व्हील चेयर पर बैठा इंसान शरीर से तो पूरी तरह बेजान था लेकिन उनका दिमाग एक आम आदमी से कहीं गुना ज़्यादा तेज़ था l स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था l
1963 में जब स्टीफन महज 21 साल के थे तब डॉक्टर्स ने उन्हें बताया कि उन्हें मोटर न्यूरॉन नाम की एक भयानक लाइलाज बीमारी है l
इस बीमारी में इंसान का उसकी मांसपेशियों से नियंत्रण छूटने लगता है और धीरे-धीरे उसका सारा शरीर अपंग हो जाता है। किसी इंसान में इस बीमारी के पता लगने के कुछ ही महीने या साल बाद इंसान की मृत्यु हो जाती है।
जब डॉक्टर्स को पता चला कि स्टीफन को यह बीमारी है, तब डॉक्टर ने उनको बताया कि वह 2 साल से ज्यादा नहीं जी पाएंगे लेकिन स्टीफन ने अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत डॉक्टर्स की भविष्यवाणी को झूठ साबित कर दिया l
वह 50 साल से भी ज्यादा जिए। बीमारी के पता चलने के बाद धीरे-धीरे वह पूरी तरह अपंग हो गए थे सिर्फ उनका दिमाग जिन्दा था।
आज हम आपको इस महान वैज्ञानिक के बारे में कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो वाकई आपको हैरान कर देगी :-
- इक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि उनकी नजर में संसार का सबसे दिलचस्प रहस्य क्या है स्टीफन हॉकिंग ने जवाब दिया “औरतें”। उन्होंने हंसते हुए कहा कि उनके लिए औरतें एक अबूझ पहेली है l
- स्टीफन के जन्म और मृत्यु से एक बड़ा संयोग जुड़ा हुआ है जिस दिन ग्रेट वैज्ञानिक “गैलीलियो गैलिली” की मृत्यु हुई थी उसके पुरे 300 साल बाद 8 जनवरी 1942 को स्टीफन का जन्म हुआ था और जिस दिन दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था उस दिन स्टीफन की मृत्यु हुई थी। गजब की बात यह है कि ये तीनों ही अपने समय के जाने माने वैज्ञानिक थे।
- ब्रिटिश नागरिक होने के बावजूद तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वर्ष 2009 में हॉकिंग को अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से नवाज़ा था l
- स्टीफन हॉकिंग एक मीडयोकर स्टूडेंट थे l सन 2010 में उन्होंने कहा था कि वह 8 साल का होने तक पढ़ना भी नहीं सिख पाए थे और ग्रेड स्कूल से लेकर उनके ऑक्सफर्ड जाने तक वो एक लेजी स्टूडेंट थे।
- एक मीडयोकर स्टूडेंट होने के बावजूद स्टीफन को उनके स्कूली दिनों में उन्हें अल्बर्ट आइंस्टीन कहां जाता था क्योंकि उनको space-time और यूनिवर्स के बारे में बहुत नॉलेज थी l
- एक इंटरव्यू जो ब्रिटिश न्यूज़ पेपर “द गार्डियन” में पब्लिश हुआ था, इस इंटरव्यू के दौरान स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि हमारा दिमाग एक कंप्यूटर है और यह कंप्यूटर तब काम करना बंद कर देता है जब इसके कम्पोनेंट्स फ़ैल हो जाते हैं इसी को मृत्यु कहते हैं और जो यह मान्यताएं होती है कि मृत्यु के बाद भी जिंदगी मिलेगी स्वर्ग वगैरह यह सब मान्यताएं लोगों को मौत के डर से दिलासा देने के लिए होती है। स्टीफन हॉकिंग के इस विचार से मिलता जुलता मिर्जा गालिब का शेर है “हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है”।
- स्टीफन हाकिंग मानते थे कि हमारी दुनिया से अलग दूसरे ग्रहों पर भी जीव हो सकते हैं उन्होंने एक बार कहा था कि इस अनंत ब्रह्मांड को देखते हुए यह लगता है कि एलियंस सचमुच होंगे लेकिन हमें उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए l यह हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है l स्टीफन हाकिंग ने चेतावनी देते हुए कहा कि एलियंस रिसोर्सेज के लिए पृथ्वी को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- 2010 में स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि अगर कभी एलियंस हमारी दुनिया को विजिट करते हैं तो नतीजा कुछ ऐसा होगा जैसा कि तब हुआ था जब कोलंबस अमेरिका की धरती पर उतरा था, कोलंबस का अमेरिका पहुंचना अमेरिका के लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ था।
