एक थाल मोतियों से भरा,
सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे,
मोती उससे एक न गिरे।
यह पहेली बचपन में आपने भी सुनी होगी, जिसका उत्तर है “आसमान”। साफ़ मौसम में रात के समय आपने भी आसमान को तो देखा होगा, जिसमें अनगिनत तारे नज़र आते हैं। वहीं शुक्ल यानि उज्ज्वल पक्ष में चाँद भी आसमान में नज़र आता है।
क्या आप जानते हैं अंतरिक्ष यानि आसमान में यह चाँद तारे कहाँ से आए? अगर नहीं, तो आज हम इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि यह चाँद-तारे कहाँ से आए या कैसे बनें।
क्या है अंतरिक्ष?
‘अंतरिक्ष ‘शब्द का इस्तेमाल संपूर्ण ब्रह्मांड को परिभाषित करने के लिए किया जाता है,अर्थात पृथ्वी व इसका वातावरण, चंद्रमा, सूर्य तथा बाकी सौर प्रणाली के अतिरिक्त अनंत आकाश में फैले ग्रह और उनके उपग्रह।
‘बाह्य अंतरिक्ष’ यां आऊटर स्पेस का अर्थ पृथ्वी तथा इसके वातावरण के अलावा बाकी सारा अंतरिक्ष है।
बाह्य अंतरिक्ष वहां से शुरू होता है जहां पृथ्वी का वातावरण समाप्त होता है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अंतरिक्ष को ‘परिमित (सीमित) लेकिन अबाध’ के तौर पर परिभाषित किया क्योंकि ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है।
इसका अर्थ यह हुआ कि ‘अंतरिक्ष’ शब्द का इस्तेमाल पृथ्वी व इसके वातावरण के अतिरिक्त हर चीज के लिए किया जाता है। सामान्य शब्दों में अंतरिक्ष का अर्थ ‘कुछ नहीं’ भी है। अर्थात, रिक्त या शून्य, जो खाली या निर्जन है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रह्मांड का कुछ हिस्सा ‘मैटर ‘से भरा है’ बाकी खाली है। ग्रह, सूर्य, क्षुद्र, तारे तथा अन्य खगोलीय पिंड मिलकर ‘मैटर’ या पदार्थ बनाते हैं, जो अंतरिक्ष में बिखरा पड़ा है। दूसरे शब्दों में- सितारे, ग्रह, सूर्य, धूल के कण, गैस, मलबे के छोटे- बडे टुकड़े तथा बहुत अधिक खाली स्थान ब्रह्मांड बनाते हैं।
ब्रह्मांड में प्रकाश किसी भी अन्य चीज़ के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से यात्रा करता है। यह लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकंड की रफ्तार से यात्रा करता है।
ब्रह्मांड कैसे बना
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड महा-विस्फोट (बिगबैंग) से लगभग 1.80 करोड वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। एक विशाल गरम गोला अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा था।
इसके केंद्र में अंत्यत ताप तथा बहुत अधिक दबाव बन जाने के कारण इसमें बड़ा विस्फोट हो गया। इससे खाली अंतरिक्ष में मैटर या पदार्थ बिखर गया। समय के साथ मैटर ठंडा होता गया और इससे सितारे, ग्रह तथा चंद्रमा बने ।
जो पदार्थ विशाल खगोलिय पिंड नहीं बने, वे धूमकेतु अथवा उल्कापिंड बनकर अंतरिक्ष में रह गए। ये धूमकेतु तथा उल्कापिंड महा-विस्फोट के अवशेष हैं इसलिए उन्हें आमतौर पर महा -विस्फोट का मलबा कह दिया जाता है।
ब्रह्मांड कितना बड़ा है
यह एक कठिन प्रश्न है क्योंकि ऐसा देखा गया है कि ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है। अंतरिक्ष में दूरियां नापना असंभव है।
हम जानते हैं कि शुक्र (वीनस) पृथ्वी का सबसे नजदीकी ग्रह है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पृथ्वी से 4 करोड़ किलोमीटर दूर है ? प्लूटो हमसे 6 अरब किलोमीटर दूर है। सूर्य के अलावा सबसे नजदीकी सितारा प्रोक्सिमा सेंचुरी है। यह 402 खरब किलोमीटर दूर है।
( कुछ रोचक तथ्य )
- ब्रह्मांड में सबसे दूर की चीजें अत्यंत विशाल खगोलीय वस्तुएं हैं, जिनमें से कई 10 अरब प्रकाश वर्ष दूर हैं।
- प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो रोशनी या प्रकाश एक वर्ष में तय करता है।
- एक प्रकाश वर्ष लगभग 94,60,00,00,00,000 किलोमीटर या 94 खरब किलोमीटर के बराबर है।
- सूर्य की पृथ्वी से दूरी 14. 96 करोड़ किलोमीटर है।
- 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकंड की रफ्तार से सूर्य की रोशनी को हम तक पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं
- सूर्य के अलावा हमारे अगले सबसे नजदीकी सितारे तक पहुंचने में प्रकाश को 4 प्रकाश-वर्ष लगते हैं। किलोमीटर में यह दूरी 40,208,000,000,000 किमी यानी 402 ख़रब किमी बनती है।
- सूर्य इतना विशाल है कि इसमें पृथ्वी के आकार के 13 लाख ग्रह समा सकते हैं।
- ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है। यानी इसमें सारे ग्रह, क्षुद्र, तारे तथा अन्य खगोलीय पिंड एक दुसरे से लगातार दूर हो रहे हैं।
- कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में मौजूद सारा मैटर या पदार्थ एक दिन सिकुड़ना शुरू हो जाएगा, जिस कारण एक बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो जाएगा।