भारत की 5 महान यूनिवर्सिटीज जो विश्व पर करती थी राज!!

वर्तमान में भारत में शिक्षा-व्यवस्थाप्रणाली के अवमूल्यन और इसमें फैले भ्रष्टाचार को देखते हुए इसमें कोई अचरज नहीं कि विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों यानी यूनिवर्सिटीज में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी शामिल नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय भारत में ही था. वैदिक काल से ही भारत में गुरुकुल और आश्रम की परंपरा थी जिसके तहत इन केन्द्रों में शिक्षा दी जाती थी. यहाँ तक कि भारत  8वीं शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक विश्व में शिक्षा का सबसे प्रसिद्ध केंद्र था. आज हम ऐसे ही प्राचीन विश्वविद्यालयों की बात करेंगे जो कि उस समय शिक्षा के मंदिर थे. अफ़सोस कि अब यह सब इतिहास की बातें हैं.

नालंदा

नालंदा विश्वविद्यालयप्राचीन काल में नालंदा यूनिवर्सिटी भारत ही नहीं बल्कि विश्व में उच्च शिक्षा का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख केन्द्र हुआ करता था. यह वर्तमान बिहार राज्य के पटना शहर से 88.5 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 11.5 किलोमीटर में स्थित था. भारत घूमने आए चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग की यात्रा-वृतांत और संस्मरणों से इस विश्वविद्यालय का पता चला था. ऐसा माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय में एक साथ लगभग दस हज़ार छात्रों को पढ़ाया जाता था और इसमें कम से कम दो हज़ार शिक्षक थे. नालंदा विश्वविद्यालय में न केवल भारत के बल्कि पूरी दुनिया से जैसे इंडोनेशिया, फारस, तुर्की, कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत आदि देशों के विद्यार्थी पढने आते थे. नालंदा यूनिवर्सिटी में कम से कम 300 कमरे और विद्यार्थियों और शिक्षकों के अध्ययन के लिए नौ मंजिला विशालकाय पुस्तकालय भी था जिसमें लाखों पुस्तकें थी. इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 450-470 इस्वी के दौरान की थी.

तक्षशिला

तक्षशिला विश्वविद्यालयतक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 2700 वर्ष पहले हुई थी. यहाँ में दुनिया के विभिन्न देशों के लगभग दस हज़ार पांच सौ विद्यार्थी पढ़ते थे. ऐसा माना जाता है कि यहाँ का अनुशासन बहुत ही सख्त था और सभी को एक ही नजरिये से देखा जाता है, फिर चाहे विद्यार्थी राजा की संतान हो या सामान्य नागरिक. तक्षशिला में मुख्यतः राजनीति और शस्त्र विद्या की शिक्षा दी जाती थी.

तक्षशिला के एक शस्त्रविद्यालय में विभिन्न राज्यों के 103 राजकुमार पढ़ते थे. विधिशास्त्र और आयुर्वेद के इसमें विशेष वर्ग थे। कोसलराज प्रसेनजित, मल्ल सरदार बंधुल, लिच्छवि महालि, शल्यक जीवक और लुटेरे अंगुलिमाल के अलावा नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता चाणक्य और संस्कृति के प्रकांड विद्वान् पाणिनि जैसे लोग यहीं पढ़े थे। कुछ इतिहासकारों के अनुसार तक्षशिला विश्विद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय की तरह भव्य नहीं था। इसमें अलग-2 छोटे-2 गुरुकुल होते थे। इन गुरुकुलों में व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विषयों के आचार्य विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करते थे।

विक्रमशिला

vikramashila-universityविक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार राज्य के भागलपुर जिले में स्थित था. इस की स्थापना 775-800 ई में पाल वंश के राजा धर्मपाल ने की थी. 8वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के अंत तक यह यूनिवर्सिटी नालंदा यूनिवर्सिटी की प्रतिद्वंद्वी मानी जाती था. विक्रमशिला विश्वविद्यालय तंत्र शास्त्र की पढ़ाई के लिए जाना जाता था. ऐसा माना जाता है कि विक्रमशिला में 1,000 विद्यार्थियों को कम से कम 100 अध्यापक पढ़ाते थे.