- वैसे तो स्टीफन साइंटिफिक कम्युनिटी में पहले से ही काफी फेमस थे लेकिन वास्तव में वह आम लोगों की अटेंशन में तब आए जब 1988 उनकी साइंस बुक “अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” पब्लिश हुई l इस बुक ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया l ये अपने समय की सबसे ज्यादा बिकने वाली बुक बनी l 150 हफ्तों तक न्यूयॉर्क टाइम्स बेस्ट लिस्ट में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 237 हफ्तों तक ब्रिटिश संडे टाइम बेस्ट सेलर लिस्ट में रही। इस बुक की एक करोड़ से भी ज्यादा कॉपीस बिक चुकी है।
- 2010 में दिए एक इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया कि आप अपने बच्चों को क्या सलाह देना चाहेंगे l प्रोफेसर हाकिंग ने जवाब में कहा मैं अपने बच्चों को यहां 3 एहम सलाहें देना चाहूंगा l पहली याद रखना हमेशा ऊपर सितारों की तरफ देखना है नीचे पैरों की तरफ नहीं, दूसरी काम करना कभी मत छोड़ना क्योंकि काम तुम्हें जिंदगी का उदेश्य देता है और बिना काम की जिंदगी खाली है तीसरी अगर किस्मत से कभी तुम्हें तुम्हारा प्यार मिल जाए तो उसे कभी मत छोड़ना l
- प्रोफेसर हॉकिंग कहते थे कि उन्होंने हमेशा से एक सपना देखा था कि वह साइंस पर कोई ऐसी बुक लिखेंगे जिसे आम लोग भी आसानी से समझ पाए l वे कहते थे कि “अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” पर उनका यह सपना पूरा हुआ l यह बुक उन्होंने तब लिखी थी जब वह पूरी तरह से अपंग हो चुके थे l स्टीफन की ये बुक कॉस्मोलॉजी पर है और उन्होंने इसमें बिगबैंग और ब्लैक होल्स जैसे विषयों पर लिखा है l
- प्रोफेसर ने अपनी बेटी लूसी के साथ मिलकर बच्चों के लिए भी कई साइंस बुक लिखी हैं lयह किताबें जॉर्ज नाम के एक लड़के पर केंद्रित है जो ब्रह्मांड में ट्रैवल करते हुए ब्रह्मांड के बारे में सीखता है।
- इतने महान वैज्ञानिक होने के बावजूद और उनकी ग्राउंडब्रेकिंग डिस्कवरीज के बावजूद भी स्टीफन हॉकिंग कभी नोबेल प्राइज नहीं जीत पाए।
- स्टीफन एक फेमस साइंटिस्ट तो थे लेकिन वह बहुत से टीवी शोस जैसे “द स्टार ट्रैक”, “द सिमप सन” और “द बिग बैंग थ्योरी” में भी नजर आ चुके हैं l
- बी बी सी को दिए एक इंटरव्यू में प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि स्पेस में ट्रैवल करने की उनकी लंबे अरसे से ख्वाहिश है l 2007 में उनकी यह ख्वाहिश पूरी हुई जब साइंटिस्ट उन्हें 1 स्पेस शटल में ले गए और वहां उन्हें जीरो ग्रेविटी का अनुभव कराया गया l प्रोफेसर हॉकिंग करीब 4 मिनट तक वेट लेस रहे।
- हॉकिंग ने दुनिया के अंत के बारे में बात करते हुए यह कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न्यूक्लियर वॉर, महामारी, क्लाइमेट चेंज और बढ़ती जनसंख्या यह सभी वह कारण है जो दुनिया को अंत की ओर लेकर जाएंगे l प्रोफेसर ने कहा था कि मुझे लगता है मानव जाति के पास खुद का अस्तित्व बचाए रखने के लिए 1000 साल है l जब तक की पृथ्वी मनुष्य के रहने के काबिल ना बचे तब तक हमें पृथ्वी जैसा कोई और ग्रह खोजने की जरूरत है।
- लंबी बीमारी की वजह से स्टीफन का शरीर पूरी तरह बेजान हो गया था वह ना लिख सकते थे और ना ही बोल सकते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई किताबें लिखी। यह किताबें उन्होंने अपने स्पीच सिंथेसाइजर की मदद से लिखी l स्टीफन पूरी तरह अपंग होने के बावजूद भी इस डिवाइस की मदद से लोगों से बात कर पाते थे।
- स्टीफन ब्रिटिश थे लेकिन उनके स्पीड सिंथेसाइजर में जो कंप्यूटराइज आवाज थी उसका एक्सेंट (बोलने का लहज़ा) अमेरिकन था इस बीच जनरेटिंग डिवाइस में समय-समय पर काफी सुधार होते रहे लेकिन उन्होंने उस अमेरिकन एक्सेंट वाली कंप्यूटर आवाज को कभी बदलने नहीं दिया l स्टीफन को वह आवाज़ बहुत पसंद थी और लोगों के बीच भी वह आवाज इतनी फेमस थी कि कोई भी उसे थोड़ा सा सुनकर यह आसानी से बता सकता था कि यह प्रोफेसर स्टीफन बोल रहे हैं।