दीपों के पर्व दीपावली में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से मानी जाती है। धनतेरस से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। धनतेरस पर लोग खरीदारी करते हैं। इस दिन लोग सोना, चांदी और विशेष रूप से बर्तन खरीदते हैं।
कहा जाता है कि धनतेरस के दिन आप जो कुछ भी खरीदते हैं वह तेरह गुना बढ़ जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इन सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा करने से घर धन-धान्य से भरा रहता है और भगवान धन्वंतरि की कृपा से सद्गुणों की प्राप्ति होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना इतना जरूरी क्यों है?
इसलिए खरीदें बर्तन जाते हैं बर्तन
पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और राक्षसों ने अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया था। फिर इस मंथन के दौरान एक-एक करके 14 रत्न प्राप्त हुए। मां लक्ष्मी जी को भी उन 14 रत्नों में से एक माना जाता है।
लक्ष्मी जी की तरह भगवान धन्वंतरि भी समुद्र मंथन के दौरान पैदा हुए थे। जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में अमृत का पात्र था। ऐसा माना जाता है कि इसी वजह से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।
भगवान धन्वंतरि के जन्म के समय उनके हाथ में पीतल का कलश था, इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदने का महत्व है।
धनतेरस के दिन लोग बर्तनों के साथ-साथ सोना-चांदी आदि भी खरीदते हैं। इस दिन किसी भी चीज की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि आप धनतेरस के दिन कोई खरीदारी करते हैं तो वह 13 गुना अधिक बढ़ जाती है। इसलिए लोग बर्तन, चांदी और सोना खरीदते हैं।
इस दिन लोग चांदी के लक्ष्मी-गणेश, चांदी के सिक्के आदि भी घर लाते हैं, जिससे घर में आशीर्वाद बना रहता है और साथ ही साथ लक्ष्मी जी की कृपा भी बनी रहती है।
इस दिन आप किसी भी शुभ धातु जैसे तांबे-पीतल या चांदी के बर्तन खरीद सकते हैं। इन बर्तनों को घर में लाने से पहले इनमें कुछ चावल या पानी भर लें। घर में खाली बर्तन लाना भी अशुभ होने का संकेत है।