वल्लभी

valabhi-universityवल्लभी विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 470 ई. में मैत्रक वंश के संस्थापक सेनापति भट्टारक ने की थी. यह विश्वविद्यालय 6वीं से लेकर 12वीं शताब्दी तक दुनिया का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना जाता था. यह शिक्षा-केंद्र गुणमति और स्थिरमति नाम की विद्याओं के साथ साथ धर्मनिरपेक्ष विषयों का मुख्य केन्द्र माना जाता था. इस खासियत के कारण पूरी दुनिया से विद्यार्थी यहां पढ़ने आते थे.

उदांतपुरी विश्वविद्यालय

odantapuriउदांतपुरी वर्तमान बिहार में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना पाल वंश के राजाओं ने की थी। आठवीं शताब्दी के अंत से 12वीं शताब्दी मतलब लगभग 400 सालों तक इसका विकास चरम पर था। इस विश्वविद्यालय में लगभग 12000 विद्यार्थी थे।

वीडियो: सबसे लम्बी जीभ का विश्व रिकॉर्ड

संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया के चौबीस वर्षीय निक स्टोबर्ल को सबसे लम्बी जीभ के लिए विश्व रिकॉर्ड मिला है. हास्य कलाकार निक जिनकी सुपर साइज जीभ का नाप 10.1 सेंटीमीटर है को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स 2015 किताब के नवीनतम अंक में जगह मिली है. निक का  पिता “चुंबन का एक बहुत बड़ा प्रशंसक था”. निक अभिनेता “जिनी सीमन्स” के कुख्यात जीभ एक्ट की नकल करते थे. बाद में उन्हें महसूस हुआ कि उनकी जीभ बाकी लोगों से काफी लम्बी है.

वीडियो: इशारों से कंप्यूटर को करें कंट्रोल

क्या आपने कभी सोचा था की आप कंप्यूटर को बिना छुएं उस पर काम कर सकते है. ‘लीप मोशन कंट्रोलर’  ने आपका काम कंप्यूटर पर और भी आसान कर दिया हैं. यह कंट्रोलर आपके कंप्यूटर के माउस से अधिक सटीक है, यह आपके कीबोर्ड की तरह भरोसेमंद है और आपके कंप्यूटर की टच स्क्रीन से भी ज्यादा संवेदनशील है.

भारत के शीर्ष 10 मोस्ट वांटेड अपराधी

दाऊद इब्राहिम

dawood-ibrahimदाऊद इब्राहीम ख़ासकर देश के सबसे वांछित अपराधियों में से एक है. वह डी-कंपनी का प्रमुख है. 58 वर्ष का दाऊद इब्राहीम महाराष्ट्र के एक सिपाही का बेटा है. उस पर 1993 के मुंबई के सीरियल धमाके करने का आरोप है. इन धमाकों में 350 लोगों की मौत और 1200 लोग घायल हुए थे. यह धमाके भारत के इतिहास का सबसे विनाशकारी आंतकवादी हमला था.

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सैयद सलाहुद्दीन

syed-salahuddinसैयद सलाहुद्दीन हिजबुल मुजाहिदीन का प्रमुख है, जोकि एक कश्मीरी आतंकवादी संगठन है. उसके संगठन के संबध पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी से हैं. सैयद सलाहुद्दीन ने कश्मीर में होने वाले सभी हमलों में अपना हाथ बताया है. सैयद सलाहुद्दीन एनआईऐ की सूची में हिट लिस्ट में है.

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मसूद अजहर

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मसूद अजहर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है, जो की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सरगर्म है. दिसम्बर, 1999 में हाईजैक किए गए विमान यात्री के बदले में आतंकवादी को भारतीय सरकार द्वारा छोड़ा गया था. इस आतंकी संगठन ने 2001 में भारतीय संसद पर हमला करने की जिम्मेदारी ली थी.

