अलग-२ भाषाओं में ‘ऐसे दी जाती हैं नव वर्ष की बधाई’

नव वर्ष यानी 1 जनवरी का दिन सम्पूर्ण विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को आने वाले वर्ष के शुभ होने के लिए शुभकामनाएं तथा बधाइयां देते हैं।

इसके लिए विश्व भर में रहने वाले लोग अपनी-अपनी भाषा का उपयोग करते हैं। इसी प्रकार हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं और लोग अपनी-अपनी भाषा में नव वर्ष की बधाइयां देते हैं।

 

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विभिन्न देशी-विदेशी भाषाओं में नव वर्ष की बधाई ऐसे दी जाती है।

  1. अफगानी भाषा में- ‘नवरोज मुबारक’
  2. स्पेनिश में- ‘फेलिज अनो नूएवो’
  3. जर्मन में- ‘फ्रोहेस न्यूएस जाअर’
  4. डेनिश में- ‘गॉडत नयतार’
  5. फ्रैंच में- ‘बोनी एनी’
  6. बुल्गेरियन में- ‘चेस्तिता नावो गोदिना’
  7. अफ्रिकांस में- ‘जेलूकिगे नूवे जार’
  8. चीन की मंडारिन भाषा में -‘शिननियान क्वाईले’
  9. डैनिश में- ‘जेलूकिग निऊवाजार’
  10. अरेबिक में- ‘सनत जादिदात साइएदा’
  11. तुर्किश में- ‘येनि विलिन कुतलु ओलसन’
  12. थाई में- ‘सवास्दी पी हिम’
  13. पोलिश में – ‘सेजेइसलीवेगो नोवेगो रोकू’
  14. नार्वेजियन में- ‘गोड्त न्यात्तर’
  15. ग्रीक में- ‘एफ्तिचेसमिनो तो नियो एतोस’
  16. हंगेरियन में- ‘बोलडाग उज एवेत’
  17. इंडोनेशियन में- ‘सेलामत ताहुन बारू’
  18. ईराकी में- ‘सनह दिदाअ’
  19. आइरिश में-‘अथभिलियानुआ फी महईसे दहयीट’
  20. नेपाली में-‘नव वर्षको हर्दिकमंगलमयशुभकामना’
  21. स्वीडिश में – ‘गोट नायत अर’
  22. इतालवी में- ‘फेलिसे ऐनेनो न्यूओवो’
  23. फिलिपींस में- ‘मालिगायांग बागोंग ताओन’
  24. पुर्तगाली में- ‘फेलिज अनो नोवो’
  25. श्रीलंका (सिंघलीज) में – ‘सुभाह नवा वर्षक’

भारतीय भाषाओं में नव वर्ष की बधाइयां

  1. हिन्दी में- ‘नव वर्ष मंगलमय हो’, ‘नूतन वर्ष शुभ हो’
  2. संस्कृत में – ‘शुभं नववर्षम्’, ‘नववर्ष मंगलमय अस्तु’, ‘नूतन वर्षम् सुखदम भवः’
  3. पंजाबी में- ‘नवें साल दियां लख लख बधाइयां’, “नवें साल दियां मुबारकां’
  4. बंगाली में- ‘शुबो नाबोबोर्टी’
  5. सिंधी में- ‘नायूओ साल मुबारक हौजे’
  6. उड़िया में- ‘नववर्ष शुभेच्छा’
  7. गुजराती में- ‘नूतन वर्ष अभिनंदन’
  8. तमिल में- ‘पुथादू वलत्तूक्कल’
  9. तेलुगु में – ‘नूतन सम्वत्सर शुभकांशालू’
  10. उर्दू में- ‘नया साल मुबारक’
  11. कन्नड़ में- ‘होसा वर्षदा शुभसाया
  12. मराठी में- ‘नवीन वर्षच्या शुभेच्छा’
  13. राजस्थानी में – ‘नवें साल री बधाइयां’

दुनिया में 80 नव वर्ष आज जो कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित है, उसे ईसाई धर्मगुरु पोप ग्रेगोरी अष्टम ने साल 1582 में तैयार किया था। इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर नाम दिया गया।

1 जनवरी को नया साल इसी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है दुनिया भर में केवल उसी दिन नया वर्ष नहीं मनाया जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि साल भर में करीब 58 दिन दुनिया के किसी न किसी देश में नया साल मन रहा होता है। दरअसल, दुनियाभर में अलग-अलग सभ्याताएं हैं।

इस हिसाब से साल के 365 दिनों में 80 नववर्ष आते हैं लेकिन इनमें से कई तारीखें एक ही दिन पड़ती हैं, इस कारण से साल के 12 महीनों में से EAMMAD 58 दिन नया साल मनाया जाता है।

इसमें एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि हर महीने ऐसा कोई न कोई दिन जरूर होता है जब कहीं न कहीं नया साल मनाया जाता है।

चिंपैंजी का यह वीडियो आपका दिल जीत लेगा, वीडियो देखें

इंसान और जानवर के बीच की बातचीत हमेशा से ही सभी के लिए आकर्षक रही है। ऐसी ही एक बातचीत ने हाल ही में इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है और वायरल हो गया है।

हृदयस्पर्शी आदान-प्रदान में एक चिंपैंजी को एक व्यक्ति के हाथों से पानी पीते हुए और उसे कुल्ला करने में मदद करते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो किसी और ने नहीं बल्कि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और फ्रेंच डायरेक्टर जेसी पियरी ने पोस्ट किया है।

वीडियो देखें

 

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जानिए राशि के अनुसार कैसा रहेगा आपका नया साल 2024

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नया साल आने वाला है। नया साल 2024 सभी के जीवन में ढेर सारी उम्मीदें लेकर आने वाला है। आने वाला नया साल 2024 कुछ राशियों के लिए सफलता के नए अवसर लेकर आ रहा है तो कुछ राशियों के लिए चुनौतियां।

आज पोस्ट में हम आपको बताने जा रहें है राशियों के अनुसार आने वाला साल कैसा रहने वाला है, चलिए जानते हैं

मेष राशि

मेष राशिफल 2024 के अनुसार, आपकी राशि के स्वामी ग्रह मंगल महाराज वर्ष की शुरुआत में धनु राशि में आपके नवम भाव में सूर्य महाराज के साथ स्थित होंगे जिससे लंबी यात्राओं के योग बनेंगे। आपके सम्मान में बढ़ोतरी होगी। समाज में आपको एक अच्छा ओहदा मिल सकता है।

