करीब 30 साल पहले अमरीका जा रहे समुद्री जहाज से गलती से एक कंटेनर उत्तरी प्रशांत महासागर में गिर गया। इसमें हजारों ‘बाथ टॉयज‘ यानी स्नान के समय बाथ टब में डाले जाने वाले खिलौने ले जाए जा रहे थे। हांगकांग से अमेरिका जा रहे कंटेनर में 29,000 रबर से बने बत्तख, कछुए, मेंढक जैसे खिलौने थे। ये हजारों खिलोने महासागर में दूर तक फैल गए।
लहरों के साथ दुनिया भर में पहुंचे खिलौने
तेज लहरों और शक्तिशाली हवाओं ने फिर इन्हें दुनिया भर के समुद्र तटों तक पहुंचा दिया। दशकों बाद भी समुद्र तट पर लोगों को चमकीले रंगों वाले ये खिलौने मिल रहे हैं। खास बात है कि आज ये वैज्ञानिकों को महासागरों के बारे में बहुत कुछ जानने में मदद करते हैं। दरअसल, वैज्ञानिकों को इनसे मूल्यवान जानकारी मिल रही है।
जब समुद्र तटों पर टहलते लोगों को ये खिलौने लगातार मिलने लगे तो इन द्वारा समुद्र में की गई यात्रा ने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा। इनके दुनिया के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचने में लगने वाले समय का अंदाजा लगाया गया जिससे महासागरों की धाराओं के बारे में कई जरूरी जानकारियां मिली हैं।
60 हजार जूते भी गिरे थे समुद्र में
कुछ साल पहले इसी तरह की शिपिंग दुर्घटना में 60,000 से अधिक जूते महासागर में गिर गए थे। बाद में अमेरिका और कनाडा के पश्चिमी तटों पर लोगों को वे जूते मिलने शुरू हो गए थे।
लम्बे समय से हो रहा है इस तरीके का उपयोग
समुद्र में चीजों को बहाने की विधि का उपयोग समुद्री अनुसंधान के सबसे पुराने तरीकों में से एक है। 1864 में हैम्बर्ग में जर्मन नेवल ऑब्जर्वेटरी के शोधकर्ता जॉर्ज वॉन न्यूमेयर ने केप हॉर्न से रवाना होते ही एक बोतल में संदेश लिख कर उसे समुद्र में फैंका था।
संदेश में उन्होंने उसे पाने वाले को यह बताने के लिए कहा था कि बोतल कहां और कब मिली। वह बोतल ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई थी। यह साल से भी पहले की बात है और इसने बड़े पैमाने पर समुद्री धाराओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद की।
सैटेलाइट्स और आधुनिक तकनीकों की मदद
आज सैटेलाइट्स और आधुनिक तकनीकों की मदद से समुद्रों के बारे में काफी कुछ पता लगाया जा रहा है और खिलौनों से मिला डेटा बहुत सटीक भी नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कुछ भी न होने से बेहतर है, खासकर जब इतनी सारी जानकारी मुफ्त में मिल रही हो।
समुद्र में बड़ी संख्या में उपकरण या चीजें डाल कर, शोध करना बेहद जटिल प्रक्रिया है जबकि ये खिलौने इस काम को आसान और मुफ्त बना रहे हैं।
पंजाब केसरी से साभार
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