सरदार पटेल को भारत में ‘लौह पुरुष’ या “बिस्मार्क ऑफ़ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है, सरदार पटेल, भारत के सबसे प्रभावशाली राजनेता थे. भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान है. भारत की आज़ादी के बाद वह प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री बने. आज हम आपको बताने जा रहे हैं, उनके बारे में 10 तथ्य, जिनके बारे में आपने कभी भी नहीं सुना होगा.
महात्मा गांधी से अच्छे संबंध
सरदार पटेल के महात्मा गांधी जी से बहुत अच्छे संबंध थे. जब महात्मा गांधी की मृत्यु हुई, तो सरदार पटेल को उनके निधन से बहुत गहरा सदमा पहुंचा था. महात्मा गांधी के निधन के 2 महीने बाद ही सरदार पटेल का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
उनका जन्म एक किसान के घर में हुआ था और उनका स्वभाव भी किसानों जैसा था
सरदार पटेल का जन्म एक किसान के घर हुआ था और उनका परिवार रानी झाँसी की सेना में भी रह चुका था. वह बचपन में अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे और महीने में दो बार उपवास भी रखते थे.
उनके द्वारा प्रिवी पर्स के भुगतान की गारंटी देना
वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने संविधान सभा में प्रिवी पर्स के भुगतान की गारंटी का मुद्दा उठाया था. लेकिन उस समय कांग्रेस द्वारा इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया गया था.
उनकी जन्म तिथि का कोई रिकॉर्ड नहीं
सरदार पटेल के जन्म की वास्तविक तिथि का कोई रिकॉर्ड नहीं है. 31 अक्टूबर को उनका जन्म-दिवस मनाया जाता है, इस तारीख का रिकॉर्ड भी असल में उनकी मैट्रिक की परीक्षा पेपर से लिया गया था.
सरदार पटेल बूबोनिक प्लेग से ग्रस्त थे
एक समय था, जब गुजरात में बूबोनिक प्लेग फैल गया था, जिससे पटेल का एक अच्छा मित्र भी इस प्लेग की चपेट में आ गया था, अपने मित्र की मदद के लिए पटेल उसकी देखभाल करने लगे और फिर वह भी इस प्लेग की चपेट में आ गए. इसके बाद वह तुरंत अपने परिवार से दूर चले गए और एक मंदिर में जाकर रहने लगे और ठीक होने के बाद ही वापिस घर लौटे थे.
आरएसएस के अस्तित्व का विरोध करना
यह तथ्य बहुत कम भारतीय जानते होंगे. भारत के इस प्रथम ग्रह मंत्री ने आरआरएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उन्होंने आरएसएस को हार्ड लाइन हिंदू गुट कहा था, जो भारत के महान नेता महात्मा गांधी की हत्या का ज़िम्मेदार था.
नेहरू के साथ अंतिम टकराव
हालांकि सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरु के बीच राजनीती को लेकर कई टकराव हुए थे. इसमें सबसे बड़ा टकराव था, जब नेहरु ने सरदार पटेल पर सांप्रदायिक नेता होने का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद पटेल ने नेहरु से कभी भी बातचीत नहीं की.
भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत
उनको हमेशा लगता था कि भारत को एक मज़बूत नौकरशाही सेटअप की ज़रूरत है. उन्होंने भारत में भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) शुरू कर के एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इससे पहले अंग्रेजों द्वारा भारत में भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Service) चलाई जाती थी.
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