आप धर्म-कर्म के मामलों में भी व्यस्त रहेंगे। व्यापार में उन्नति के अच्छे योग बनेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। देव गुरु बृहस्पति वर्ष की शुरुआत में आपके प्रथम भाव में बने रहकर आपके प्रेम भाव, आपके वैवाहिक जीवन, आपके व्यापार और आपके धर्म के भाव को मजबूत बनाएंगे जिससे आपको इन सभी क्षेत्रों में अनुकूल परिणामों की प्राप्ति होगी।

इसके बाद 1 मई को देव गुरु बृहस्पति आपके दूसरे भाव में जाकर आर्थिक उन्नति के योग बनाएंगे। आपको वर्ष की शुरुआत में राजयोग सरीखे परिणाम मिलने वाले हैं इसलिए दिल खोलकर अवसरों का लाभ उठाएं।

राहु महाराज पूरे महीने द्वादश भाव में बने रहेंगे जिससे खर्चे लगातार बने रहेंगे। यह खर्चे व्यर्थ के होंगे इसलिए आपको इन पर नियंत्रण लगाने के लिए प्रयास करना होगा।

वृषभ राशिफल

वृषभ राशिफल 2024 के अनुसार, वर्ष 2024 की शुरुआत में देव गुरु बृहस्पति द्वादश भाव में बने रहकर खर्चों में बढ़ोतरी करेंगे लेकिन आप धर्म कर्म और अच्छे कार्यों में भी लगे रहेंगे। 1 मई के बाद देव गुरु बृहस्पति आपकी राशि में आ जाएंगे। तब इन समस्याओं में कमी आएगी लेकिन आपको अपने स्वास्थ्य पर थोड़ा ध्यान देना पड़ेगा।

योगकारक ग्रह शनि देव जी के पूरे वर्ष दशम भाव में रहने से आप मेहनत भी कराएंगे। अच्छा प्रतिफल भी मिलेगा। भाग्य और कर्म का संबंध बनने से आपको अपने करियर में राज योग का प्रभाव मिलेगा। करियर में उन्नति होगी।

राहु की उपस्थिति पूरे वर्ष आपके एकादश भाव में बनी रहेगी जिससे मनचाही इच्छाओं की पूर्ति होगी। सामाजिक तौर पर आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। दोस्तों और सामाजिक दायरे में बढ़ोतरी होगी। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

हालांकि, वार्षिक भविष्यफल 2024 (Rashifal 2024) के अनुसार, इस वर्ष की शुरुआत में प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। पूरे वर्ष केतु महाराज पंचम भाव में बैठे रहेंगे जिससे अपने प्रियतम को ठीक से समझ न पाने के कारण रिश्ते में समस्याएं आ सकती हैं।

बीच-बीच में शुक्र ग्रह का प्रभाव आपके रिश्ते को संभालता रहेगा लेकिन आपको अपने रिश्ते की अहमियत समझनी होगी। करियर में सुखद और आशा जनक परिणामों की प्राप्ति होगी। मेहनत का लाभ मिलेगा। इस वर्ष अच्छी उन्नति के योग बन रहे हैं। मार्च से अप्रैल और दिसंबर के महीने में अच्छे उन्नति हो सकती है।

विद्यार्थियों को शिक्षा में समस्याएं आ सकती हैं लेकिन कुछ विशेष विषयों में आप की पकड़ मजबूत बनेगी। वित्तीय तौर पर आपको लाभ मिलता रहेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। गुप्त धन प्राप्ति के योग भी वर्ष की शुरुआत में आपको मिल सकते हैं लेकिन खर्च भी बने रहने की संभावना है।

पारिवारिक जीवन को देखें तो वर्ष की शुरुआत अनुकूल रहेगी लेकिन आपके माताजी और पिताजी के स्वास्थ्य समस्याएं बनी रह सकती हैं। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी की समस्त शारीरिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। वर्ष की शुरुआत में बुध और शुक्र सप्तम भाव में, द्वादश भाव में बृहस्पति, दशम भाव में शनि और राहु एकादश भाव में होने से व्यापार के लिए आदर्श स्थितियों का निर्माण करेंगे।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से वर्ष की शुरुआत कमजोर रहेगी। पंचम भाव में केतु, द्वादश भाव में बृहस्पति, अष्टम भाव में मंगल और सूर्य स्वास्थ्य में समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। हालांकि वर्ष के मध्य में धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार के योग बनते नजर आएंगे।

मिथुन राशिफल

मिथुन राशिफल 2024 के अनुसार, ग्रहों की स्थिति इस ओर इशारा कर रही है कि वर्ष की शुरुआत आपके लिए अनुकूल रहेगी। देव गुरु बृहस्पति एकादश भाव में विराजमान होकर अनेक सफलताएं प्रदान करेंगे। आर्थिक रूप से यह बहुत मजबूती प्रदान करेंगे। प्रेम संबंधों में भी प्रेम को बढ़ाते रहेंगे। वैवाहिक संबंधों में भी समस्याओं में कमी आएगी।

शनि भाग्य के स्वामी होकर भाग्य स्थान में रहकर आपके भाग्य की वृद्धि करेंगे जिससे रुके हुए कार्य भी बनने लगेंगे। आपको सफलता प्राप्त होती रहेगी। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। राहु और केतु आपके दशम और चतुर्थ भाव में रहेंगे जो शारीरिक रूप से समस्याएं दे सकते हैं। पारिवारिक जीवन में भी अशांति पैदा हो सकती है।

कर्क राशि

कर्क राशिफल 2024 की भविष्यवाणियों के अनुसार, वर्ष की शुरुआत में देव गुरु बृहस्पति दशम भाव में विराजमान हो कर करियर और परिवार के बीच संतुलन स्थापित करने में आपकी मदद करेंगे और 1 मई के बाद यह आपके ग्यारहवें भाव में जाकर आपकी आमदनी में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे। धर्म-कर्म के मामले में आपकी रूचि जागेगी।

राहु पूरे वर्ष आपके नवम भाव में बने रहेंगे जिससे आपको तीर्थ स्थानों के दर्शन और विशेष नदियों में स्नान करने का मौका मिल सकता है। लंबी यात्राओं के योग बनेंगे। यह वर्ष यात्राओं से भरा रहने वाला है। वर्ष की शुरुआत में शुक्र और बुध पंचम भाव में विराजमान रहेंगे।

इसके परिणाम स्वरूप यह समय प्रेम और आर्थिक लिहाज से अनुकूल रहेगा। सूर्य और मंगल के छठे भाव में और शनि महाराज के आठवें भाव में होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के प्रति आपको सावधानी रखनी होगी और खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिए प्रयास करने होंगे।

सिंह राशिफल

सिंह राशिफल 2024 के अनुसार, यह साल सिंह जातकों के लिए अनुकूलता लेकर आने वाला है। पूरे वर्ष शनि महाराज आपके सप्तम भाव में विराजमान रहेंगे जिससे आपके वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाएंगे और आपके जीवन साथी के व्यक्तित्व में सुधार होगा। वह मजबूत व्यक्तित्व के स्वामी बनेंगे।

इसके अतिरिक्त आपके व्यापार में भी स्थाई वृद्धि होने के योग बनेंगे। आप चाहें तो व्यापार का विस्तार भी कर सकते हैं। लंबी – लंबी यात्राएं इस वर्ष आपको करने का मौका मिलेगा। विदेश जाने के मौके भी मिल सकते हैं। बृहस्पति महाराज वर्ष की शुरुआत में नवम भाव में रहकर आपको सही निर्णय लेने में मदद करेंगे।

धर्म कर्म के कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी और घर पर ही कार्यक्रमों का आयोजन होगा। आपके पिताजी से आपके संबंध सुधरेंगे। उसके बाद 1 मई को देव गुरु बृहस्पति दशम भाव में जाकर परिवार और काम के बीच स्थितियों को सुधारेंगे। राहु महाराज के पूरे साल अष्टम भाव में बने रहने से आपको स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा।

कन्या राशि

कन्या राशिफल 2024 के अनुसार, इस वर्ष आपको ग्रहों के गोचर के अनुसार अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी। वर्ष की शुरूआत से ही शनि महाराज आपके छठे भाव में विशेष रूप से विराजमान रहकर आपके आठवें और बारहवें भाव को भी देखेंगे।

इससे आपको स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है लेकिन यही शनिदेव इन समस्याओं से मुक्ति दिलाने में भी मददगार बनेंगे, बस आपको एक संतुलित और अनुशासित जीवन व्यतीत करना होगा और अच्छी दिनचर्या का पालन करना होगा। जीवन में अनुशासन लाने से आपके सभी काम बनने लगेंगे।

शनिदेव की स्थिति नौकरी में अच्छी सफलता दिला सकती है। देव गुरु बृहस्पति वर्ष के पूर्वार्ध में 1 मई तक आपके अष्टम भाव में रहेंगे जिससे धर्म-कर्म के मामले में मन तो खूब लगेगा लेकिन व्यर्थ खर्च भी होंगे और आपके कामों में रुकावटें आ सकती हैं लेकिन 1 मई के बाद यह आपके नवम भाव में चले जाएंगे जिससे सभी कामों में सफलता मिलनी शुरू हो जाएगी।

आपको संतान संबंधी सुखद समाचार भी मिलने की संभावना बनेगी। राहु पूरे वर्ष आपके सप्तम भाव में बने रहेंगे इसलिए आपको व्यापार और निजी जीवन दोनों क्षेत्रों में सावधानी बरतनी होगी।

तुला राशिफल

तुला राशिफल 2024 के अनुसार, तुला राशि के जातकों को इस पूरे वर्ष मेहनत, कार्यकुशलता और इमानदारी पर विश्वास रखना होगा क्योंकि वर्ष की शुरुआत से पूरे वर्ष शनि महाराज आपके पंचम भाव में रहेंगे और वहां से आपके सप्तम, एकादश और द्वितीय भाव पर दृष्टि बनाए रखेंगे।

आप जितना ईमानदारी और मेहनत से काम करेंगे, उतना ही आपका वैवाहिक जीवन और आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। देव गुरु बृहस्पति 1 मई तक आपके सप्तम भाव में रहकर प्रथम, तृतीय और एकादश भाव को देखेंगे जिससे आपका स्वास्थ्य सुधरेगा।

आपके व्यापार और निजी संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी तथा आपकी आमदनी अच्छे से बढ़ने लगेगी लेकिन 1 मई को देव गुरु बृहस्पति अष्टम भाव में जाएंगे जिससे खर्चों में बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे। हालांकि आपका धर्म-कर्म में मन लगेगा लेकिन खर्च ज्यादा बढ़ने से मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

राहु महाराज पूरे महीने आपके छठे भाव में बने रहेंगे इसलिए स्वास्थ्य समस्याएं सामने आएंगी लेकिन वे आती-जाती रहेंगी। खर्चों पर नियंत्रण रखना आपके लिए थोड़ा चुनौती पूर्ण होगा।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशिफल 2024 के अनुसार, नया साल 2024 वृश्चिक राशि वालों के लिए नई उम्मीद लेकर आएगा। वर्ष की शुरुआत में शुक्र और बुध आपकी ही राशि में रहकर आपको खुशनुमा बनाएंगे। आपका व्यवहार और चुंबकीय व्यक्तित्व आकर्षण का केंद्र बनेगा।

लोग आपकी ओर खिंचे चले आएंगे। वर्ष की शुरुआत में राशि स्वामी मंगल महाराज दूसरे भाव में सूर्य देव के साथ उपस्थित रहेंगे जिससे आपको आर्थिक तौर पर उन्नति प्राप्त होगी। देव गुरु बृहस्पति 1 मई तक छठे भाव में रहेंगे जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और खर्च बढ़ने की स्थिति रहेगी।

हालांकि उसके बाद 1 मई को आपके सप्तम भाव में आकर समस्याओं में कमी करेंगे। वह वैवाहिक जीवन और निजी जीवन को अनुकूल बनाएंगे। राहु महाराज पूरे साल आपके पंचम भाव में बने रहेंगे और आपकी बुद्धि को प्रभावित करेंगे।

