डायबिटीज
LADA (लेटेंट ऑटोइम्यून मधुमेह जो वयस्कों में पाई जाती है),
MODY (मैच्योरिटी ऑसैट डायबिटीज जो युवाओं को प्रभावित करती है) और
GDM (गैस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस)।
लक्षण
धुंधला दिखना, सामान्य से अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब जाना, घाव का देरी से भरना, बिना किसी कारण थकान बनी रहना, तेजी से वजन गिरना, नपुंसकता, हाथों या पंजों का सुन्न पड़ना या उनमें झनझनाहट महसूस करना। इनमें से एक या अधिक लक्षण हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह कर अपने खून की जांच करवानी चाहिए।
उपचार
पोषक तत्वों वाली सेहतमंद और संतुलित खुराक का सेवन करें, नियमित व्यायाम, ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखना तथा डॉक्टर की दी दवाओं का समय से प्रयोग जरूरी है।
डायबिटीज रोगियों के लिए सैल्फ केयर दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए यानी आपको अपनी सेहत की देखभाल की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए। हालांकि, आप देखभाल के लिए अन्य लोगों की भी सहायता ले सकते हैं।