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जानिए कैसा था बचपन इन महापुरुषों का !!!

यह आवश्यक नहीं कि जो बच्चा बचपन में कुशाग्र बुद्धि होगा वही आगे चल कर महान और महापुरुष बनेगा। आज इस पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसे महापुरुषों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बचपन में सुस्त, मूर्ख या खिलाड़ी समझे जाते थे, वही आगे चल कर महान वैज्ञानिक, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ बने।

तो चलिए जानते हैं :-

अल्बर्ट आइंस्टीन

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन जब म्यूनिख में पढ़ते थे, तब उन्हें बुद्धिमान बालक नहीं समझा जाता था। कक्षा में चुपचाप बैठते थे।

बोलते बहुत कम थे। शिक्षक उन्हें सुस्त और आलसी कहा करते थे। 26 वर्ष की आयु में ही उन्होंने एक नवीन प्रयोग कर दिखाया, जिससे वह रातों-रात चमक गए।

एक बार आइंस्टीन बस से कहीं जा रहे थे। कंडक्टर ने उनसे टिकट के पैसे लेकर शेष वापस कर दिए। उन्होंने दो-तीन बार शेष पैसे गिने पर ठीक प्रकार हिसाब न लगा सके। इस पर कंडक्टर ने उनके हाथ से रेजगारी लेकर झुंझलाते हुए कहा, “जनाब लगता है आप गणित में बहुत कमजोर हैं।”

बेचारे कंडक्टर को ज्ञान न था कि वह संसार के महान वैज्ञानिक से बात कर रहा है। कंडक्टर की इस बात पर वह हंस पड़े।

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विंस्टन चर्चिल

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले विंस्टन चर्चिल का मन बचपन से पढ़ाई में नहीं लगता था परंतु वह बहुत उद्यमी थे। कई बार अनुत्तीर्ण होने के कारण उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा।

किसी तरह दूसरे स्कूल में प्रवेश मिला जो महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता था। इस विद्यालय में भी वह मूर्ख, उदंड सिद्ध हुए।

स्थिति यहां तक पहुंची कि उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने अपना मन पढ़ाई में लगाया और आगे चल कर ब्रिटेन के चर्चित प्रधानमंत्री रहे।

न्यूटन

न्यूटन का बचपन, किशोरावस्था और युवापन खेलकूद में ही गुजरा। वह खेलने में मस्त रहा करते थे। गणित में बहुत कमजोर थे इसलिए उन्हें कम बुद्धि का विद्यार्थी समझा जाता था।

वह पतंग उड़ाते, लकड़ी की घड़ियां बनाते और जल चक्र आदि से खेलते। आगे चल कर उन्होंने कई महान आविष्कार किए और महान वैज्ञानिक कहलाए।

एक दिन न्यूटन अपने अनुसंधान में खोए हए थे। भोजन करने का समय हो गया था। उनकी नौकरानी भोजन का थाल चुपके से आकर पीछे रखी हुई मेज पर रख कर चली गई। इसी बीच एक बिल्ली आकर सारा भोजन चट कर गई।

बहुत देर बाद जब न्यूटन ने अपनी कुर्सी पर बैठे हुए ही पीछे की ओर देखा तो भोजन की थाली खाली मिली। तब उनके मुंह से अनायास निकल पड़ा, “चलो अच्छा हुआ आज मैंने समय पर खाना खा लिया”। इतना कह कर वह पुनः अपने काम में लग गए।

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चार्ल्स डार्विन

चार्ल्स डार्विन का विद्यार्थी जीवन में पढ़ने लिखने में बिल्कुल मन नहीं लगता था। उन्हें कक्षा में मूर्ख समझा जाता था। कक्षा में ही नहीं बल्कि उन्हें पूरे विद्यालय में ही वर्ष का सबसे कम बुद्धि का विद्यार्थी घोषित किया। यही डॉर्विन आगे चल कर महान वैज्ञानिक बने।

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