जल्दबाजी में आकर कोई भी गलत निर्णय लेने से बचने की कोशिश‌ करें। प्रेम संबंधों में राहु की मौजूदगी आपको और कुछ भी करने वाला बना सकती है।

धनु राशिफल

राशिफल 2024 के अनुसार धनु राशि के जातकों के लिए वर्ष 2024 उम्मीदों से भरा साल रहने वाला है लेकिन वर्ष की शुरुआत में सूर्य और मंगल आपकी राशि में रहकर आपको गर्म दिमाग बनाएंगे। आपको उग्रता में आकर कुछ भी बोलने और कोई भी व्यवहार या निर्णय लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपका न केवल व्यापार और बल्कि आपका निजी जीवन भी प्रभावित हो सकता है।

वर्ष की शुरुआत में देव गुरु बृहस्पति महाराज आपके पंचम भाव में विराजमान रहेंगे। आपके प्रेम संबंधों को सुधारेंगे। आपके भाग्य की बढ़ोतरी करेंगे और आपकी आमदनी में भी अच्छी उन्नति देखने को मिलेगी। संतान से संबंधित अच्छे समाचार मिल सकते हैं या संतान हो सकती है। विद्यार्थियों को भी अच्छे परिणाम मिलेंगे।

1 मई के बाद देव गुरु बृहस्पति आपके छठे भाव में चले जाएंगे जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं और आपको इन सभी क्षेत्रों में, जिनमें बृहस्पति महाराज अच्छे परिणाम दे रहे थे, कुछ उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। शनि महाराज पूरे वर्ष तीसरे भाव में रहकर आपको साहस और पराक्रम देंगे।

यदि आप इस वर्ष अपने आलस्य को छोड़ देंगे तो जीवन में बहुत कुछ प्राप्त कर पाएंगे। राहु महाराज पूरे वर्ष आपके चौथे और केतु महाराज दशम भाव में बने रहेंगे जिससे करियर में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी और पारिवारिक संबंधों में भी रस्साकशी की स्थिति बन सकती है।

मकर राशिफल

मकर राशिफल 2024 के अनुसार, साल 2024 मकर राशि वालों के लिए आर्थिक रूप से अनुकूल परिणाम लेकर आने वाला है। आपके राशि स्वामी आपके दूसरे भाव के स्वामी भी हैं। वहीं शनि महाराज दूसरे भाव में पूरे वर्ष बने रहने के कारण आर्थिक रूप से आपको मजबूत बनाते रहेंगे।

आप चुनौतियों से डरेंगे नहीं और उनका डटकर सामना करेंगे। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। देव गुरु बृहस्पति 1 मई तक चौथे भाव में रहकर पारिवारिक जीवन में खुशियां लेकर आएंगे और करियर को भी सफलता देंगे।

1 मई से आपके पंचम भाव में जाकर संतान संबंधित समाचारों के कारण बन सकते हैं। पूरे वर्ष आपके तीसरे भाव में रहकर आपके जोखिम लेने की प्रवृत्ति को बढ़ाएंगे और आपके व्यापार में भी आपको अच्छी सफलता प्रदान कर सकते हैं। दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना आपके लिए सफलता दायक होगा।

कुंभ राशि

कुंभ राशिफल 2024 के अनुसार कुंभ राशि के जातकों के लिए यह वर्ष बहुत कुछ प्रदान करने वाला वर्ष साबित होगा। आपके राशि स्वामी शनि देव आपकी ही राशि में पूरे वर्ष बने रहेंगे। यह आपके लिए हर तरीके से शुभ परिणाम लेकर आएगा। आपके जीवन में अनुशासन बढ़ेगा।

आप हर काम को पूरी लगन और मेहनत से करेंगे जिससे कार्य क्षेत्र में भी अपना अच्छा स्थान बना पाएंगे। आपकी मेहनत आपको अन्य लोगों से आगे रखेगी। देव गुरु बृहस्पति 1 मई तक आपके तीसरे भाव में रहकर आपकी आमदनी में बढ़ोतरी का कारण बनेंगे और आपके वैवाहिक जीवन में भी अनुकूल समय की आहट होगी।

व्यापार में वृद्धि के योग बनेंगे और भाग्य वृद्धि होगी। 1 मई के बाद देव गुरु बृहस्पति चतुर्थ भाव में जाकर पारिवारिक संबंधों को अनुकूल बनाने के लिए आपकी मदद करेंगे।

मीन राशिफल

मीन राशिफल 2024 के अनुसार, मीन राशि के जातकों के लिए वर्ष 2024 अच्छी संभावनाएं लेकर आने वाला है। आपकी राशि के स्वामी देव गुरु बृहस्पति वर्ष की शुरुआत से ही आपके दूसरे भाव में रहेंगे और आपके धन और आपके कुटुंब की रक्षा करेंगे। आपकी वाणी में मिठास बढ़ेगी जिससे आपके रिश्ते मजबूत होंगे।

धन संचित करने में आपको सफलता मिलेगी। केवल इतना ही नहीं, ससुराल पक्ष से भी आपके संबंध बढ़िया होने लगेंगे। बृहस्पति महाराज 1 मई को तीसरे भाव में चले जाएंगे जिससे आपके व्यापार में बढ़ोतरी होगी। वैवाहिक संबंधों में सुधार का योग बनेगा। आपके भाग्य की वृद्धि होगी।

धर्म-कर्म के मामलों में मन लगेगा। शनि महाराज पूरे वर्ष द्वादश भाव में बने रहने से आपको अपने खर्चों पर ध्यान देना होगा क्योंकि कोई न कोई खर्च पूरे वर्ष लगा रहने वाला है। विदेश यात्रा इस वर्ष होने के प्रबल योग हैं इसलिए इसकी तैयारी पूरी करके रखें। राहु महाराज प्रथम भाव में और सप्तम भाव में केतु का गोचर बना रहने से वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थितियां बनती रहेंगी।

दुनिया भर में मनाए जाते हैं 70 से अधिक नववर्ष!

नववर्ष यानी वर्ष का पहला दिन 1 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन के साथ दुनिया के ज्यादातर लोग अपने नए साल की शुरूआत करते हैं। नए साल का आत्मबोध हमारे अंदर नया उत्साह भरता है और नए तरीके से जीवन जीने का संदेश देता है।

हालांकि यह उल्लास और यह उत्साह दुनिया के अलग-अलग कोने में अलग-अलग दिन मनाया जाता है क्योंकि दुनिया में कई कैलेंडर हैं और हर कैलेंडर का नया साल अलग-अलग होता है। एक अनुमान के अनुसार अकेले भारत में ही करीब 50 कैलेंडर हैं जिनमें से बहुत से कैलेंडरों का नया साल अलग दिनों पर होता है।

1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरूआत रोमन कैलेंडर से हुई है। पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष 1 मार्च से शुरू होता है।

प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने 47 ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया और इसमें जुलाई मास जोड़ा। इसके बाद उसके भतीजे के नाम के आधार पर इसमें अगस्त मास जोड़ा गया। दुनिया भर में आज जो कैलेंडर प्रचलित हैं, उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था।

ईसाइयों का एक अन्य पंथ इस्टर्न आर्थोडक्स चर्च तथा इसके अनुयायी ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता न देकर पारंपरिक रोमन कैलेंडर को ही मानते हैं। इस कैलेंडर के अनुसार नया साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस कैलेंडर की मान्यता के अनुसार जॉर्जिया, रूस, यरूशलम, सर्बिया आदि में 14 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है।

इस्लामिक कैलेंडर

इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से जाना जाता है । इसका नववर्ष मोहर्रम मास के पहले दिन होता है । हिजरी कैलेंडर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को आशूरा के रूप में जाना जाता है ।

इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद (स.) के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हुए थे। हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।

अन्य देशों में नववर्ष

भारत के पड़ोसी देश चीन में भी अपना एक अलग कैलेंडर है। तकरीबन सभी पुरानी सभ्यताओं के अनुसार चीन का कैलेंडर भी चंद्रमा की गणना पर आधारित है। इसका नया साल 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है। चीनी महिनों के नाम 12 जानवरों के नाम पर रखे गए हैं।

चीनी ज्योतिष में लोगों की राशियां भी 12 जानवरों के नाम पर होती हैं। लिहाजा यदि किसी की बंदर राशि है और नया वर्ष भी बंदर आ रहा हो तो वह साल उस व्यक्ति के लिए विशेष तौर पर भाग्यशाली माना जाता है।

1 जनवरी को अब नए साल के जश्न के रूप में मनाया जाता है। एक दूसरे को देखा-देखी यह जश्न मनाने वाले शायद ही जानते हों कि दुनिया भर में पूरे 70 नववर्ष मनाए जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आज भी पूरी दुनिया कैलेंडर प्रणाली पर एकमत नहीं है।

इक्कीसवीं शताब्दी के वैज्ञानिक युग में इंसान अंतरिक्ष में जा पहुंचा, मगर कहीं सूर्य पर आधारित और कहीं चंद्रमा पर आधारित और कहीं तारों की चाल पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुनिया में विभिन्न कैलेंडर प्रणालियां लागू हैं।

यही वजह है कि अकेले भारत में पूरे साल तीस अलग अलग नववर्ष मनाए जाते हैं। दुनिया में सर्वाधिक प्रचलित कैलेंडर ‘ग्रेगोरियन कैलेंडर’ है जिसे पोप ग्रेगरी तेरह ने 24 फरवरी, 1582 को लागू किया था। यह कैलेंडर 15 अक्तूबर 1582 को शुरू हुआ। इसमें अनेक त्रुटियां होने के बावजूद कई प्राचीन कैलेंडरों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज भी मान्यता मिली हुई है।

विभिन्न देशों में विभिन्न नववर्ष

जापानी नववर्ष गनतन-साई या’ ओषोगत्सू’ के नाम से भी जाना जाता है। महायान बौद्ध 7 जनवरी, प्राचीन स्कॉट में 11 जनवरी, वेल्स के इवान वैली में नववर्ष 12 जनवरी, सोवियत रूस के रूढ़िवादी चर्चा, आरमेनिया और रोम में नववर्ष 14 जनवरी को होता है। वहीं सेल्टिक, कोरिया, वियतनाम, तिब्बत, लेबनान और चीन में नववर्ष 21 जनवरी को प्रारंभ होता है।

प्राचीन आयरलैंड में नववर्ष 1 फरवरी को मनाया जाता है तो प्राचीन रोम में 1 मार्च को। इसके अतिरिक्त ईरान, प्राचीन रूस तथा भारत में बहाई, तेलुगु तथा जमशेदी (जोरोस्ट्रियन) का नया वर्ष 21 मार्च से शुरू होता है। प्राचीन ब्रिटेन में नववर्ष 25 मार्च को प्रारंभ होता हैं।

प्राचीन फ्रांस में 1 अप्रैल से अपना नया साल प्रारंभ करने की परंपरा थी। यह दिन ‘अप्रैल फूल’ के रूप में भी जाना जाता है। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कम्बोडिया और लाओ के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं।

वहीं कश्मीर के लोग अप्रैल में, भारत में वैसाखी के दिन, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों बंगलादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, कम्बोडिया, नेपाल,बंगाल, श्रीलंका व तमिल क्षेत्रों में नया वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इसी दिन श्रीलंका का राष्ट्रीय नववर्ष भी मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को नया साल मनाते हैं।

असम में नववर्ष 15 अप्रैल को, पारसी अपना नववर्ष 22 अप्रैल को, तो बेबीलोनियन नववर्ष 24 अप्रैल से शुरू होता है। प्राचीन ग्रीक में नववर्ष 21 जून को मनाया जाता था। प्राचीन जर्मनी में नया साल 29 जून को मनाने की परंपरा थी और प्राचीन अमेरिका में 1 जुलाई को। इसी प्रकार आरमेनियन कैलेंडर 9 जुलाई से प्रारंभ होता है जबकि म्यांमार का नया साल 21 जुलाई से शुरू होता है।

रक्त (blood) के बारे में रोचक तथ्य!!

blooddropcharacterरक्त हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अवयवों में से एक है। रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है जिसमें प्लाज्मा, रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स होते हैं।

यह हमारे पूरे शरीर में घूमता हुआ विभिन्न कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है।

रक्त से जुड़े कुछ ऐसे अदभुत तथ्यों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें आपने शायद ही कभी पढ़ा है। तो यह लीजिये खून से सम्बंधित कुछ बेहद रोचक तथ्य । पसंद आयें तो शेयर ज़रूर करें।