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इलियास कश्मीरी

Ilyas_Kashmiriइलियास कश्मीरी हरकत-उल-जेहादी इस्लामी आतंकी संगठन का नेता है और अल-कायदा से भी इसके सम्बन्ध हैं. इलियास कश्मीरी जर्मन बेकरी बम ब्लास्ट का ज़िम्मेदार था जोकि पुणे में थी और इसने 26/11 हमले की भी जिम्मेदारी ली थी. इसके इलावा इसने कोलकाता के अमेरिकन सेण्टर में 2002 में बम हमला किया था.

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साजिद मीर

sajid-mirसाजिद मीर एक लश्कर-ए-तोयबा का कमांडर था. वह भारत में 2005 में एक क्रिकेट के दर्शक के रूप में आया था. वह मुंबई में 2008 के हमले के लिए रैकी करने आया था. मुंबई हमला कैसे और कहाँ करना है इस बात की सारी जानकारी उसने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से सांझी की थी.

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मेजर इकबाल

मेजर इकबाल 26/11 हमले का एक अन्य षड्यंत्रकारी था. उन्होंने मुंबई पर 26/11 हमला करने वाले आतंकवादियों को प्रशिक्षण किया था. उसने मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों को फ़ोन पर बात करके उनका मार्गदर्शक किया था. वह डेविड हेडली का भी हैंडलर था जिसने 26/11 के आतंकवादियों की भर्ती की थी.

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हाफिज मोहम्मद सईद

hafiz-mohammad-saeedलश्कर-ए-तोयबा का प्रमुख, जो जमात-उड़-दावा को भी चलाता था. हाफिज मुहम्मद सईद को दिसम्बर २००८ में यूनाइटेड नेशन ने आतंकवादी घोषित कर दिया था.उस पर 26/11 पर हमले करने के सबूत हैं और हाफिज मुहम्मद सईद खुले में टीवी पर आकर भारत के खिलाफ अपनी रेलियों में गलत बोलता है.

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छोटा शकील

chota-shakeelछोटा शकील, दाऊद इब्राहीम का करीबी है जिसपर 1993 के मुंबई बम हमलों का आरोप है. जब ओसामा-बिन-लादेन मरा तो वो पाकिस्तान से सऊदी-अरब चला गया. छोटा शकील का असली नाम मोहम्मद वाली खान है.छोटा शकील ने छोटा राजन पर भी हमला करने की जिम्मेदारी ली थी.

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जाकी-उर-रहमान लखवी

zaki-ur-rehman-lakhviजाकी-उर-रहमान ल्ख्वी जोकि लशकर-ए-तय्येबा का संस्थापक है. लश्कर-ऐ-तोयबा ने भारत पर बहुत बार हमले किये हैं और यह भारत के विरुद्ध सक्रिय खतरनाक आतंकी संगठन है जो भारत पर हमले की टाक में रहता है.

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अनीस इब्राहिम

anees-ibrahimअनीस इब्राहिम को 1993 के मुंबई हमलों का दोषी माना जाता है. नशीली दवाओं का और नकली नोटों को बनाने में उसका हाथ होता था. 2009 में विरोधी गैंग के उस पर हमले के बाद अब उसका नाम नही सुनाई देता.

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वीडियो: क्या कोई बिना हाथ चीज़ों को उठा सकता है?

क्या कोई बिना हाथ चीजों को उठा सकता है? जी हाँ, यह संभव है. बायोनिक हाथ को दिमाग के सिग्नलों द्वारा वश में किया जाता है. इसके इस्तेमाल से लोग बिना हाथ के चीजों को उठा सकते हैं. इस बायोनिक हाथ को पूरी तरह दिमाग से वश में किया जाता है और इसके लिए दिमाग की कोई भी सर्जरी भी नहीं करानी पडती.

बिग बैंग सिद्धांत: हमारे ब्रह्मांड की रचना का इतिहास!

