Wednesday, April 17, 2024
35.3 C
Chandigarh

इसे ग्रैंड श्राइन : जापान का एक ऐसा अनोखा मंदिर जो हर 20 साल बाद तोड़कर फिर से बनाया जाता है

जापान के इसे शहर (Ise city) में स्थित इसे ग्रैंड श्राइन मंदिर (Ise Grand Shrine), जिसे इसे जिंगू के नाम से भी जाना जाता है जापान के सबसे पवित्र धर्मस्थलों में से यह एक है।

यह मंदिर शिन्तो (शिंटो) के सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। (शिंटो धर्म विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। यह जापान का मूल धर्म है, तथा इसमें कई देवी-देवता हैं, जिनको कामी कहा जाता है) यह मंदिर सौर देवी अमेतरासु (जापानी सूर्य देवी) को समर्पित है।

दरअसल, यह मंदिर दो हिस्सों नाइकू-आंतरिक मंदिर, और गेकू-बाहरी मंदिर में बंटा हुआ है। आंतरिक श्राइन, नाइकू जिसे “कोटाई जिंगु” के रूप में भी जाना जाता है में “अमेतरासु” की पूजा की जाती है और मध्य इसे के दक्षिण में उजी-ताची शहर में स्थित है, जहां वह निवास करती है। मंदिर की इमारतें ठोस सरू की लकड़ी से बनी हैं और इनमें कीलों का उपयोग बिल्कुल भी नहीं नहीं किया गया है।

बाहरी श्राइन, गेकू जिसे “टॉयउके डाइजिंगु” के रूप में भी जाना जाता है नाइकू से लगभग छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कृषि और उद्योग के देवता टॉयौके-ओमिकामी को समर्पित है।

नाइकू और गेकू के अलावा, इसे शहर और आसपास के क्षेत्रों में 123 अतिरिक्त शिंटो मंदिर हैं, उनमें से 91 नाइकू से और 32 गेकू से जुड़े हुए हैं।

इन तीर्थस्थलों की खासियत यह है कि इनको उजी पुल के साथ हर 20 साल में तोड़ दिया जाता है और फिर दोबारा बनाया जाता है। बीते 1300 सालों से यह परंपरा चली आ रही है, जो शिंतो परंपरा से जुड़ी है।

इसे मृत्यु और पुनर्जीवन से जोड़कर देखा जाता है। यह मंदिर निर्माण के कौशल और तकनीक को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का भी एक तरीका है। नए मंदिर का निर्माण पुराने मंदिर के बिल्कुल पास में ही किया जाता है।

इस मंदिर का निर्माण आखिरी बार 2013 में हुआ जो इसकी 62वीं पुनरावृत्ति थी। अब इस मंदिर को साल 2033 में दोबारा तोड़कर बनाया जाएगा।

मंदिर के निर्माण को खास बनाने के लिए ओकिहिकी फेस्टिवल मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान लोगों द्वारा साइप्रेस के पेड़ों के बड़े-बड़े डंडे लाए जाते हैं।

ये डंडे दो तीर्थस्थलों के आसपास के पवित्र जंगल से काटे गए जापानी सरू के पेड़ों से तैयार किये जाते हैं। इनका उपयोग अंततः नए मंदिर के निर्माण में किया जाता है। नई इमारत के लिए लगभग 10,000 सरू के पेड़ काटे गए हैं। काटे गए इन पेड़ों में से कुछ 200 साल से भी अधिक पुराने होते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR

RSS18
Follow by Email
Facebook0
X (Twitter)21
Pinterest
LinkedIn
Share
Instagram20
WhatsApp