रक्त कोशिकाओं के प्रकार

  • लाल रक्त कोशिकाएं (एरिथ्रोसाइट्स)
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं (ल्यूकोसाइट्स)
  • रक्त प्लेटलेट्स (थ्रोम्बोसाइट्स)

रक्त के घटक
रक्त की संरचना में कई कोशिकीय संरचनाएँ होती हैं। रक्त के मुख्य घटक हैं:

  • प्लाज्मा
  • लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी)
  • श्वेत रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी)
  • प्लेटलेट्स

रक्त से जुड़े रोचक तथ्य 

  • रक्त एकमात्र तरल संयोजी ऊतक है जो पूरे शरीर में चलता है। यह पोषक तत्वों, ऑक्सीजन, इलेक्ट्रोलाइट्स, प्रोटीन, ग्लूकोज हार्मोन और अन्य चयापचय अपशिष्ट जैसे सभी आवश्यक घटकों के परिवहन के साधन के रूप में भी कार्य करता है।
  • शरीर के कुल वजन का लगभग 7 से 8 प्रतिशत रक्त होता है। रक्त की संरचना में दो मुख्य घटक शामिल हैं – प्लाज्मा और गठित तत्व या कणिकाएं, जिनमें आरबीसी (लाल रक्त कोशिकाएं), डब्ल्यूबीसी (श्वेत रक्त कोशिकाएं) और रक्त प्लेटलेट्स शामिल हैं।
  • आर बी सी शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का महत्वपूर्ण काम करती हैं। इनमें हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन भी होता है। हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन के मिलने के कारण ही होता है।
  • ब्लड सेल्स पीले रंग के ब्लड प्लाज्मा में तैरती हैं। ब्लड प्लाज्मा 90 % पानी का बना होता है। साथ ही इसमें कई जरूरी पोषक तत्व, इलेक्ट्रोलाइट, प्रोटीन, ग्लूकोज और हार्मोन्स होते हैं।
  • रेड ब्लड सेल्स ही बोन मैरो को बनाती हैं और लगभग 120 दिनों तक शरीर में घूमती रहती हैं। रेड ब्लड सेल्स ऑक्सीजन को लेकर चलती है और शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम करती है। इसके साथ ही यह कार्बन डाई आक्साइड को खत्म करती है।
  • व्हाइट ब्लड सेल्स का शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है। ये बैक्टीरिया, वायरस, कैंसर सेल्स, संक्रामक रोगों से बचाने में मददगार हैं।
  • हम इंसानों का खून लाल रंग का होता है, जबकि अन्य प्रजातियों का खून अलग-अलग रंग का होता है और यह मुख्य रूप से श्वसन वर्णक या हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन द्वारा निर्धारित होता है।

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  • एक बूंद खून में 10,000 व्हाइट ब्लड सेल्स और 2,50,000 प्लेटलेट्स होती हैं।
  • रक्त मुख्य रूप से आरबीसी-लाल रक्त या एरिथ्रोसाइट्स, सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) या ल्यूकोसाइट्स, रक्त प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स और प्लाज्मा से बना होता है जिसमें प्रोटीन, लवण और पानी शामिल होते हैं।
  • डब्ल्यूबीसी -श्वेत रक्त कोशिकाएं, जिन्हें ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है, एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखकर, अंडाशय के भीतर रक्त वाहिकाओं का एक नेटवर्क विकसित करके मानव प्रजनन प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • एक स्वस्थ और वयस्क मानव शरीर में लगभग 1.325 गैलन रक्त होता है। रक्त की एक बूंद में लाखों लाल रक्त कोशिकाएं, हजारों सफेद रक्त कोशिकाएं और लाखों रक्त प्लेटलेट्स होते हैं।
  • जानवरों में पाया जाने वाला रक्त कई प्रकार का हो सकता है, जैसे कि गायों में लगभग 800, कुत्तो में 13 और बिल्लियों में 11 तरह का रक्त पाया जाता हैं। जबकि मनुष्य के शरीर में रक्त केवल 4 तरह (O, A, B, AB) का होता हैं।
  • नवजात के शरीर में करीब 250 मिलीलीटर खून की मात्रा होती है, जो एक कप जितना होता है। बात करें वयस्क की तो उनके शरीर में लगभग 5 लीटर खून पाया जाता है।
  • हर स्वस्थ इंसान रक्तदान कर सकता है। कभी भी एल्कोहॉल करने के 48 घंटों तक रक्तदान न करें। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
  • शरीर की अन्य विशेषताओं, आंख, बालों की बनावट और त्वचा के रंग की तरह, रक्त समूह भी आनुवंशिक रूप से हमारे माता-पिता से विरासत में मिला है। मानव रक्त के 4 मुख्य रक्त समूह हैं – ओ, ए, बी और एबी और इन्हें सामूहिक रूप से एबीओ रक्त समूह प्रणाली कहा जाता है।
  • इन रक्त समूहों को मुख्य रूप से लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर विरासत में मिले एंटीजेनिक पदार्थों के आधार पर विभेदित किया जाता है।
  • शोध के अनुसार, एबीओ रक्त समूह प्रणाली के परिणामस्वरूप पोषण संबंधी ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं और यह व्यक्ति की प्रजनन क्षमता, व्यक्तित्व, तनाव के स्तर आदि को प्रभावित करती है।
  • 1628 में ब्रिटिश चिकित्सक विलियम हार्वे ने रक्त का परिसंचरण किया था। हार्वे ने आँन्ट्वान मॉरेय नाम के एक पागल व्यक्ति को बछड़े का खून चढ़ा दिया था।
  • खून का पहला ट्रांसफर 17वी शताब्दी में किया गया था और इसका पहला उपयोग जानवरों पर किया गया था।
  • आपको यह जानकर हैरानी होगी कि HP प्रिंटर की काली स्याही, मनुष्य के खून से ज़्यादा महंगी होती है।
  • दुनिया का पहला Blood Bank संयुक्त राज्य अमेरिका में 1937 को बनाया गया था।
  • हमारे शरीर में पाए जाने वाला रक्त का 70% भाग शरीर में red blood cell के अंदर मौज़ूद होता है।
  • भारत में हर 5 सेकेंड में किसी न किसी को खून की आवश्यकता होती है। दुनिया ने हर तीसरे व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी खून की आवश्यकता पड़ती है।
  • स्वस्थ शरीर में खून 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है, अगर पूरे दिन की औसत निकाले, तो खून लगभग 96,500 km की दूरी तय करता है।
  • अगर मच्छरों की बात करें, तो केवल सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती है और वह अपने वजन से 3 गुना ज़्यादा खून पी सकती है। लेकिन नर मच्छर शाकाहारी होते है, ये सिर्फ फूलों का रस ही पीते हैं।
  • बच्चों के शरीर में सिर्फ 1 कप यानी 250 मिलीमीटर खून होता है और एक जवान आदमी में लगभग 5 लीटर खून हो सकता है।
  • हर स्वस्थ इंसान रक्तदान कर सकता है। कभी भी एल्कोहॉल करने के 48 घंटों तक रक्तदान न करें। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
  • जापान में लोग ब्लड ग्रुप के माध्यम से ही आदमी के व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगा लेते है।
  • बोरोरो प्रजाति, ब्राजील में पाई जाती है और इस प्रजाति की खास बात यह है कि यहाँ के सभी लोगों का Blood Group ‘O’ है।
  • जब हम आसमान की तरफ देखते है, तो हमारी आँखो के सामने सफेद-सफेद से डॉट्स घूमने लगते है। ये हमारे white blood cells होते है।

