Sunday, December 22, 2024
16 C
Chandigarh

अनोखा मेला : जानिए पत्थर बरसाने वाले गोटमार मेले की कहानी

गोटमार मेले का आयोजन महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुरना कस्बे में हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या पोला त्योहार के दूसरे दिन किया जाता है।

मराठी भाषा बोलने वाले नागरिकों की इस क्षेत्र में बहुलता है और मराठी भाषा में गोटमार का अर्थ पत्थर मारना होता है। शब्द के अनुरूप मेले के दौरान पांढुरना और सावरगांव के बीच बहने वाली नदी के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक पत्थर मारकर एक-दूसरे का लहू बहाते हैं।

इस घटना में कई लोग घायल हो जाते हैं। इस पथराव में कुछ लोगों की मृत्यु के मामले भी हुए हैं। बावजूद इसके यहां यह मेला मनाया जाता है। गौरतलब है कि यहां बरसों पुरानी परम्परा को हर साल दोहराया जाता है।

जाम नदी के दोनों किनारों पर बसे इन गावों के लोग नदी के बीच में पहले एक झंडा लगाते हैं फिर इस झंडे को पाने के लिए दोनों ओर से जम कर पत्थर युद्ध होता है। प्रशासन की सख्ती के बाद भी दोनों ओर के लोग ट्राली भर-भरकर पत्थर जमा करते हैं।

इस खूनी खेल के पीछे मान्यता है कि सांवरगांव की एक लड़की को पांढुरणा के लड़के से प्रेम हो गया था। दोनों ने चुपचाप शादी कर ली लेकिन जब इस बात की जानकारी गांव वालों को लगी तो वे इस जोड़े के विरोध में उतर आए और नदी पार कर रहे युगल पर सांवरगांव की तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गई।

जवाब में पांढुरणा वालों ने भी पत्थर चलाए, जिससे लड़की और लड़के की मौत हो गई। तब से इसे परम्परा बना दिया गया और करीब 300 सालों से इसे ऐसे ही निभाया जाता है। हालांकि, कुछ लोग इसे सिर्फ कहानी मानते हैं।

प्रशासन ने कई बार गोटमार में पत्थर की जगह गेंद के इस्तेमाल की पहल की लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं हुआ। हर साल यह खेल खेला जाता है और बड़ी संख्या में लोग इसमें घायल होते हैं। देश के अनोखे लेकिन बेहद खतरनाक खेल को खेलने और देखने भी बड़ी तादाद में लोग पहुंचते हैं।

यह भी पढ़ें :-

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR