हम सभी ने पुराने घरों और बगीचों में मकड़ी के जाले देखे हैं। यह कोई आश्चर्य या नई बात नहीं है लेकिन मकड़ी के जाले इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरिया राज्य के गिप्सलैंड कस्बे में आई बाढ़ के बाद एक चौंकाने वाला नज़ारा दिखा है। बाढ़ग्रस्त इलाके में मकड़ी के जाल की चादर फैली हुई है। यह जाल काफी बड़ा और ट्रांसपेरेंट है।
मकड़ियों का यह अद्भुत जाल पेड़ों, खेतों, सड़कों और झाड़ियों तक फैला हुआ है। जब हवा चलती है तो मकड़ियों का यह जाल सफेद चादर की तरह हिलता है। हालांकि विशेषज्ञ लोगों को इससे होने वाले किसी खतरे के बारे में नहीं बता रहे हैं।
बाढ़ से बचने के लिए ऊँचे स्थानों पर आती हैं मकड़ी
दरअसल गिप्सलैंड इलाके में हुई भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। बाढ़ के पानी से बचने और खुद को बचाने के लिए मकड़ियाँ ऊँची ज़मीन की ओर मुड़ गईं।
बाढ़ के बाद गिप्सलैंड कस्बे में बिजली व्यवस्था ध्वस्त है और कई इमारतें डैमेज हो चुकी हैं। जमीन पर पानी का स्तर बढ़ने के कारण यहां की मकड़ियां जाल बुनकर ऊंचाई तक पहुंचने की कोशिश में हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मकड़ियां खुद को बचाने के लिए बड़े स्तर पर जाल बुन रही हैं। खुद को बचाने की इस तकनीक को वैज्ञानिक भाषा में ‘बैलूनिंग’ कहते हैं।
इसकी मदद से मकड़ियां ऊंचाई तक पहुंच जाती है। उनके द्वारा फेंका गया यह धागा आसपास की वनस्पतियों से चिपक जाता है।
इससे बचने के लिए मकड़ियां पास के पेड़ों और ऊंचे स्थानों पर जाने लगीं। खास बात यह है कि लाखों मकड़ियों के ऊंचे स्थानों पर जाने की यह घटना एक साथ घटी।
निचले स्थानों से ऊंचे स्थानों पर जाने की प्रक्रिया में, इन मकड़ियों ने अपने इस जाल को इतना फैला दिया कि यह जाल गिप्सलैंड के पूरे क्षेत्र में फैल गया। विक्टोरिया प्रांत में मकड़ी के जाले बनने की यह घटना आमतौर पर सर्दियों के दौरान होती है।
इंसानों को इन मकड़ियों से खतरा नहीं
एक्सपर्ट्स का कहना है, इन जाल को बनाने वाली मकड़ियों के काटने से इंसान को कोई बड़ा खतरा नहीं है। हां, मकड़ियों के काटने पर हल्की-फुल्की खुजली हो सकती है।
लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। ये मकड़ियां आकार में इतनी छोटी हैं कि इंसान की स्किन को भेद पाना इनके लिए मुश्किल है।