प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी चीज से डर लगता है। बल्कि दूसरे शब्दों में कहें तो, डर हम सभी के अंदर पाया जाता है। ये किसी में कम और किसी में ज्यादा हो सकता है, लेकिन जब डर जरुरत से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लेता है, इसी को फोबिया कहते हैं।
वैसे, ये जानना भी महत्वपूर्ण है कि हर डर, फोबिया नहीं होता है जैसे अगर कोई इंसान अंधेरे से इसलिए डरता है कि न दिखने के कारण कहीं ठोकर न लग जाए। तो ये डर है। कई लोग डर और फोबिया को एक ही मानते हैं, लेकिन दोनों में काफी फर्क है।
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आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे डर और फोबिया के बीच क्या अंतर है, तो चलिए जानते हैं :-
क्या होता है फोबिया में
‘फोबिया‘ ग्रीक शब्द Phobos से निकला है। जो व्यक्ति किसी तरह के फोबिया से ग्रस्त होता है, उसे धड़कन तेज होने, सांस लेने में तकलीफ, पसीना अधिक आने की समस्या होती है। उसे फोबिक स्थिति से तुरंत बाहर आने की जरूरत होती है और कभी-कभी ऐसे व्यक्ति को मरने का भी डर लगने लगता है।
फोबिया और डर के बीच में अंतर
फोबिया और डर, दोनों में काफी अंतर है। डर एक भावनात्मक रेस्पांस है, जो आमतौर पर किसी से धमकी मिलने या डांट पड़ने पर होता है। ये बेहद सामान्य बात है और कोई बीमारी नहीं है। लेकिन फोबिया, डर का खतरनाक और अलग ही लेवल है। फोबिया में डर इतना ज्यादा होता है कि इंसान इसे खत्म करने के लिए अपनी जान पर भी खेल सकता है।
ऐसे में क्या करें
यदि आपको लगता है कि आपको फोबिया है, तो इसके इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ उपलब्ध है जो काफी प्रभावी है। तथापि इसके लिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी काफी आवश्यक एवं लाभदायक पाई गई है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि इसका इलाज स्वयं दवाई लेकर नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है।