सभी पर्यावरण संरक्षण और इसके बचाव की बातें करते हैं लेकिन शायद ही कोई असल जीवन में पर्यावरण की चिंता करता है. सभी जानते हैं की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, और सभी इसकी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपने की कोशिश करते हैं लेकिन व्यवहार में कुछ भी नहीं करते.
कुछ बहुत ही साधारण सी चीजें हैं जिन्हें अपनी दैनिक आदतों में शामिल करके हम भी पर्यावरण संरक्षण में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं. ये हैं वे चीजें:
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कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (CFL) बल्ब का उपयोग
कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट बल्ब महंगे जरुर हैं लेकिन यह लम्बे समय तक चलते हैं और दीर्घकाल में यह बहुत सारी उर्जा बचाते हैं और आपके बिजली के बिल को भी कम रखते हैं.
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कचरे का सही निपटारा
पर्यावरण के लिए प्लास्टिक का कचरा सबसे बड़ा खतरा है. प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करें. पेय पदार्थों, जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, जूस आदि शीशे की बोतलों में लें. कूड़े का निपटारा सही ढंग से करें, इन्हें सिर्फ कूड़े दान में डालें, इधर-उधर न फैंके.
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दान करें
अपने पुराने कपड़े और चीजें ऐसे व्यक्ति को दान करे जिसे इसकी जरुरत हो. काफी संस्थाएं हैं जो पुराने कपड़े एकत्र करती हैं और उन्हें गरीबों और बेसहारा लोगों को पहुंचती हैं। इससे एक तो आप पर्यावरण की मदद करते हैं दूसरे किसी के काम भी आते हैं।
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इस्तेमाल न होने पर बिजली के उपकरण बंद रखें:
जब आप घर में किसी उपकरण को उपयोग न कर रहें हों तो इन्हें बंद करके रखें. जैसे कि, जब आप टीवी न देख रहें हो तो इसे बंद करके रखें या जब कमरे से बाहर निकलें तो लाइट स्विच ऑफ कर दें।
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अधिक पैदल चलें या साइकिल का उपयोग करें
गाड़ीयां प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है. यदि आप कहीं बाहर जा रहें हो तो अपने आप से प्रश्न पूछें की क्या कार में जाना जरुरी है? यदि थोड़ी दूरी तक ही जा रहें हो तो पैदल जाएँ या साइकिल में जाएँ।
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पेड़ लगायें और बचाएं
अधिक से अधिक पेड़ लगायें और इन्हें बचाएं भी। कागज़ और इमारती लकड़ी का कम से कम उपभोग करें।
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साबुन और डिटर्जेंट का कम प्रयोग करें
कपड़े या बर्तन धोते समय डिटर्जेंट की निर्धारित मात्रा का ही प्रयोग करें। साबुन और डिटर्जेंट नदियों नालों को दूषित करते हैं और जैव विविधता के लिए बहुत ज़्यादा हानिकारक हैं।
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टपकते नल और पानी का बचाव
यदि आपके नलों की टूटियां टपक रहीं हो तो उन्हें तुरंत ठीक करवाएं। ब्रश करते समय नल खुला न रखें। गाड़ी को रोज न धोएं, और केवल बाल्टी में पानी लेकर धोएं। गाड़ी धोने वालों से तो बिलकुल न धुलवाएँ, ये लोग सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी करते हैं।
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बारिश के पानी का भण्डारण
संभव हो तो बारिश के पानी का भण्डारण करें. इसे विभिन्न कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।
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अपनी आवश्यकता को सीमित रखें
महात्मा गांधी के अनुसार, प्रकृति के पास मनुष्य की जरुरत के अनुसार सब कुछ है लेकिन मनुष्य के लालच के आगे सब कुछ कम है।
अपनी जरूरतों को सीमित रखें। हम भारतीयों में दिखावा करने की बहुत बुरी आदत है, इसे नियंत्रण में रखें। रोटी, कपड़ा और मकान की अपनी जरूरतों को समझदारी से पूरा करें और इसे दिखावे का माध्यम न बनायें।