कुत्तों की हंसा देने वाली हरकतें!

कुत्ते बहुत ही वफादार और दिलचस्प जानवर होते हैं। यहां प्रस्तुत है कुछ कुत्तों की कुछ बहुत ही मजेदार हरकतें जिन्हें देखकर आप हंसी से लोटपोट हो जाएंगे। इस वीडियो में कुत्तों को खुद की ही परछाई से परेशान होकर तरह-तरह की कलाबाजी करते हुए दिखाया गया है और कई जगह उन्हें जान बूझ कर चिढ़ाया जा रहा है जिसके कारण वे अजीबोगरीब हरकतें करते हुए दिख रहे हैं।

आज भी मौजूद है नोएडा में मराठा और अंग्रेजों के बीच हुए युद्ध की निशानी

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नोएडा गोल्फ कोर्स वैसे तो गोल्फ को लेकर प्रसिद्ध है लेकिन क्या आपको पता है कि इस गोल्फ कोर्स के मैदान में करीब 200 साल पहले एक युद्ध भी लड़ा गया था ? यह युद्ध ब्रिटिश और मराठा सेनाओं के बीच हुआ था।

युद्ध में मराठाओं की सेना को हार का सामना करना पड़ा था। इस मैदान में ब्रिटिश और मराठा सेनाओं के बीच युद्ध की स्मृति में एक ऐतिहासिक स्मारक भी बनाया गया है।

नोएडा गोल्फ कोर्स की स्थापना प्राधिकरण ने यू.पी. सरकार के सहयोग से की थी। मुख्य गोल्फ कोर्स और कई अभ्यास क्षेत्रों से मिलकर, यहां दी जाने वाली विश्व स्तरीय सुविधाएं कुछ ऐसी हैं, जो देश भर से बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को आकर्षित करने का काम करती हैं।

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यहां पर एक कॉफी शॉप, कई रेस्तरां और मैदान के साथ-साथ कई और चीजें भी मौजूद हैं। नोएडा का गोल्फ कोर्स शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है। गोल्फ कोर्स नोएडा सैक्टर-43 में मौजूद है। यहां का नजदीकी मैट्रो स्टेशन गोल्फ कोर्स ही हैं।

सितम्बर 1803 में ईस्ट इंडिया कम्पनी की ब्रिटिश सेना ने दिल्ली के भाग्य का फैसला करने के लिए मराठों से भीषण युद्ध लड़ा था। जानकारी के अनुसार, युद्ध के समय दिल्ली मुगल सम्राट शाह आलम की राजधानी हुआ करती थी।

मुगल सम्राट के राज प्रतिनिधि का दायित्व मराठा राजा दौलत राव सिंधिया के हाथों में था। यह युद्ध जनरल जेरार्ड लेक के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों और मराठा की सेना के बीच हुआ था।

इस युद्ध के बाद एक और युद्ध 12 दिन बाद महाराष्ट्र के जालना क्षेत्र में हुआ, जिसने सल्तनत के भाग्य का फैसला किया। इन युद्धों को इतिहासकारों ने ब्रिटिश-मराठा युद्ध के रूप में करार दिया है। इन युद्धों से उत्तरी भारत में अंग्रेजों का प्रभुत्व उभरकर सामने आया।

क्या लिखा है स्तम्भ लेख में

1916 में निर्मित गोल्फ कोर्स के स्तम्भ के अभिलेख में लिखा है कि, इस स्थान के पास सितम्बर 1803 को दिल्ली की सल्तनत के लिए भीषण युद्ध हुआ था, जिसमें मराठों की सेना ने ब्रिटिश सेना का जमकर मुकाबला किया था। इस युद्ध में जनरल जेरार्ड लेक की ब्रिटिश सेना को जीत मिली थी।

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भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेस्ली को लिखे एक पत्र में विजयी ब्रिटिश जनरल लेक ने कहा है कि, युद्ध के लिए मराठों ने यमुना नदी को पार कर लिया था। उन्होंने ब्रिटिश सेना पर इतना जोरदार हमला बोला कि सेना के अधिकारियों और सैनिकों को काफी नुकसान हुआ।

इतिहासकारों के अनुसार, मराठा सेनाएं आंतरिक मतभेद के चलते इस युद्ध को जीत नहीं पाई थीं। इन युद्धों को इतिहासकारों ने ब्रिटिश-मराठा युद्ध के रूप में करार दिया है। इन युद्धों से उत्तरी भारत में अंग्रेजों का प्रभुत्व उभरकर सामने आया।

पंजाब केसरी से साभार

सावधान! तेजी से फैल रहा है कोविड का नया वैरिएंट जेएन.1

भारत में कोरोना के साथ-साथ कोरोना वायरस के सब वैरिएंट JN.1 के भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में कोरोना सब वैरिएंट जेएन.1 के छह और मामले सामने आए हैं।

इससे देश में जेएन.1 के मामलों की संख्या बढ़कर 69 हो गई है। देश में संक्रमण के दैनिक मामलों में भी बढ़ोतरी की खबर है। आइए जानते हैं कि नया सब-वैरिएंट कितना चिंताजनक है, और इसके लक्षण व बचाव के उपाय क्या हैं?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन के BA.2.86 वैरिएंट का ही रूप है, इसके स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्त म्यूटेशन नोट किया गया है।

जेएन.1 वैरिएंट के लक्षण

सीडीसी के मुताबिक जेएन.1 के कारण लोगों में खांसी, सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों-शरीर में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, नाक बंद या नाक बहने जैसी समस्या देखी जा रही है।

JN.1 Covid new variant

जेएन.1 से बचाव के उपाय

  • कोविड 19 महामारी के दौरान अपनाएं जाने वाले सभी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करें
  • मास्क पहनकर ही घर से निकलें।
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों, व शादी पार्टी में जाने से बचें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

इस मामले में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत में वैज्ञानिक समुदाय कोरोना वायरस के नए सब वैरिएंट की बारीकी से पड़ताल कर रहा है और राज्यों को परीक्षण बढ़ाने और अपनी निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने की जरूरत है ।

अधिकारियों ने कहा था कि भले ही मामलों की संख्या बढ़ रही है और देश में ‘जेएन.1’ सब वैरिएंट का पता चला है, लेकिन ये तत्‍काल चिंता का कोई कारण नहीं है क्योंकि संक्रमित लोगों में से 92 प्रतिशत लोग घर में रहकर ही उपचार का विकल्प चुन रहे हैं, जिससे पता चलता है कि नए सब वैरिएंट के लक्षण हल्के हैं।

डॉ. वी के पॉल के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने की दर में भी कोई वृद्धि नहीं हुई है और अन्य चिकित्सकीय स्थितियों के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों में कोविड-19 पाया जाना आकस्मिक मामला है।

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने पिछले सप्ताह कहा था कि आगामी त्योहारी सत्र को देखते हुए महत्वपूर्ण कोविड-19 नियंत्रण और प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने बीमारी के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने की सलाह दी।

भारत में कोरोना की स्थिति

वहीं कोरोना की बात करें तो भारत में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 412 नए मामले दर्ज किए गए और उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 4,170 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मंगलवार को सुबह आठ बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक कोविड-19 के मामलों की कुल संख्या 4.50 करोड़ है।

देश में बीते 24 घंटे में संक्रमण से तीन लोगों की मौत होने के कारण इस महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 5,33,337 हो गई है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 24 घंटे में कर्नाटक में कोविड-19 से तीन मरीजों की मौत हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, इस बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4,44,72,153 हो गई है। स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर 98.81 प्रतिशत है, वहीं मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है। मंत्रालय के अनुसार, देश में अभी तक कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान के तहत 220.67 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं।

 

विश्व के 10 सर्वाधिक वर्षा वाले स्थान

वर्षा ऋतु जिसमें चारों और सब हरा भरा हो जाता है। यह वह समय होता है जब जीवन जैसे मंद-गतिमय व आनंद का मिला-जुला स्वरुप बन जाता है। गरमा-गर्म चाय-पकौड़ा, हंसी मजाक और बारिश में भीगना सब को भाता है। प्रकृति की लीला कुछ ऐसी है कि कहीं तो साल भर में अत्यधिक वर्षा होती है कहीं पर नाम-मात्र छींटे पड़ते है।

अमेरिका की डेथ वैली में अपने आप खिसकते पत्थरों का क्या है राज़???

दुनिया में कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह डेथ वैली है जो कि पूर्वी कैलिफोर्निया में एक रेगिस्तान में स्थित है। डेथ वैली उत्तरी अमेरिका की सबसे गर्म, सूखी और विचित्र जगह है।

कैलिफोर्निया के डेथवैली की संरचना और तापमान हमेशा से ही सबको चौंकाने वाला रहा है। लेकिन इस जगह की सबसे विचित्र बात यह है कि यहाँ पत्थर अपने आप एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं। जिन्हें सेलिंग स्टोन्स के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में कम से कम 320 किलो तक के पत्थरों को अपनी जगह बदलते देखा गया है, ऐसा क्यों होता है? यह अभी तक रहस्य बना हुआ है।
इन पत्थरों का खिसकने के पीछे के रहस्य का पता अभी तक नासा भी नहीं लगा पाई है। यह जगह 1.25 मील पूरब से पश्चिम और 2.5 मील उत्तर से दक्षिण तक समतल फैली हुई है।

इस जगह पर लगभग 100 पत्थर ऐसे हैं जो अपने आप खिसकते रहते हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन पत्थरों को खिसकते हुए किसी ने भी नहीं देखा है। कई सालों से ये पत्थर अपनी जगह से करीब 300 मीटर दूर तक खिसके मिलते हैं।

खिसकते पत्थरों के पीछे सब के अलग अलग तथ्य हैं.

1972 में इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम ने इन पत्थरों का सात साल तक अध्ययन किया। वैज्ञानिकों की टीम ने एक 317 किलोग्राम का पत्थर का अध्ययन किया लेकिन अध्ययन के दौरान वह ज़रा भी नहीं हिला। लेकिन कुछ साल बाद जब उसी जगह पर वापस लौटे, तो करीब 1 किलोमीटर दूर मिला।

वैज्ञानिकों ने इस रहस्य का परिणाम यह निकाला कि तेज रफ्तार से चलने वाली हवाओं के कारण पत्थर अपने आप खिसकते हैं। वहीँ दूसरी और कुछ लोगों का मानना है कि यह सब पारलौकिक शक्तियों के कारण होता है। गहन शोध के बाद स्पेन की कम्प्लूटेंस यूनिवर्सिटी के भूवैज्ञानिकों ने इस जगह की मिट्‌टी में मौजूद माइक्रोब्स को इसका कारण बताया था।

माइक्रोब्स साइनोबैक्टीरिया एक कोशिकीय शैवाल होता हैं, जिनके कारण झील के तल में चिकना पदार्थ और गैस पैदा होती है। जिसके कारण पकड़ बनाने में मुश्किल होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस चिकने धरातल पर सर्द मौसम में तेज हवा की वजह से यह पत्थर अपनी जगह से खिसक जाते हैं।