यह कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है कि ब्रह्मांड कितना बड़ा हो सकता है. पहले वैज्ञानिक सोचते थे कि ब्रह्मांड हमेशा से ही ऐसा रहा होगा. लेकिन संभवत: ऐसा नहीं था.
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ब्रह्मांड के जन्म का सिद्धांत

ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के कारण हुआ है. लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में अति-संघनित (compressed) था। उस समय समय और स्थान जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी। लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस महाविस्फोट से अत्यधिक ऊर्जा(energy) का उत्सजर्न(release) हुआ और हर 10-24 सेकंड से यह धमाका दोगुना बड़ा होता गया। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। इस धमाके के 3 लाख साल बाद पूरा ब्रह्मांड हाइड्रोजन और हीलियम गैस के बादलों से भर गया. इस धमाके के 3 लाख 80 हज़ार साल बाद अंतरिक्ष में सिर्फ फोटोन ही रह गये. इन फोटोन से तारों और आकाशगंगाओं का जन्म हुआ, और बाद में जाकर ग्रहों और हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ. यही महाविस्फोट यानी बिग-बैंग का सिद्धांत है।

महाविस्फोट सिद्धान्त का प्रतिपादन

आधुनिक भौतिक-शास्त्री  जार्ज लेमैत्रे (Georges Lemaître) ने सन 1927 में सृष्टि की रचना के संदर्भ में महाविस्फोट सिद्धान्त(बिग-बैंग थ्योरी) का प्रतिपादन किया. इस सिद्धांत के द्वारा उन्होंने दावा किया कि ब्रह्मांड सबसे पहले एक बहुत विशाल और भारी गोला था जिसमें एक समय के बाद बहुत जबरदस्त धमाका हुआ और इस धमाके से होने वाले टुकड़ों ने अंतरिक्ष में जाकर  धीरे धीरे तारों और ग्रहों का रूप ले लिया. उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था. लेकिन उस समय इस सिद्धान्त को आलोचकों द्वारा अनसुना कर दिया गया.
history.bigbang.theory.fundabookसन 1929 में एडविन ह्ब्बल(Edwin Hubble) ने लाल विचलन (Red Shift) के सिद्धांत के आधार पर पाया कि ब्रह्मांड फैल रहा है और ब्रह्मांड की आकाशगंगायें तेजी से एक दूसरे से दूर जा रही हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, पहले आकाशगंगाये एक दूसरे के और पास रही होंगी और इससे भी पहले यह एक दूसरे के और अधिक पास रही होंगी। यह सिद्धांत आईन्स्टाईन के अनंत और स्थैतिक ब्रह्मांड के विपरीत था. निरीक्षण से निष्कर्ष निकला कि ब्रह्मांड ने एक ऐसी स्थिति से जन्म लिया है जिसमें ब्रह्मांड का सारा पदार्थ अत्यंत उच्च तापमान और घनत्व पर एक ही स्थान पर केन्द्रित था। इस स्थिति को गुरुत्विक अपूर्वता (Gravitational Singularity) कहा गया।

दूसरी संभावना थी, फ़्रेड होयेल का स्थायी स्थिति माडल (Fred Hoyle’s steady state model), जिसमें दूर होती आकाशगंगाओं के बीच में हमेशा नये पदार्थों की उत्पत्ति  का प्रतिपादन था। दूसरे शब्दों में आकाशगंगाये के एक दूसरे से दूर जाने पर जो खाली स्थान बनता है वहां पर नये पदार्थों का निर्माण होता है। इस संभावना के अनुसार मोटे तौर पर ब्रह्मांड हर समय एक जैसा ही रहा है और रहेगा। होयेल ही वह व्यक्ति थे जिन्होने लेमैत्रे के महाविस्फोट सिद्धांत का मजाक उड़ाते हुये इसे “बिग बैंग आईडीया” का नाम दिया था।

