“लोसर” (लोसार, Tibetan: ལོ་སར་ English: Losar) तिब्बत, नेपाल और भूटान का सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के असम और सिक्किम राज्यों में भी मनाया जाता है। लोसर तिब्बती भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है – नया वर्ष ( लो = नया, सर = वर्ष ; युग) यानी लोसर मतलब नया साल।
लोसर त्यौहार चंद्र-सौर तिब्बती कैलेंडर के पहले दिन से शुरू होता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में फरवरी या मार्च की तारीख से मेल खाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 10 फरवरी से शुरू हो रहा है। तिब्बती लोग इस त्यौहार को नए साल के साथ साथ फसल के मौसम की शुरुआत के रूप में भी मनाते हैं।
लोसर का इतिहास और महत्व
लोसर का उत्सव बौद्ध-पूर्व काल से चला आ रहा है जब तिब्बती लोग बॉन धर्म का पालन करते थे। उस समय हर सर्दियों में एक आध्यात्मिक समारोह आयोजित किया जाता था जिसमें स्थानीय देवताओं और आत्माओं को धूप जलाने की परंपरा थी। इस विश्वास के साथ कि वे लोगों की भलाई और रक्षा करेंगे। इस प्रकार यह धार्मिक त्यौहार किसानों का त्यौहार बन गया जो खुबानी के पेड़ों पर फूल खिलने के दौरान मनाया जाने लगा।
9वें तिब्बती राजा, पुडे गुंग्याल के शासनकाल के दौरान, एक बुजुर्ग महिला ने लोगों को चंद्रमा के विभिन्न चरणों के आधार पर समय की गणना करना सिखाया। चंद्र कैलेंडर की स्थापना के बाद ही किसानों ने इस त्यौहार को लोसर के रूप में मनाना शुरू किया।
पूरे भारत में लोसर का त्यौहार
लोसर 3 दिवसीय त्यौहार है लेकिन आम तौर पर यह उत्सव 15 दिनों तक चलता है जिसमें तिब्बती समुदाय के लोग अपने घरों को अच्छी तरह से साफ करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और अपने भगवान को ताजा पका हुआ भोजन चढ़ाते हैं। मुख्य उत्सव पहले तीन दिनों तक होता है।
पहला दिन: लामा लोसर
पहले दिन, लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। इस दिन प्रसिद्ध गुथुक सूप और चांगकोई नामक बीयर तैयार की जाती है। यह पारंपरिक तिब्बती नूडल सूप, थुकपा भटुक का एक रूप है, जो छोटे भातसा नूडल्स से बनाया जाता है। सूप नौ सामग्रियों से बनाया जाता है – बीफ, बीफ स्टॉक, प्याज, लहसुन, मूली, मटर, टमाटर, पालक और सूखा पनीर।
दूसरा दिन: ग्यालपो लोसर
दूसरे दिन को ग्यालपो लोसर या किंग्स लोसर के नाम से जाना जाता है और इसमें धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। लोग स्थानीय मठों में जाते हैं और भिक्षुओं को उपहार देते हैं। पटाखे जलाए जाते हैं। माना जाता है कि पटाखे आस-पास छिपी किसी भी प्रकार की बुरी आत्मा को डरा देते हैं।
तीसरा दिन: चोए-क्योंग लोसर
तीसरे दिन, लोग जल्दी उठते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, देवताओं को प्रसाद चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। पूजा के बाद सारा परिवार एकजुट होकर काप्से (एक प्रकार का केक) और चांग (एक स्थानीय पेय) खाते हैं।
लोग एक-दूसरे को ‘हैप्पी लोसर ‘ या “लोसर ताशी डेलेक” कहकर बधाई देते हैं। प्राथमिक लोसर त्यौहार तीसरे दिन समाप्त हो जाता है लेकिन उत्सव 12 दिनों तक जारी रहता है, जहां लोग रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाते हैं।