भारत को यदि मंदिरों का देश कहा जाये तो गलत नहीं होगा। यहां ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी भव्यता और अनोखी मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं। वहीँ कुछ मंदिर बेहद रहस्य्मयी है, जिनका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।
ऐसा ही एक रहस्य्मयी मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भी है। इस मंदिर की सबसे खास और रहस्यमयी बात यह है कि इस मंदिर का एक खंभा बिना किसी आधार के हवा में लटक रहा है
वैसे तो इस मंदिर में अन्य खंभे भी हैं लेकिन हवा में लटका हुआ वो एक खंभा अनेकों रहस्य और चमत्कार समेटे हुए है। लेकिन इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है।
आज की हमारी इस पोस्ट में हम आपको इसी रहस्य्मयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए शुरू करते हैं :
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1583 में विरुपन्ना और विरन्ना नाम के दो भाइयों ने 16वीं सदी में कराया था, जो विजयनगर के राजा के यहां काम करते थे। हालांकि पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर को ऋषि अगस्त्य ने बनवाया था। इस मंदिर का नाम है “लेपाक्षी मंदिर“।
इस मंदिर में भगवान शिव के क्रूर और रौद्र रूप भगवान वीरभद्र विराजमान हैं। इसी कारण से इस मंदिर को वीरभद्र मंदिर भी कहा जाता है। अब यह मंदिर “हैंगिंग पिलर टेंपल” के नाम से भी दुनियाभर में विख्यात हो चुका है।
इस मंदिर में कुल 70 खंभे हैं, जिसमें से एक खंभे का जमीन से जुड़ाव नहीं है। मंदिर में मौजूद हवा में लटके इस खंबे को आकाश स्तंभ के रूप में भी जाना जाता है। यह खंबा जमीन से आधा इंच के करीब ऊपर उठा हुआ है।
कहा जाता है कि मंदिर का खंभा पहले जमीन से जुड़ा हुआ था, लेकिन ब्रिटिश काल में एक इंजीनियर ने ये जानने की कोशिश की थी कि ये मंदिर खंभों पर कैसे टिका हुआ है। इसके लिए उसने एक खंभे को खिसकाया था, उसके बाद से ही यह खम्बा हवा में ही लटक रहा है।
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि हवा में लटके इस खंबे के नीचे से अगर कपड़ा निकाला जाए तो उस व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि (सुख-समृद्धि के लिए हटाएं ये वास्तु दोष) का वास हमेशा बना रहता है।
खंबे के हवा में लटकने के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। माना जाता है कि भगवान वीरभद्र की उत्पत्ति दक्ष प्रजापति के यज्ञ के बाद हुई थी। इसके अलावा यहां भगवान शिव के अन्य रूप अर्धनारीश्वर, कंकाल मूर्ति, दक्षिणमूर्ति और त्रिपुरातकेश्वर भी मौजूद हैं। यहां विराजमान माता को भद्रकाली कहा जाता है।
मंदिर के सामने विशाल नंदी की मूर्ति है जो एक ही पत्थर पर बनी है। कहा जाता है कि दुनिया में यह नंदी की सबसे बड़ी मूर्ति है।
मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का जिक्र रामायण में भी मिलता है। कहा जाता है यह वही जगह है जहां जटायु रावण से युद्ध करने के बाद जख्मी होकर गिर गये थे और राम को रावण का पता बताया था।
मंदिर में एक बड़े से पैर का निशान भी है, जिसे त्रेता युग का गवाह माना जाता है। कोई इसे भगवान राम के पैर का निशान तो कोई माता सीता के पैर का निशान मानते हैं।