आप ने स्कूल के समय से ही पढ़ा होगा कि मनुष्य अपने दिमाग का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल करता है. इस बात की चर्चा सबसे पहले वर्ष 1930 में हुई कि क्या हम अपने दिमाग का 10 प्रतिशत इस्तेमाल करते हैं? इस थ्योरी को हालाँकि मशहूर चिकित्सक नकारते हैं.
उदहारण के लिए विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र और चिकित्सा के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी खोजों के लिए विख्यात असाधारण वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में एक प्रसिद्ध मिथक प्रचलित है कि “उन्होंने अपने दिमाग का 13 प्रतिशत उपयोग किया था, जबकि सामान्य व्यक्ति सिर्फ 1-2 प्रतिशत का उपयोग कर सकता है।”
क्या यह सिर्फ एक मनगढंत कहानी है?
यह सिर्फ एक मिथक कहानी है कि मनुष्य अपने दिमाग का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल करता है. लेकिन यह मिथक कहानी इतनी मशहूर क्यों हो गयी?
इसका मुख्य संभावित कारण है 1890 के दशक में हार्वर्ड के दो मनोवैज्ञानिकों का एक शोध यानि रिसर्च। सयुंक्त राज्य अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स और बोरिस सिडीस आरक्षित ऊर्जा सिद्धांत (Reserved Energy Theory) पर शोध कर रहे थे.
शोध के दौरान उन्होंने बाल प्रजनन की त्वरित वृद्धि में इस सिद्धांत का परीक्षण किया। शोध के दौरान विलियम जेम्स और बोरिस सिडिस एक बहुत ही उच्च बुद्धि IQ वाले बालक विलियन सिडिस नामक एक के बच्चे का अध्ययन कर रहे थे जिसका IQ व्यस्क होने पर 250-300 था.
इस परीक्षण के बारे में बात करते हुए जेम्स ने दर्शकों से कहा कि लोग अपनी मानसिक क्षमता का केवल एक अंश ही इस्तेमाल करते हैं, जो वास्तव में बहुत ही व्यावहारिक दावा था। लेकिन समय के साथ-साथ उनकी यह स्टेटमेंट मिथक के रूप में प्रसिद्ध हो गयी।
इस की मुख्य वजह थी मीडिया जिन्होंने टेलीविजन, रेडियो और इन्टरनेट के माध्यम से लोगों को बताया कि मनुष्य अपने दिमाग का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल करता है और यह भी यकीन दिलाया कि कोशिश करने से हम अपने दिमाग का 10 प्रतिशत से भी ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं. हॉलीवुड फिल्म लूसी भी इस मिथक कहानी पर आधारित है.
प्रमाण जो सिद्ध करते हैं कि मनुष्य अपने दिमाग का 100 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करता है
अगर यह मान लें कि मनुष्य अपने दिमाग का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करता है इसका मतलब हुआ कि हमारे दिमाग की 10 में से सिर्फ 1 तंत्रिका (Nerve) कोशिका काम करती हैं और हमारे मस्तिष्क के सिर्फ 10 प्रतिशत नयूरोंस (neurons) काम करते हैं, जो कि असम्भव है. असल में हमारे मस्तिष्क के 100 प्रतिशत नयूरोंस एक दूसरे से संकेतों का आदान प्रदान करते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य का दिमाग 100 प्रतिशत इस्तेमाल होता है न कि 10 प्रतिशत. इसके इलावा एक और प्रमाण यह भी है, अगर हम विकासवादी दृष्टिकोण से देखें तो हमारा दिमाग अब तक जितना विकसित होना था वह हो गया है, इसका आकार अब नहीं बढ़ेगा.
जब हमारा दिमाग का बचपन से लेकर युवावस्था तक विकास हो रहा होता है तो हमारे दिमाग में बहुत सारे गुण-सूत्रीय संयोजन (synapses) बनते हैं. हमारा दिमाग जब पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो कुछ सिनेप्सस (synapses) खत्म हो जाते हैं. ऐसे कई अध्ययन हैं जिनमें यह पता चलता है कि अगर न्यूरॉनस को दी जाने वाली इनपुट (input) स्थगित होती है तो हमारे दिमाग का न्यूरॉन सिस्टम ठीक ढंग से कार्य नहीं करता. दूसरी तरफ छोटे बच्चों का दिमाग बहुत अनुकूलनीय (adaptable) होता है. अगर छोटे बच्चों के दिमाग का कोई हिस्सा काम नहीं करता तो उस हिस्से की जगह दिमाग में बचे हुए टिश्यूओं द्वारा ले ली जाती है.
इसलिए अगर अगली बार कोई आपको कहे कि हम दिमाग का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करते हैं तो आप उनको कह सकते हैं कि हम अपने दिमाग को 100 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करते हैं.
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