चींटियाँ बहुत ही रोचक और अद्भुद प्राणी होती हैं। सबसे आम और आसानी से पाए जाने वाले कीड़ों में चींटियां भी शामिल हैं। ये अक्सर हमें अपने घरों में या उसके आस-पास देखने को मिल जाती हैं।
आपने चींटियों को अक्सर एक साथ एक लाइन बनाकर चलते देखा होगा वो इसलिए क्योंकि चींटियाँ बेहद सामाजिक होती हैं। चींटी अपने आप में कुदरत का बेहद खास क्रीचर है। आज हम आपको चीटियों के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं :
चींटी की शारीरिक रचना
हमारे ग्रह पर प्रत्येक जीवित प्राणी के शरीर की एक अनूठी संरचना होती है जो उसे अपने पर्यावरण के अनुकूल ढालने में मदद करती है। इसी प्रकार, चींटी के शरीर को भी तीन मुख्य भागों में विभाजित किया गया है:
सिर: चींटी का सिर आमतौर पर एक बड़े आकार का होता है। इसके कान, नाक नहीं होते बल्कि इसके सिर के शीर्ष पर दो एंटीना होते हैं जो इसे छूने, महसूस करने, सूंघने में मदद करते हैं।
वक्ष: चींटी के मध्य भाग को वक्ष या मेसोसोमा के नाम से जाना जाता है। इसके सभी छह पैर इसी भाग से जुड़े हुए होते हैं। प्रत्येक पैर में दो हुक वाले पंजे होते हैं जो इसे चीजों को पकड़ने में सक्षम बनाते हैं।
डंठल: डंठल चींटी के वक्ष और पेट के बीच का भाग है। इसकी तुलना मनुष्य की कमर से की जा सकती है। इसमें एक (hinge) काज होता है, जो चींटी को अपने शरीर को मोड़ने और घुमाने की सुविधा देता है।
पेट: चींटी के पेट में उसका हृदय, पाचन तंत्र और प्रजनन अंग होते हैं। चींटियों की कुछ प्रजातियों के पेट पर डंक होते हैं जो जरूरत पड़ने पर उनके दुश्मनों पर जहर छोड़ते हैं।
चींटियाँ कैसे रहती हैं?
चींटियाँ सामूहिक रूप से बड़े समूहों में रहती हैं जिन्हें कालोनियाँ कहा जाता है। प्रत्येक कॉलोनी में एक रानी, नर चींटी और श्रमिक या सैनिक चींटियाँ होती हैं। रानी कॉलोनी की सबसे बड़ी चींटी है। वह अन्य चींटियों की माँ होती है और पूरी कॉलोनी को नियंत्रित करती है।
श्रमिक चींटियाँ वे होती हैं जो भोजन इकट्ठा करती हैं, खुदाई करती हैं और घोंसले बनाती हैं, और कॉलोनी की रक्षा करती हैं। किसी कॉलोनी में अधिकांश चींटियाँ ये सैनिक चींटियाँ ही होती हैं।
चींटियाँ कहाँ रहती हैं?
चींटियों की कालोनियां लकड़ी में और भूमिगत दोनों में पाई जा सकती हैं। जमीन पर, वे अपनी छोटी टीले वाली चींटियों की पहाड़ियाँ बनाते हैं। अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड और आइसलैंड जैसे अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों को छोड़कर चींटियां हर जगह पाई जाती है। वे हवाई और पोलिनेशिया जैसे ज्वालामुखीय क्षेत्रों से भी बचते हैं।
चींटियाँ क्या खाती हैं?
चींटियाँ सर्वाहारी होती हैं, यानी वे पौधों और जानवरों दोनों को खा सकती हैं। चींटियों की एक सेना अपने से कई गुना बड़े मरे हुए कीट को आसानी से उठाकर अपने घोंसले तक ले जा सकती है।
उन्हें शीर्ष आर्थ्रोपोड शिकारियों में भी सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रमुख प्रजाति माना जाता है।
चीटियों के विकास के 4 चरण होते है : (1) अंडे (egg) (2) लार्वा (larva) (3) प्यूपा (pupa) (4) व्यस्क (adult)। लार्वा (larva) चरण में जो पोषण और देखभाल प्राप्त होती है, वही उसका व्यस्क रूप का निर्धारण करते है। जिन लार्वा (larva) को अच्छा पोषण मिलता है, उनमें पंखों का विकास होता है और वे रानी चींटियाँ (Queen Ants) बनती है।
रोचक तथ्य
- पृथ्वी पर इन जीवों की 12 हजार से अधिक प्रजातियां हैं, जो आकार और उपस्थिति में भिन्न हैं।
- एक बार जब एक रानी चींटी संभोग करती है, तो उसके पंख झड़ जाते है। चींटियों की कॉलोनी में काम करने वाली सभी श्रमिक चींटियाँ मादा होती है। ये सभी मादा चींटियाँ बाँझ (Sterile) होती है और प्रजनन में कोई योगदान नहीं देती।
- मरने के बाद चीटियों के शरीर से एक ‘Oleic Acid’ नामक केमिकल निकलता है, जिससे अन्य चींटियाँ ये जान लेती है कि वह चींटी मर चुकी है।
- पृथ्वी पर मनुष्य और चींटियाँ ही है, जो अपना भोजन संचय करके रखते है।
- आधिकारिक रूप से चींटियाँ दुनिया की सबसे स्मार्ट कीट है। इनमें 2,50,000 मस्तिष्क कोशिकाएं (brain cells) होती है।
- कई लोगों का मानना है कि चींटियों का खून नीले रंग का होता है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। चींटियों में खून नहीं बल्कि ‘हेमोलिम्फ‘ नामक एक तरल पदार्थ होता है जो शरीर के चारों ओर पोषक तत्वों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाता है।
- दुनिया की सबसे छोटी चींटी सिर्फ 2 मिलीमीटर लंबी है।
- पृथ्वी पर मौजूद जीतने भी चींटियों के घोंसले है उन सभी का गंध अलग-अलग है। अलग-अलग गंध होने के कारण घोंसले के अंदर शत्रु के घुसपैठ के बारे में पता चलता है।
- हिम युग के दौरान पृथ्वी पर मौजूद ज़्यादातर प्राणियों का अस्तित्व ही मीट गया था। परंतु रोचक बात तो यह है कि, हिम युग के इतने प्रतिकूल वातावरण के बावजूद चींटियाँ अपने छोटे आकार के कारण बचीं रहीं और अब तक पृथ्वी में अपना अस्तित्व बचा कर रखी हुई है।
- 6 इंच लंबे पंखों वाली एक प्रागैतिहासिक चींटी की भी खोज की गई थी, जिसे टाइटेनोमाइरा गिगेंटम (Titanomymra Giganteum) के नाम से जाना जाता है। यह अब तक अस्तित्व में पाई गई सबसे बड़ी चींटी है
- चींटियाँ अपने पैरों के माध्यम से ज़मीन से कंपन महसूस कर सकती हैं। इस तरह वे बिना कानों के “सुनते” हैं।
- चींटियों की कॉलोनी का आकार कुछ दर्जन चींटियों से लेकर लाखों चींटियों तक होता है।
- बुलेट चींटी (bullet ant) का डंक किसी भी कीटों में सबसे दर्दनाक होता है। इसके विष से भरे डंक का असर 24 घंटे तक रह सकता है। इसकी तुलना 240 वाल्ट सॉकेट में अपनी उंगली डालने से की गई है।
- Slave Making Ant ऐसी चींटियाँ है, जो चींटियों की अन्य कॉलोनी से अंडे चुराती है और उन अंडों से निकले बच्चों को अपना दास बना लेती है।
- अमेज़ॅन वर्षावन (Amazon Rainforest) में फायर चींटी (Fire Ant) अपने पैरों को एक साथ जोड़कर बेड़े जैसा आकार ले लेती है। यह उन्हें नदियों में तैरने और जंगल में यात्रा करने में सहायता करता है।
- फायर चींटी (Fire Ant) लगभग 9 घंटे/ प्रति दिन सोती है।
- लीफकटर चीटियों (Leafcutter Ants) के शरीर से एक एंटीबायोटिक स्त्रावित होता है, जो मशरूम की खेती में सहायक है।
- चींटियाँ अपना घोंसला धूल और रेत के कणों से बनाती हैं। घोंसलों में कई कक्ष होते हैं जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे भोजन और अंडे का भंडारण और आराम करना।
- ये बात तो हम सब जानते हैं कि चींटी बहुत मेहनती होती है। एक औसत चींटी अपने शरीर का दस से 50 गुना वजन आसानी से उठा सकती है।
- एक आम अमेरिकी फील्ड चींटी की गर्दन का जोड़ अपने वजन से 5,000 गुना तक दबाव झेल सकता है।
- जब चींटियाँ भोजन की तलाश में निकलती हैं, तो वे अपने पीछे एक फेरोमोनी ट्रेल (गंध के निशान) छोड़ती हैं, जिससे अन्य चींटियाँ उनका पीछा कर सकती हैं और उसी रास्ते से अपने घोंसले में लौट सकती हैं।
- चींटियों की नाक या फेफड़े नहीं होते। उनके पूरे शरीर में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जिन्हें स्पाइरैकल के नाम से जाना जाता है, जो उन्हें ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने में मदद करता है।
- चींटियाँ आम तौर पर अपनी रानी चींटी की जगह नहीं लेतीं। यदि रानी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद कुछ ही महीनों के भीतर बाकी कॉलोनी भी मर जाती है।
- अग्नि चींटियों की एक प्रजाति में, नर और मादा एक, नया नर और मादा जीन पूल बनाने के लिए खुद का क्लोन बना सकते हैं।
- इंसानों के अलावा चींटियाँ ही एकमात्र ऐसी प्राणी है, जो खेती करती हैं। वे अपने घोंसलों में एफिड्सी (aphids) पालते हैं और उन्हें सुरक्षित रखते हैं ताकि वे इन छोटे कीड़ों द्वारा स्रावित मीठा रस प्राप्त कर सकें।
- नर चींटियों की आवश्यकता केवल संभोग के लिए होती है। उसके बाद वे मर जाते हैं।
- गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने ऑस्ट्रेलियाई बुलडॉग चींटी (मायरमेसिया पाइरिफोर्मिस) को दुनिया की सबसे खतरनाक चींटी का नाम दिया है। यह किसी हमले में अपने मजबूत जबड़े और डंक का एक साथ उपयोग करने के लिए जानी जाती है। 1936 से अब तक इसने कम से कम तीन लोगों की जान ले ली है।
- एक रानी चींटी लगभग दो से 20 साल तक जीवित रह सकती है। ऐसा माना जाता है कि लासियस नाइजर प्रजाति की एक रानी चींटी 28 साल से अधिक समय तक कैद में रही, जो किसी रानी चींटी के लिए अब तक का सबसे लंबा रिकॉर्ड है।
- जब लाखों चींटियाँ एक ही कॉलोनी में रहती हैं, तो इसे ‘सुपरकॉलोनी‘ के रूप में जाना जाता है। एक सुपरकॉलोनी में 300 मिलियन चींटियों का झुंड रह सकता है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि चीटियां सोती ही नहीं हैं। ये दिन भर में 250 बार झपकी लेती है और इससे ही इनका काम चल जाता। चीटियां 1 मिनट से कम समय की झपकी लेती हैं।