रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, संगीतकार, लेखक और चित्रकार थे। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था l रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी पहली कविता मात्र आठ साल की उम्र में लिखी थी।
टैगोर की शादी 1883 में मृणालिनी देवी के साथ हुई थी। उनकी पत्नी ने बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त की और इंग्लैंड जाकर पढ़ाई की। उन्होंने कुछ किताबों का अनुवाद भी किया।
रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के वायसराय लार्ड कर्जन की नीति ‘डिवाइड एंड रूल’ के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत कोलकाता से 16 अक्टूबर 1905 में की थी। 7अगस्त 1941 को कोलकाता में उनकी मृत्यु हो गई।
आइये जानते हैं रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य के बारे में
- रवींद्रनाथ टैगोर पहले ऐसे शख्स थे जिनकी रचनाओं को दो देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता है। इनमें एक है भारत का “जन गण मन” और दूसरा है बांग्लादेश का “अमार शोनार बांग्ला”। परन्तु बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि उन्होंने श्रीलंका के लिए भी राष्ट्रगान “श्रीलंका मठ” लिखा था जिसे 1951 में सिंहली में अनुवादित कर वहां का राष्ट्रगान बना दिया गया।
- टैगोर की लोकप्रिय किताबों में से एक ‘द किंग ऑफ द डार्क चैंबर‘ है। जिसकी बीते साल अमेरिका में सात सौ डॉलर (करीब 45 हजार रुपये) में नीलामी हुई थी। ये किताब 1916 में मैकमिनल कंपनी ने प्रकाशित की थी, जो टैगोर के हिंदी में लिखे नाटक ‘राजा’ का अंग्रेजी अनुवाद है। इस नाटक की कहानी एक रहस्यमय राजा से जुड़ी है।
- रवींद्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें 1913 में उनकी रचना “गीतांजली” के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। टैगोर की विश्व प्रसिद्ध रचना “गीतांजली” 157 कविताओं का कलेक्शन है और यह 1910 में प्रकाशित हुई थी।
- रवींद्रनाथ टैगोर की 3,500 कविताओं का एक डिजिटल संग्रह भी है। खास बात यह है कि इस संग्रह में ऐसी 15 कविताएं मौजूद हैं, जिनका पाठ खुद टैगार ने किया था। 245 कविताओं का पाठ वक्ताओं ने किया है।
- रवींद्रनाथ नाथ टैगोर ने विभीन्न शैलियों पर काम किया था उन्हीने उपन्यास, लघु कथाएँ, कविताएं, निबंध, छंद, नाटक, गीत, और बहुत सी अन्य चीजें लिखीं। माना जाता है कि उन्होंने लगभग सभी प्रकार की शैलियों पर काम किया था ।
- गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर चित्र बनाने में भी पारंगत थे, उन्होंने 60 साल की उम्र के दौरान चित्र बनाने शुरू किए थे।
- पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में कला और साहित्य का एक अलग रूप दिखता था। इससे टैगोर का गहरा नाता था। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां उनके पिता ने 1863 में ब्रह्मा समाज आश्रम और विद्यालय के रूप में एक आश्रम की स्थापना की थी फिर यहीं पर रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की। रवींद्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में “विश्व-भारती” स्कूल के निर्माण में अपना नोबेल पुरस्कार निवेश किया था।
- टैगोर को एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने घर पर आमंत्रित किया था। दोनों ने धर्म और विज्ञान के बारे में बात की और उनकी बातचीत को “नोट ऑन द नेचर ऑफ रियलिटी” में प्रलेखित किया गया है।
- उनकी कई प्रदर्शनियां यूरोप, रूस और अमेरिका में लगी है।
- इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम ने साहित्य के क्षेत्र में उनके महान योगदान के लिए 1915 में रवींद्रनाथ टैगोर को “शूरवीर” की उपाधि दी थी। हालांकि 1919 में जलियांवाला बाग में हुए दुखद हत्याकांड के बाद, उन्होंने अपना खिताब त्याग दिया था।
- उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएं की थी।
- गांधी जी को “महात्मा” कहने का श्रेय भी रवींद्रनाथ टैगोर को ही दिया जाता है।
- रवींद्रनाथ टैगोर, देवेन्द्रनाथ टैगोर के पुत्र थे, जिन्होंने बंगाल पुनरुत्थान करने में एक महान भूमिका निभाई थी। इसी तरह रवींद्रनाथ टैगोर ने भी बंगाली कला, साहित्य, संगीत और रंगमंच के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।