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काफी समय तक वैज्ञानिक इन दोनों सिद्धांतों के बीच विभाजित रहे। लेकिन समय के साथ वैज्ञानिक प्रयोगों और निरीक्षणों से महाविस्फोट के सिद्धांत को बल मिलता गया। 1965 के बाद ब्रह्मांडीय सूक्ष्म तरंग विकिरण (Cosmic Microwave Radiation) की खोज के बाद इस सिद्धांत को सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत का दर्जा मिल गया। वर्तमान में खगोल विज्ञान का हर नियम इसी सिद्धांत पर आधारित है और इसी सिद्धांत का विस्तार है।

‘इसरो’ से जुड़े कुछ अनसुने रोचक तथ्य….!

‘इसरो’ का पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है. भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो का मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में लगभग 17 हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक काम करते हैं. इसरो का मुख्य कार्य अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना और उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास करना है.

विक्रम साराभाई (1960-1970)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का इतिहास

भारत का अंतरिक्षीय अनुभव बहुत पुराना है, इसका उपयोग उस समय से किया जाता है जब रॉकेट को आतिशबाजी के रूप में प्रयोग किया जाता था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 1969 में की गई थी. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में 70 का दशक प्रयोगात्मक युग था. जिस दौरान ‘आर्यभट्ट‘, ‘भास्कर‘, ‘रोहिणी‘ तथा ‘एप्पल‘  जैसे उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए थे. इन सफल कार्यक्रमों की सफलता के बाद 80 के दशक में ‘इन्सेट‘ तथा ‘आईआरएस‘ जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू किए गए थे जो कि वर्तमान में प्रमुख कार्यक्रम है.

डॉ विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिनका भारत के वैज्ञानिक विकास में अहम योगदान रहा. 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति (इनकोस्पार) का गठन किया, जिसमें डॉ॰ साराभाई को सभापति के रूप में नियुक्त किया

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रोचक तथ्य:

  1. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब तक 104 उपग्रहों को लांच करने के अलावा 21 अलग-अलग देशों के लिए भी 79 उपग्रह लांच किए है.
  2. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रक्षेपण यानी PSLVC37 ने श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से एक एकल मिशन में रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया
  3. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से PSLVC37  ने 15 फरवरी 2017 को यानि आज सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर अपनी 39वीं उड़ान भरी है
  4. PSLVC37  के लॉन्‍च का कुल खर्च 100 करोड़ रुपए है. वैज्ञानिकों के अनुसार अंतरिक्ष कॉरपोरशन ने इन सैटेलाइट्स के लिए 200 करोड़ रुपए की डील की है यानी उसे करीब 100 करोड़ रुपए की बचत होगी.
  5. इसरो का बजट केंद्र सरकार के कुल खर्च का 34% और GDP का 0.08% है.
  6. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसरो का पिछले 40 साल का खर्च नासा के एक साल के खर्च का आधा है. वहीं नासा की इंटरनेट स्पीड 91GBps है और इसरो की इंटरनेट स्पीड 2GBps है.
  7. पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम SUPARCO है जो कि 1961 में बनी थी जबकि इसरो 1969 में. इसरो अब तक 86 सैटेलाइट्स लांच कर चुका है बल्कि SUPARCO सिर्फ 2 ही कर पाया है वह भी विदेशी देशों की सहायता से.
  8. इसरो के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट है जो की 19 अप्रैल 1975 को रूस की सहायता से लांच किया गया था.
  9. 1981 में एप्पल सैटेलाइट्स को बैलगाड़ी पर ले जाया गया था.
  10. भारत द्वारा लांच किया गया पहला स्वदेशी उपग्रह SLV-3 था. इस सैटेलाइट्स के डायरेक्टर डॉ. ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम थे.
  11. इसरो ने 2008-09 में चंद्रयान-1 सैटेलाइट्स लॉन्च किया था जिसका बजट तकरीबन 350 करोड़ रुपए था यानि नासा से 8-9 गुना कम था. इसी सैटेलाइट्स ने चाँद पर पानी की खोज की थी.

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उंगली से नारियल तोड़ने का रिकार्ड

“हो एंग हुई” ने 21 अप्रैल 2011 को 12.15 सेकंड में 4 नारियल केवल एक ऊँगली से तोडकर नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया. उन्होंने यह करतब इटली के मिलान शहर में गिनीज़ बुक रिकार्ड्स के अधिकारिओं के समक्ष किया. हो एंग हुई ने इससे पहले यह कीर्तिमान 30 सेकंड में बनाया था.

भारत में शीर्ष 10 पसंदीदा पर्यटन स्थल!!

सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता के साथ-साथ भारत का समृद्ध इतिहास, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की दृष्टि से एक उपयुक्त और यादगार पर्यटन स्थल के रूप में प्रस्तुत करता है. आईये नजर डालते हैं भारत के उन कुछ खास पर्यटन स्थलों पर जिन्हें सैलानी विशेष तौर पर पसंद करते हैं.

ताजमहल, आगरा

सनातन प्रेम की निशानी ताजमहल के लिए विख्यात आगरा में संभवत: देश में सबसे अधिक सैलानी आते हैं. ताजमहल, अथवा सफेद संगमरमर गुंबदनुमा समाधि विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है. आगरा में ताजमहल के अलावा फतेहपुर सीकरी, आगरा किला, अकबर का मकबरा, राम बाग और सिकंदरा किला अन्य मुख्य पर्यटन स्थल हैं.

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कश्मीर

पृथ्वी पर स्वर्ग (The Paradise on Earth) के नाम से विख्यात कश्मीर के प्रमुख आकर्षण इसकी प्राकृतिक सुंदरता में निहित है. बर्फ से ढकी चोटियां, शानदार हरी घाटियाँ, अल्पाइन गांव, निर्झर बहते झरने, फूल बागान आदि कश्मीर को एक वास्तविक नैसर्गिक पर्यटन स्थल बनाते हैं. कश्मीर में आप सुरम्य डल झील में नाव व शिकारों पर घूमने व रहने का आलौकिक आनंद ले सकते हैं. यह सर्दियों के मौसम के दौरान यात्रा के लायक एक अद्वितीय स्थल है. अन्य प्रमुख आकर्षण हैं गुलमर्ग, श्रीनगर, सोनमर्ग, नागिन लेक, परी महल, शंकराचार्य मंदिर और पहलगाम।

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गोवा

सुनहरी रेत और लहराते नारियल के पेड़ों के साथ-साथ अद्वितीय समुद्र तटों से लैस स्थान है भारत का सबसे छोटा राज्य गोवा. यह खुबसूरत प्रदेश अद्भुत सामुद्रिक नजारों और आलौकिक सूर्यास्त का लुत्फ़ चाहने वालों के लिए शानदार स्थल है. स्वादिष्ट समुद्री भोजन, पैरासेलिंग, विंडसर्फिंग और पानी पर स्कीइंग की सुविधा गोवा के समुद्र तटों को मजेदार जगह बनाते हैं. एलोरना (Alorna) किला, पूर्वज/पुरातन गोवा म्यूजियम, आर्वलम(Arvalam) झरने, चपोरा फोर्ट और Calangute Beach गोवा में लोकप्रिय स्थलों में से कुछ एक हैं.
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कन्याकुमारी

कन्याकुमारी को केप कोमोरिन के नाम से भी जाना जाता है. यहं पर तीन महान जल राशियां, बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर मिलती हैं. सायंकालीन क्षितिज को निहारने और एकांत के क्षणों का आनंद उठाने के लिए इससे शानदार जगह कोई नहीं हैं. यहाँ पर सूर्यास्त का दृश्य सूर्योदय से ज्यादा शानदार है. वर्ष भर में लाखों की तादाद में पर्यटक इस जगह के शांत सौंदर्य और सूर्योदय और सूर्यास्त के नैसर्गिक दृश्यों का साक्षी बनने के लिए यहां आते हैं.
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जयपुर-उदयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगरी नाम से भी जाना जाता है. इस नगर में सुंदर नगरों, हवेलियों और किलों की भरमार है. सिटी पैलेस, जंतर मंतर, हवा महल, जल महल, नाहरगढ़ किलाअल्बर्ट हॉल संग्रहालय (Albert Hall museum), महाराजा सवाई मान सिंह संग्रहालय (Maharaja Sawai Man Singh), सरगासूली आदि अनेक अन्य स्थान हैं. उदयपुर जिसे झीलों का शहर कहा जाता है. उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटक शहर माना जाता है. झीलों के साथ मरुभूमि का अनोखा संगम अन्यम कहीं नहीं देखने को मिलता है. यह शहर अरावली पहाडी के पास राजस्थान में स्थित है. उदयपुर को हाल ही में विश्व का सबसे खूबसूरत शहर घोषित किया गया है.

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Source: SiliconIndia

केरल

भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है. इसे ‘God’s Own Country’ अर्थात् ‘ईश्वर का अपना घर’ नाम से पुकारा जाता है. यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं – पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि. इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक भ्रमणार्थ आते हैं. मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र (backwaters region) आदि पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं.

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Source: Scoopwhoop

दिल्ली

दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र भी है. प्राचीन नगर होने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. इंडिया गेट, पुराना किला, कुतुबमीनार, लौह स्तंभ, मुगल शैली की ऐतिहासिक हुमायूँ का मकबरा, निज़ामुद्दीन औलिया दरगाह, जंतर मंतर, लाल किला, अक्षरधाम, राजघाट, मुगल गार्डन, अनेक प्रकार के संग्रहालय और बाज़ार यहाँ आकर्षण का केंद्र हैं.
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Source: Wikipedia

दार्जिलिंग

हरे भरे चाय के बागान दार्जिलिंग का ख़ास आकर्षण हैं. दार्जिलिंग की यात्रा न्यू जलपाईगुड़ी नामक शहर से शुरू होती है. बर्फ़ से ढके सुंदर पहाड़ो का दृश्य अत्यंत मनभावन हैं. टॉय ट्रेन में सुंदर वादियों की सैर यात्रा में चार चांद लगा देती है. दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को 1999 में यूनेस्को द्धारा विश्व धरोंहरों की सूची में शामिल कर लिया गया था. रास्ते में पड़ते जंगल, तीस्ता और रंगीत नदियों का संगम, चाय के बगान और देवदार के जंगल, टाइगर हिल, चाय बगान, नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम मन को मोह लेते है.

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Source: viceroyhoteldrj.com

मैसूर

मैसूर महलों, बग़ीचों और मंदिरों का नगर है. चामुंडी पहाड़ी की गोद में बसा मैसूर अपने महलों के लिए जाना जाता है. मैसूर पैलेस यहाँ का मुख्य आकर्षण है. ताज महल के बाद यह भारत में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है. सालाना 27 लाख से अधिक पर्यटक यहां आते हैं. मैसूर दशहरा महोत्सव दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोगों को आकर्षित करता है. चामुंडेश्वरी मंदिर, श्री चमराजेंद्र जूलॉजिकल गार्डन, सेंट फिलोमेना चर्च और वृन्दावन बगीचा लोकप्रिय हैं.

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Source: ixigo

अजंता-एलोरा

अजंता-एलोरा की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ हैं. गुफाएँ बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. 29 गुफाएँ अजंता में तथा 34 गुफाएँ एलोरा में हैं. यह स्थल द्वितीय शताब्दी ई.पू. के हैं. यहां बौद्ध धर्म से सम्बंधित चित्रण एवं शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं. इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं. अजंता गुफाएं सन 1983 से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है.

Top-10-Most-Visited-Places-in-India-Ajanta-Ellora
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बारिश क्यों होती है?

जब गर्म नम हवा, ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आती है तब बारिश होती है. गर्म हवा अपने अंदर ठंडी हवा से ज्यादा पानी जमा कर सकती है.